6 अगस्त 2022 अमेरिकी संसद के निचले सदन की स्पीकर नैंसी पोलेसी की ताइवान यात्रा पर चीन (China) ने कड़े कूटनीतिक कदम उठाए हैं. इससे चीन अमेरिका के बीच तनाव (China USA Tension) बढ़ गया है. ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच यह सबसे चरम स्तर का तनाव है. चीन ताइवान (China Taiwan Issue) को अपना हिस्सा मानता है जबकि अमेरिका उसकी आजादी और वहां लोकतंत्र की बात करता है. सवाल यह है कि आखिर दोनों देश ताइवान को लेकर क्यों टकरा रहे हैं. क्या ताइवान कोई देश है भी या नहीं या उसकी वास्तविक स्थिति क्या है. चीन और अमेरिका का ताइवान को लेकर क्या नजरिए है और ऐसा क्या है जो दो महाशक्तियों के बीच टकराव की वजह है.
क्या है ताइवान
ताइवान का आधिकारिक नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना है. यह पूर्वी एशिया में में स्थित एक द्वीपों का समूह है जो उत्तर पश्चिमी प्रशांत महासागर के पूर्वी एवं दक्षिण चीनसागार के मिलने वाले स्थान पर है. इसके उत्तर पश्चिम में चीन, उत्तर पूर्व में जापान और दक्षिण में फिलिपींस स्थित है. यह समूह कुल 168 द्वीपों से बना है जिनका संयुक्त क्षेत्रफल 36193 वर्ग किलोमीटर है. इसमें प्रमुख द्वीप को ताइवान का द्वीप कहते हैं जो 35808 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल वाला द्वीप है.
संयुक्त राष्ट्र के देशों की सूची में नहीं
ताइवान को वैसे तो एक देश कहा जाता है, लेकिन यह संयुक्त राष्ट्र के देशों की सूची में शामिल नहीं है. जबकि यह 2.39 करोड़ की आबादी वाले देश की अधिकांश जनसंख्या शहरों में रहती है और यह दुनिया के सबसे घनी जनसंख्या वाला इलाका माना जाता कहा जाता है. ताइवान द्वीप के उत्तरी हिस्से में ताइपे शहर यहां का प्रमुख वित्तीय केंद्र है.
ताइवान का इतिहास
छह हजार साल पहले इसमें इसानों ने बसना शुरू किया था. 8 से 10वीं सदी में यहां चीन से लोगों ने आना सुरू किया. 13वी से 17वीं सदी के बीच यहां चीनी और जापानी लोग बसने लगे थे. 17वीं सदी में डच लोगों ने ताइवान को एक व्यापारिक केंद्र बनाया. 1683 में किंग वंश ने शासकों ने इस पर कब्जा किया था और 1895 में यह जापान के कब्जे में आ गया था.
Source;-“न्यूज़ 18 हिंदी”