पार्वती (बदला हुआ नाम) के परिजनों के लिए सोमवार का दिन खास था, क्योंकि 15 वर्ष बाद उनकी बेटी घर आ रही थी। परविार के सदस्य सुबह से ही इसकी तैयारी में जुटे थे। परिवार के सदस्यों ने सबसे पहले देवी मंदिर जाकर पूजा अर्चना की। वहां से घर लौटकर पार्वती का इंतजार करने लगे। मां-पिता के साथ ही भाई व बहन भी सड़क की तरफ टकटकी लगाए बैठे थे। उनका यह इंतजार दोपहर करीब ढाई बजे खत्म हुआ।
बिलासपुर जीआरपी की दो महिला आरक्षक और पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अफसर सरकारी वाहन में पार्वती को लेकर पहुंचे। जैसे ही पार्वती वाहन से उतरी मां अपने आपको रोक नहीं पाई। दौड़ कर बेटी को गले लगाकर फफक-फफर रो पड़ी। मां को रोते देख पार्वती भी रोने लगी। परिवार के बाकी सदस्य भी उनसे लिपट गए। यह दृश्य देखकर वहां खड़े लोगों की भी आंखें छलक गई। परिजनों से मुलाकात के बाद पश्चिम बंगाल विधिक सेवा प्राधिकरण के अफसरों ने पार्वती को परिजनों को सौंप दिया। इसके बाद वीडियो कॉलिंग के जरिये छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव सिद्घार्थ अग्रवाल से बात कर पूरी जानकारी दी।
दो महीने की मशक्कत के बाद मिले परिजन
15 साल बाद 33 वर्षीय पार्वती सोमवार को अपने परिजनों से मिली। पार्वती जब परिजन से बिछड़ी थी, उस वक्त उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। पार्वती पश्चिम बंगाल से भटकते हुए कोरबा पहुंच गई। वर्ष 2017 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन उसे इलाज के लिए बिलासपुर के राज्य मानसिक चिकित्सालय में भर्ती कराया था। तीन साल बाद 26 जून 2020 को उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। वह मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हो गई। इसके बाद से उसके परिजनों की तलाश की जा रही थी।