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सिकंदर-32 साल की उम्र में सबसे बड़े साम्राज्य की स्थापना करने वाला नौजवान

ByPrompt Times

Jun 17, 2021
  • अपनी बुलंदी के दौर में, सिकंदर का साम्राज्य पश्चिम में यूनान से लेकर पूर्व में आज के पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक़ और मिस्र तक फैला हुआ था.

17-जून-2021 | बेमिसाल शासकसिकंदर पर जीवन भर अरस्तू के शिष्य होने का प्रभाव रहा. रिचेल मायर्स कहती हैं, “आप शायद ये सोचें कि अरस्तू के पास यह एक बड़ा मौक़ा था, कि वह यूनानी अभिजात वर्ग के एक अक्खड़ लड़के को एक बेमिसाल शासक में बदल सकते थे.””पूरी तरह से तो ऐसा नहीं हुआ, लेकिन जिस तरह सिकंदर यूनानी राज्यों के साथ व्यवहार करते थे, उसमे अरस्तू की दी हुई शिक्षाओं का बड़ा प्रभाव था. एक घटना इस शिक्षा को ज़ाहिर करती है.”इतिहास का एक क्रूर शासक: जब रोम जल रहा था तो क्या नीरो सचमुच बाँसुरी बजा रहा था?”वह यूनान के कोरिन्थ शहर में प्रसिद्ध दार्शनिक डायोजनीज से मिलने के लिए गए थे, ताकि उनके काम के लिए उन्हें शुभकामनाएँ दे सकें. जब सिकंदर वहाँ पहुँचे, तो डायोजनीज बैठे हुए थे.”सिकंदर ने डायोजनीज से पूछा कि वह उनके लिए क्या कर सकते हैं. जवाब में, डायोजनीज ने कहा, “सामने से हट जाओ क्योंकि तुम्हारी वजह से सूरज की रोशनी मुझ तक नहीं आ रही है.”सिकंदर का इस जवाब को बर्दाश्त करना अरस्तू की शिक्षा का ही परिणाम था.इमेज स्रोत, सिकंदर कीकमज़ोरियाँसिकंदर के सत्ता में आने के बारे में बताते हुए, बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में क्लासिक्स की प्रोफेसर डायना स्पेंसर कहती हैं, “जैसा कि हम जानते हैं कि सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय की कई पत्नियाँ थी, जिनमे से एक क्लियोपेट्रा नाम की महिला भी थी. जिन्होंने सिकंदर और उनकी माँ के लिए मुश्किल पैदा कर दी थीं.”

“माँ और बेटे दोनों को ये लगने लगा था कि वे पूरी तरह से मेसिडोनिया का ख़ून नहीं हैं. ये सच्चाई उनकी गरिमा को भी ठेस पहुँचा रही थी और राजनीतिक रूप से भी नुक़सानदेह थी. सिंहासन तक पहुँचने की लड़ाई में सिकंदर की ये कमज़ोरियाँ थीं.वीडियो कैप्शन,आगरा के मुगल और छत्रपति शिवाजी के संबंध की कहानीडायना स्पेंसर का कहना है कि फिलिप द्वितीय की नई पत्नी क्लियोपेट्रा, नई रानी बन सकती थी और उन लोगों के लिए मददगार साबित हो सकती थी, जो फिलिप के बाद राजा बनने की दौड़ में शामिल थे. इस वजह से, क्लियोपेट्रा सिकंदर के राजा बनने के रास्ते में एक रुकावट बन सकती थी.इमेज स्रोत,राजनीतिक सच्चाई यह एक राजनीतिक सच्चाई थी कि पूरी तरह से मेसिडोनिया से ताल्लुक रखने वाले एक नए पुरुष उत्तराधिकारी के सामने आते ही, सिकंदर के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती थीं. कई इतिहासकारों ने इस स्थिति की मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि भी पेश किया है.

डायना स्पेंसर के अनुसार, सिकंदर छह महीने के लिए ख़ुद ज़िलावतन हो गए थे, और उनकी माँ भी कुछ महीनों के लिए दरबार से दूर हो गई थी. कुछ समय बाद, पिता और बेटे के बीच कड़वाहट तो कम हो गई और सिकंदर वापस लौट आए, लेकिन रिश्ते में आया ठहराव, सिकंदर के उत्तराधिकारी बनने के रास्ते में रुकावट बन चुका था.”इस स्थिति में, एक घटना घटी, जिसने सिकंदर को सिंहासन पर बैठाया. यह वह मौक़ा था, जब उन्होंने शायद ऐसी स्थिति को बनने से रोक दिया था, कि कोई शुद्ध मेसिडोनियन ख़ून उसके उत्तराधिकार को चुनौती दे सके.”इमेज स्रोत,फारससाम्राज्य पर नज़रडायना स्पेंसर का कहना है कि सिकंदर की सौतेली बहन, यानी क्लियोपेट्रा की बेटी की शादी में एक सुरक्षा गार्ड ने राजा फिलिप द्वितीय की हत्या कर दी थी. गार्ड को भी भागने की कोशिश के दौरान मार दिया गया था. इसलिए यह पता नहीं चल सका कि इस हत्या की वजह क्या थी.लेकिन माना जाता है कि इस हत्या में सिकंदर और उसकी माँ का हाथ हो सकता है. इस हत्या के बाद सिकंदर का हाथ नहीं रुका. उन्होंने एक-एक करके उन सभी लोगों को मार दिया, जो उसके उत्तराधिकार के लिए ख़तरा बन सकते थे.वीडियो कैप्शन, मुग़लों से लोहा लेने वाले बंदा सिंह बहादुर की कहानी

