पिल्लूखेड़ा व आसपास के गांवों के किसान समूह बनाकर जहर मुक्त खेती करने पर काम कर रहे हैं। ये सभी ऑर्गेनिक तरीके से खेती करते हैं और अपनी फसल बेचने के लिए मंडी पर भी निर्भर नहीं हैं। घर में ही मंडी से महंगे दाम पर उनके उत्पाद बिक जाते हैं। किसानों ने मिलकर जामनी गांव के अड्डे पर सेल प्वाइंट बनाया है। जहां उनके ग्रुप द्वारा बनाए सभी उत्पाद रखे जाएंगे। पिल्लूखेड़ा जैविक उत्पादक समूह रजिस्टर्ड कराया हुआ है। जिसमें ग्रुप लीडर रिटौली से डा. विजय सिंह लौहान, अजीत लोहान, बलिद्र लोहान, जामनी से रामकुमार सैनी, राजेश जामनी, रामजुवारी, बनियाखेड़ा से सतपाल, मंगल, ढाठरथ से ईश्वर शर्मा, निरंजन अत्री, खरकरामजी से मंजीत ढांडा, बुढ़ाखेड़ा से धर्मबीर, दलबीर, भंभेवा से मनीष कुमार, खरक गागर सत्यवान कुंडू और सुमेर कुंडू, हाडवा से रमेश, पिल्लूखेड़ा गांव से रोहताश आर्य, नवीन, धड़ौली से प्रेम डीपीई, मोहम्मदखेड़ा से संतोष कुमारी समेत कुल 32 किसान जुड़े हुए हैं। सभी एक-दूसरे के खेत में जाकर काम में हाथ बंटवाते हैं। समय-समय पर एक-दूसरे के खेत में जाकर निरीक्षण भी करते हैं कि कहीं कोई पेस्टीसाइड का प्रयोग तो नहीं कर रहा है। इसके लिए निरीक्षण टीम बनाई हुई है। खेत में जो कमी है, उसे दूर करने का तरीका भी बताते हैं और अपने अनुभव साझा करते हैं। कृषि विभाग से खंड कृषि अधिकारी डा. सुभाष चंद्र इस मुहिम में उनका सहयोग करते हैं। खेतों में जाकर किसानों से बात करते हैं और समय-समय पर इन किसानों को प्रशिक्षण भी दिलाते हैं।
ऑर्गेनिक गन्ने का गुड़-शक्कर 120 रुपये किलो
जामनी गांव के किसान बलिद्र ऑर्गेनिक गन्ना उगाते हैं। उस गन्ने से शाहपुर कोल्हू में गुड़, शक्कर और खांड बनवा कर बेचते हैं। पिछले साल 120 रुपये किलो गुड़ और शक्कर हाथों-हाथ बिक गई। वहीं खांड 150 रुपये किलो बिकी। ऑर्गेनिक गन्ने का 300 से 350 क्विटल प्रति एकड़ उत्पादन होता है। कुछ किसान आर्गेनिक सब्जी भी उगा रहे हैं।
आर्गेनिक चावल व गेहूं के भाव अच्छे मिल रहे
ग्रुप लीडर विजय लौहान धान की ऑर्गेनिक तरीके से खेती की। धान से चावल निकलवा कर बेचे। एक किलो चावल 120 से 170 रुपये तक बिका। विजय लौहान के पास सवा पांच एकड़ जमीन है। सारे खेत में उसने ऑर्गेनिक खेती शुरू कर दी है। बंसी गोल्ड किस्म के गेहूं की पैदावार लेते हैं। इसका उत्पादन प्रति एकड़ 25 से 30 मन है। गेहूं 5500 से छह हजार रुपये प्रति क्विटल बिकता है।
किसानों को भी कर रहे जागरूक
जहां भी कृषि विभाग के कार्यक्रम होते हैं। वहां इन किसानों का समूह प्रदर्शनी लगाता है। कार्यक्रमों में आने वाले किसानों को फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों और जरूरत से ज्यादा यूरिया से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हैं। साथ ही ऑर्गेनिक तरीके से खेती करने की विधि और इसके फायदों के बारे में बताते हैं।