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अयोध्‍या में लगेंगे 41 लाख पौधे, 786 गांव पंचायतों में बनेगी हरिशंकरी वाटिका

1 जुलाई 2022 |अयोध्‍या में शुक्रवार 1 जुलाई से वन महोत्सव ( van mahotsav) रूदौली के भेलसर से शुरू हो गया। यह अभियान 7 जुलाई तक चलेगा। वन विभाग ने इस साल पौधरोपण (Ayodhya Van Mahotsav) का 40 लाख 99 हजार का लक्ष्‍य रखा है। इसके लिए 28 नर्सरी में करीब 56 लाख पौध तैयार हैं। पिछले सालों में भी तकरीबन इतना ही लक्ष्य रख कर पौधरोपण करवाया गया था।

पंचायत विभाग अब हर गांव पंचायत में पाकड़, पीपल और बरगद के पौधों को पास-पास तिकोने आकार में रोपित करवाकर हरिशंकरी वाटिका तैयार करवाएगा। शासन की इस योजना के तहत जिले में तकरीबन 786 गांव पंचायतों में ऐसी वाटिका तैयार होगी। पौध की यह तिकड़ी बड़े होने पर एक ही विशाल पेड़ का रूप ले लेगा, जिसकी पहचान प्रत्येक पंचायत में सबसे बड़े छायादार वृक्ष के रूप में होगी। पौधरोपण पंचायत विभाग करवाएगा, जबकि तीनों पौधों की आपूर्ति वन विभाग करेगा।

सूख गए पिछले साल के पौधे
जमीनी हकीकत यह है कि जिन विभागों को पौधरोपण की जिम्मेदारी दी जाती है वे पौधरोपण तक ही कागजी कोटा पूरा करते हैं। वे विभाग खुद के लगाए गए पौधों की सुरक्षा नहीं करते। लेकिन उप प्रभागीय वनाधिकारी कृपा नाथ सुधीर के मुताबिक पौधरोपण के तीन साल तक अगर 80 फीसदी पौध जीवित है, तो रखरखाव मानक के अनुरूप माना जाएगा।

इस साल  जिले में करीब 26 सरकारी विभाग इस अभियान में जुड़े हैं। वन विभाग 1 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में 157 स्थानों पर 16 लाख पौधों का रोपण करवाएगा। इसके लिए विभाग ने गड्ढे खोदवा लिए हैं।

इनको मिली है बड़ी जिम्मेदारी
ग्राम्य विकास को 13 लाख, कृषि विभाग 25 लाख, उद्यान विभाग 16 लाख, राजस्व विभाग व पंचायत विभाग के पास एक-एक लाख पौध लगवाने का टारगेट तय है।

कोरोना काल में 33 लाख पौधे लगे
बताया गया कि कोरोना संक्रमण काल में भी यहां पौधरोपण कार्यक्रम सफलता से चला। साल 2020 में 33 लाख 79 हजार पौध रोपित किए गए। इसी तरह साल 2021 में 40 लाख 54 हजार पौधरोपण किया गया। जिसमें 50 फीसदी सागौन, 30 फीसदी फलदार पौध और 20 फीसदी इमारती व औषधीय पौधे लगाए गए।

पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी विभागों की
उप प्रभागीय वनाधिकारी कृपानाथ सुधीर ने बताया कि पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इनको लगवाने वाले विभाग की रहती है। लेकिन सर्वे करने पर पता चला कि सरकारी विभाग अपना दायित्व केवल पौधरोपण तक ही निभाते हैं। जिले के सोहावल व गोसाईंगंज में जांच करने पर पाया गया कि अधिसंख्य इलाकों में लगे पौधे गायब हैं। ग्रामीणों का कहना है कि छुट्टा जानवरों ने पौधों को नुकसान पहुंचाया है।

सैटेलाइट जांच में बढ़ रही है ग्रीनरी
साल 2019 के सर्वे के मुताबिक जिले का भौगोलिक एरिया 2341 वर्ग किलोमीटर है। इसमें वन्य क्षेत्र 86 वर्ग किलोमीटर है। इसमें अति घना जंगल 6 वर्ग किलोमीटर, मध्यम घना जंगल 10 वर्ग किलोमीटर और खुला वन्य क्षेत्र 70 वर्ग किलोमीटर पाया गया है। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के आधार पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 7 वर्ग किलोमीटर वन्‍य क्षेत्र बढ़ा है। वनाधिकारी का दावा है कि यह 7 साल में 7,500 हेक्टेयर पर हुए पौधरोपण का ही परिणाम है। बताया गया कि हर साल जिले में औसतन डेढ़ हजार हेक्टेयर क्षेत्र पर पौधरोपण हो रहा है। पौधों की तमाम क्षति के बावजूद हरियाली में वृद्धि जारी है। जिसका प्रमुख कारण यहां का नम क्षेत्र व सरयू-गोमती-घाघरा जैसी नदियां हैं।

source “नवभारतटाइम्स ;-“

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