अपने एक सौतेले भाई फिलिप एरिडाइस को छोड़कर, उसने अपने सभी भाइयों, चचेरे भाइयों और उन सभी लोगों को मार डाला, जो उनके राजा बनने के रास्ते में रुकावट बन सकते थे. उनमे से कुछ को तो बहुत ही क्रूरता से मौत के घाट उतरा गया था.आख़िरकार सिकंदर सिंहासन पर बैठे और अब उनकी नज़र फारस साम्राज्य पर थी. फारस साम्राज्य ने 200 से अधिक वर्षों तक भूमध्य सागर से जुड़े इलाक़ों पर शासन किया. यह साम्राज्य इतिहास के वास्तविक सुपर पावर में से एक था. इमेज स्रोत,इमेज कैप्शन,सिकंदर ने प्राचीन शहर पर्सेपोलिस को बर्बाद कर दिया थायुद्ध रणनीति में महारतफारस साम्राज्य की सीमा भारत से लेकर मिस्र और उत्तरी यूनान की सीमा तक फैली हुई थी. लेकिन इस महान साम्राज्य का ख़ात्मा सिकंदर के हाथों हुआ.फारस साम्राज्य की तुलना में एक छोटी लेकिन प्रभावी सेना के हाथों राजा डेरियस तृतीय की हार को इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है.वीडियो कैप्शन,कोहिनूर हीरे के खूनी इतिहास की कहानी इस युद्ध के नतीजे में एक प्राचीन सुपर पावर का पतन हुआ और एक नए और विशाल साम्राज्य के ज़रिए यूनानी संस्कृति और सभ्यता का प्रसार हुआ.इतिहासकार लिखते हैं कि सिकंदर की विजय का श्रेय उनके पिता को भी जाता है, जिन्होंने अपने पीछे एक बेहतरीन फ़ौज छोड़ी थी. जिसका नेतृत्व बहुत अनुभवी और वफ़ादार सेनापतियों के हाथों में था.

हालाँकि, एक चालाक और कुशल दुश्मन को उसके इलाक़े में जा कर हराना, ख़ुद सिकंदर की एक नेता के रूप में बुद्धिमत्ता और युद्ध रणनीति में महारत का कमाल था.इमेज स्रोत,सिकंदर की फौजमेसिडोनिया के लोग हमेशा से एक सैन्य ताक़त नहीं थे. यूनान में, एथेंस, स्पार्टा और थेब्स राज्य ऐतिहासिक रूप से शक्ति के स्रोत रहे हैं. इन राज्यों के नेता मेसिडोनिया के लोगों को जंगली या बारबेरियन कहते थे.सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय ने अकेले ही मेसिडोनिया की सेना को एक ऐसी प्रभावशाली सेना बना दिया था, जिसका डर उस प्राचीन दौर में दूर-दूर तक फैल गया था. फिलिप ने मेसिडोनिया के पूरे समाज को एक पेशेवर सेना के साथ दोबारा संगठित किया.जब इतिहास में गुम एक इस्लामी लाइब्रेरी ने रखी आधुनिक गणित की नींव

उच्च श्रेणी की पैदल सेना, घुड़सवार दस्ते, भाला चलाने वाले और तीरंदाज़ इस सेना का हिस्सा थे. फिलिप की मृत्यु के बाद सिकंदर को यही सेना विरासत में मिली. सिकंदर हमेशा एक बुद्धिमान रणनीतिकार थे.वो जानते थे कि यूनान पर डर और ताक़त से शासन नहीं किया जा सकता. उन्होंने एक सदी पहले फारस साम्राज्य की तरफ से यूनान पर हमले की घटना को, राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया और फारस पर अपने हमले को देशभक्ति के साथ जोड़ कर उचित ठहराया.इमेज स्रोत,फारस के साम्राज्य कारेजिमेंटसिकंदर ने एक प्रोपेगैंडा शुरू किया, जिसमें कहा गया कि मेसिडोनिया के लोग पूरे यूनान की तरफ से फारस पर हमला कर रहे हैं, हालाँकि एक सदी पहले फारस साम्राज्य और यूनान के बीच होने वाली जंग में मेसिडोनिया शामिल ही नहीं था.सन 334 ईसा पूर्व में सिकंदर की सेना फारस साम्राज्य में दाखिल हुई. सिकंदर की 50 हज़ार की सेना को उस समय दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे अधिक प्रशिक्षित सेना का सामना करना था.काशी में कब और कैसे बनी ज्ञानवापी मस्जिद?एक अनुमान के अनुसार, राजा डेरियस तृतीय की मातहत सेना की संख्या 25 लाख थी, जो उसके पूरे साम्राज्य में फैली हुई थी. इस सेना का दिल कहे जाने वाले दस्ते को ‘अमर सेना’ कहा जाता था. यह 10 हज़ार सैनिकों की एक इलीट रेजिमेंट थी.इस इलीट रेजिमेंट की संख्या 10 हज़ार से कम नहीं होने दी जाती थी. युद्ध के दौरान, जब इस दल का कोई सैनिक मारा जाता था, तो दूसरा उसकी जगह ले लेता था और कुल संख्या पूरी रहती थी.

Source;-“BBC News”

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