• April 23, 2024 12:10 pm

शादी की उम्र बढ़ने से क्या ज्यादा पढ़ेंगी बेटियां? जानिए सरकार के इस फैसले का क्या होगा सामाजिक असर

दीनांक 21-12-2021 Women Marriage Age: लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने के बिल को मंजूरी दे दी गई. बदलते वक्त में लड़का लड़की को बराबर माना जाता है. इसलिए ये बहस छिड़ी है कि लड़के की शादी 21 में, लड़की की 18 क्यों?

शादी की उम्र बढ़ाने से क्या बदलेगी लड़कियों की जिंदगी? How will girls life  change with increasing the age of marriage | - News in Hindi - हिंदी  न्यूज़, समाचार, लेटेस्ट-ब्रेकिंग ...

Women Legal Age of Marriage: केंद्र सरकार ने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने का फैसला किया है. अभी ये उम्र 18 साल है, जिसे बढ़ाकर 21 साल किए जाने का प्रस्ताव है. अगर ये कानून बन जाता है तो फिर भारत उन चंद देशों में शुमार हो जाएगा, जहां महिलाओं की शादी की उम्र 21 साल है. ऐसे सवाल उठ रहा है कि सरकार के इस फैसले का सामाजिक असर क्या होगा, क्या यूपी चुनाव में सरकार को फायदा मिलेगा, क्या शादी की उम्र बढ़ाने से ग्रेजुएट की संख्या बढ़ेगी? इन्हीं सभी सवालों के जवाब हम यहां दे रहे हैं.

कमेटी की रिपोर्ट में क्या है?
जया जेटली की अध्यक्षता में बनी एक टास्क फोर्स ने सरकार को अपनी रिपोर्ट दी है. ये सिफारिशें दिसंबर 2020 में की गई थीं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से जून 2020 में ये टास्क फोर्स बनाई गई थी, जिसमें नीति आयोग के सदस्यों को भी शामिल किया गया था. इसी टास्क फोर्स की सिफारिश है कि लड़की की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल कर देनी चाहिए. क्योंकि छोटी उम्र में लड़कियों को प्रेगनेंसी में समस्याएं होती हैं, मातृ मृत्यु दर बढ़ने की आशंका रहती है, पोषण के स्तर में भी सुधार की जरूरत होती है, टीनएज में लड़की अपने फैसले भी नहीं ले पाती, छोटी उम्र में शादी का असर लड़कियों की पढ़ाई पर भी पड़ता है.

क्यों जरूरी है 21 में लड़कियों की शादी? 
फरीदाबाद में फोर्टिस अस्पताल की डॉ. इंदू तनेजा का कहना है कि इससे टीनएज मैरिज बंद होगी. प्रेगनेंसी की एज भी 21 के बाद ही होगी. टीनएज प्रेगन्नेंसी को बहुत हाई रिस्क प्रेगनेंसी मानते हैं. जैसा कि मदर का हाई ब्लड प्रेशर होता है. जिसमें मां और बच्चा दोनों पर बुरा असर पड़ता है. एनिमिया होता है. ब्लीडिंग ज्यादा होता है. ये कॉम्पलिकेशन कम हो जाएंगे.

समय के साथ बदलती रही लड़कियों की शादी की उम्र 
ये तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, लेकिन इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह लड़का-लड़की के भेद को कम करना भी है. ये कदम बराबरी का दर्जा होगा. वैसे भी बदलते भारत में लड़कियों की शादी की उम्र भी बदलती रही है. सबसे पहले साल 1929 में शारदा एक्ट में लड़कियों की शादी की उम्र 14 और लड़कों की 18 साल तय हुई थी. 1954 के द स्पेशल मैरिज एक्ट में सुझाव दिया गया कि लड़कों की शादी की उम्र 21 और लड़कियों की 18 की जाए. लेकिन ये सुझाव 1978 में जाकर माना गया, फिर शारदा एक्ट में संशोधन करके लड़कों की शादी की उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 साल की गई और अभी तक देश में लड़का लड़की की शादी की उम्र यही थी.ये कदम बाल विवाह को भी रोकने के काम आएगा क्योंकि अभी 14-15 साल की लड़कियों को 18 का बताकर उनकी शादी कर दी जाती है. लेकिन अब ऐसे केस बहुत हद तक रुक जाएंगे.

