• April 18, 2024 11:44 am

पेड़ की जड़ों से बना पुल नहीं है किसी करिश्मे से कम! 180 साल से भी ज्यादा पुराना है भारत का अनोखा ब्रिज

20  नवम्बर 2021 | दुनिया में ऐसे बहुत से पुल हैं जिसे इंसानों ने बनाया है. उनकी खूबसूरती की लोग तारीफ भी बहुत करते हैं और इन पुलों से ही कई शहर या देश जाने जाते हैं. सिडनी का हार्बर ब्रिज हो या टावर ब्रिज, दुनिया में इनकी अलग पहचान है. मगर भारत में एक ऐसा ब्रिज है जो अपने में ही इतना अद्भुत है कि उसे देखकर आप दंग हो जाएंगे और उनके सामने दुनिया के कई पुल फीके लगने लगेंगे. इस पुल की खास बात ये है कि पेड़ की जड़ों (Bridges Made of Tree Roots) बना हुआ है.

मेघालय में स्थित बेहद अनोखा जड़ों सा बना पुल (Living Root Bridges in Meghalaya) आज भी उतनी मजबूती से टिका हुआ है जितना तब था जब उसे बनाया गया था. रिपोर्ट्स की मानें तो ये पुल 180 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसकी खासियत ये है कि ये पुल पेड़ों की जिंदा जड़ों से धागे की तरह बुनकर बनाया गया है. आप सोचेंगे कि इस अद्भुत पुल को बनाने में काफी प्रशिक्षित इंजिनीयर्स का दिमाग लगा होगा. पर आप गलत हैं.

मेघालय की जनजातियों ने बनाया है ये पुल
मेघालय में लंबे वक्त से खासी और जयंतिया जनजाति के लोग रहते हैं जिन्होंने पेड़ की जड़ों से पुल बनाने की हुनर में महारत हासिल कर ली है. इस जनजाति के लोगों ने ही इस पुल को कई सौ साल पहले अपने हाथों से बनाया था. आज भी पुल वैसे ही टिका है और इसपर एक साथ 50 लोग तक आराम से चल सकते हैं. ये पुल मेघालय के घने जंगलों से गुजरने वाली नदी के ठीक ऊपर बनाया गया है जिससे नदी पार करने में आसानी हो.

यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है
आपको बता दें कि लिविंग रूट ब्रिज, रबर के पेड़ की जड़ों से बना है. जिन्हें Ficus elastica tree कहा जाता है. इन पुलों में कुछ का साइज 100 फीट तक है और इन्हें सही शेप लेने में 10 से 15 साल का वक्त लगता है. जब ले जड़ों पूरी तरह से बढ़ जाती हैं तो ये 500 सालों तक मजबूती से बनी रह सकती हैं. कई जड़ें पानी से लगातार मिलते-मिलते सड़ने लगती हैं मगर नई जड़ें पैदा होती जाती हैं. इन सारे पुलों में से सबसे खास है चेरापुंजी में स्थित डबल डेकर जड़ों का पुल (double-decker root bridge in Cherrapunji) जो एक के ऊपर एक बनाया गया है. इन पुलों को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट (World Heritage Site of UNESCO) भी माना है.

Source :-“न्यूज़18 हिंदी”

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