24 जनवरी 2022 | कहते हैं, जब तक इंसान गलतियां नहीं करता, तब तक बहुत कुछ सीखता नहीं और लाइफ में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार नहीं होता। इसलिए जरूरी है कि लोग गलतियां भी करें और उन गलतियों का उन्हें एहसास भी हो। मगर कई बार पेरेंट्स यह बात भूल जाते हैं और अपने बच्चे को एक सांचे में ढालने की कोशिश करते हैं।
माता-पिता कोशिश करते हैं कि उनके बच्चे गलती न करें और इसके लिए वो बच्चों पर अपने तरीके जरूरत से ज्यादा थोपने लगते हैं। जब पेरेंट्स अपने बच्चों की जिंदगी से जुड़े फैसले खुद ही लेने लगते हैं या ओवर प्रोटेक्टिव हो जाते हैं तो इसे ओवर पेरेंटिंग कहते हैं।
समय के साथ पेरेंटिंग का तरीका बदलना जरूरी
अपने बच्चों की सुरक्षा और बेहतर भविष्य के लिए सभी पेरेंट्स कंसर्न्ड रहते हैं। पेरेंट्स का ऐसा करना स्वाभाविक भी है। बदलती जेनरेशन के साथ पेरेंटिंग का तौर-तरीका भी बदलना जरूरी है। साइंस कहता है कि दो बच्चों पर पेरेंटिंग का एक ही तरीका काम नहीं आता। इसलिए बदलते वक्त के साथ माता-पिता को पेरेंटिंग में बदलाव लाना चाहिए।
Source;-“दैनिक भास्कर”