ये कदम बाल विवाह को भी रोकने के काम आएगा क्योंकि अभी 14-15 साल की लड़कियों को 18 का बताकर उनकी शादी कर दी जाती है. लेकिन अब ऐसे केस बहुत हद तक रुक जाएंगे.

Rajasthan: Child marriage free Rajasthan campaign in rajsamand – News18  हिंदी

एक आंकड़े के अनुसार, क्लास 1 से 5वीं तक सिर्फ 1.2 फीसदी लड़कियां स्कूल छोड़ती हैं. कक्षा 6 से 8वीं तक ये स्कूल छोड़ने वाली लड़कियां 2.6 फीसदी हैं. जबकि 9वीं से 10 में स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या 15.1 फीसदी हैं.

बाल विवाह से कितना नुकसान?
आपको जानकर हैरानी होगी कि बाल विवाह से देश को 3.49 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है. देश में अभी भी 23.3 फीसदी महिलाओं की शादी 18 से कम उम्र में होती है. 15 से 19 साल के बीच में 6.8 फीसदी महिलाएं या तो गर्भवती हैं या मां बन चुकी हैं. बाल विवाह रोकने के अलावा लड़कियों का स्कूल ड्रॉप आउट रेट भी कम होगा क्योंकि अभी कम उम्र में शादी की वजह से लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है.

एक आंकड़े के अनुसार, क्लास 1 से 5वीं तक सिर्फ 1.2 फीसदी लड़कियां स्कूल छोड़ती हैं. कक्षा 6 से 8वीं तक ये स्कूल छोड़ने वाली लड़कियां 2.6 फीसदी हैं. जबकि 9वीं से 10 में स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या 15.1 फीसदी हैं.महिला अधिकार एक्टिविस्ट रंजना कुमारी का कहना है कि शादी की उम्र बढ़ने से लड़कियां कम से कम पढ़ाई पूरी कर पाएंगी. कोई मतलब नहीं है उस तरह की पढ़ाई का. बीए, एमए पास करेंगी. अपने पैर पर खड़ी हो जाएंगी. अपना परिवार अच्छा चला सकती हैं और अपने बारे में अच्छा फैसला कर सकती हैं. बहुत कम उम्र में लड़कियां मां बनती हैं.

महिला सांसदों ने सरकार के फैसले का किया स्वागत
सरकार के इस फैसले का महिला सांसदों ने भी स्वागत किया है. बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, ‘टेंडेंसी होती है कि 16 की हो गई, लड़का खोजना शुरू कर दो. तो लड़की पढ़ नहीं पढ़ पाती है. शिक्षित परिवार लड़कियों को पढ़ा रहे हैं. तो 24-25 एज हो गई है. ये स्वागत योग्य कदम है. उम्र ठीक होगी, तो स्वास्थ्य भी ठीक होगा. बीजेपी सांसद रमा देवी ने कहा, ‘सब स्वावलंबी बनें, अपने पैर खड़ा हों. पढ़ाई लिखाई करके शादी करें. वही झगड़ा वही झंझट वही तिलक दहेज लेना. अपने पैर पर खड़ा होगी, तो उसका बाल बच्चा भी पढ़ेगा लिखेगा.’

क्या बीजेपी को यूपी के चुनाव में मिलेगा फायदा?
जानकार ये भी मानते हैं कि इससे बीजेपी को उत्तर प्रदेश के चुनावों में फायदा मिल सकता है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा का कहना है कि वोट बैंक अच्छा बने या ना बने लेकिन आधी आबादी में खुशी की लहर तो होगी है. आधी आबादी में 
अपनी प्रेजेंस भारतीय जनता पार्टी ने एक नए ढंग से फिर से करा ली है. यूपी में चुनाव नजदीक हैं, इसलिए फायदे की बात की जा रही है लेकिन हकीकत ये है कि ये सभी के फायदे का फैसला है.

Source ;- ABP न्युज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *