22 अक्टूबर 2021 | बेमौसम बारिश ने वेस्ट यूपी में फसलों को तबाह कर दिया है। गंगा के किनारे बसे गांवों में बाढ़ जैसे हालात हैं। वेस्ट यूपी में 1998 के बाद पूरे अक्टूबर माह में कभी इतनी बारिश नहीं हुई। लेकिन, इस साल एक दिन में करीब 5 इंच (126 एमएम) बारिश हुई। ये अक्टूबर महीने में पिछले 23 साल में सबसे ज्यादा है।
1998 में हुई थी 137 MM बारिश
मौसम विभाग के अनुसार 3 दशक में अक्टूबर माह में सबसे अधिक बारिश 1998 में दर्ज की गई थी। जो 137 MM हुई थी। उसके अगले 3 साल यानी 1999 और 2000 में अक्टूबर माह में कभी बारिश नहीं हुई। 2001 में भी अक्टूबर माह बिना बारिश के ही रहा। इसी तरह 2007 में अक्टूबर माह में 123 MM बारिश दर्ज की गई।
12 साल बाद अक्टूबर माह में बारिश
1993 के बाद 12 साल ऐसे रहे हैं, जिनमें अक्टूबर माह में बारिश ही नहीं हुई। साल 1993,1994,1995, 1999, 2000, 2001, 2004, 2006, 2009, 2012, 2017 व 2020 में भी अक्टूबर माह में बारिश नहीं हुई।
वेस्ट यूपी के 4 मंडल हैं हुए प्रभावित
बारिश से वेस्ट यूपी के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, व बरेली मंडल सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन मंडल के जिलों में बारिश से धान, गन्ना, सब्जी, की फसल को नुकसान हुआ है। तेज हवाओं के चलते गन्ने की फसल गिर गई। वहीं, धान की फसल जो पक चुकी है उसको नुकसान हुआ है। कई जगह धान की फसल गिर गई और खेत में पानी भर गया। गंगा के किनारे खादर इलाके में धान की बाली के ऊपर तक पानी पहुंच गया।
अक्टूबर में एक दशक में गंगा कभी इतने उफान पर नहीं रही
सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया की अक्टूबर माह में गंगा में पिछले एक दशक में इतना जल स्तर नहीं रहा। उत्तराखंड की बारिश ने एक दिन में सब कुछ चौपट कर दिया। 18 अक्टूबर तक गंगा में 40 हजार क्यूसेक पानी हरिद्वार बैराज से छोड़ा जा रहा था। 19 अक्टूबर की दोपहर तक हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान को पार गई और पानी 3 लाख 72 हजार क्यूसेक पर सेकेंड जा पहुंचा।
सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को
भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम मेरठ के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ मोहम्मद शमीम ने बताया की इस बार अक्टूबर माह में बारिश अधिक हुई है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को हुआ है। उनका कहना है की सरसों की फसल बारिश से लेट भी हो गई।
Source :- दैनिक भास्कर