• April 25, 2024 11:03 am

भास्कर एक्सप्लेनर:ई-स्कूटर में आग से एक और शख्स जिंदा जला; EV इंडस्ट्री में हड़कंप; जानिए कैसे मौत का सामान बनीं बैटरियां

28 अप्रेल 2022 | भारत में पिछले एक महीने में ई-स्कूटरों में आग लगने के 7 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। ऐसे में ई-स्कूटरों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। देश में कई स्टार्टअप ई-स्कूटर के बाजार में अपने टू-व्हीलर बेच रहे हैं। आंध्र प्रदेश में 23 अप्रैल को इलेक्ट्रिक स्कूटर की बैटरी में धमाके के बाद फिर एक व्यक्ति की मौत हो गई।

ई-स्कूटरों में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और ग्राहकों के मन में इन्हें लेकर शंकाएं पैदा होने लगी हैं। आग लगने की घटना सिर्फ एक कंपनी में ही नहीं, बल्कि ओला, ओकीनावा, बूम मोटर्स, जितेंद्र इलेक्ट्रिक और प्योर कंपनियों के ई-स्कूटरों में हो चुकी है। इसके चलते ओला और ओकीनावा जैसी कंपनियों ने अपने ई-स्कूटर को वापस मंगाया है।

ऐसे में आइए जानते हैं कि इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की घटनाएं लगातार क्यों बढ़ रही हैं? क्या ज्यादा गर्मी की वजह से ऐसा हो रहा है? सरकार ने अब तक इस तरह की घटना को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

इन सवालों के जवाब जानने से पहले चलिए एक पोल में हिस्सा लेते हैं

इस साल इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की घटना कहां सामने आई?

  • सबसे पहली घटना 25 मार्च को तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में सामने आई। यहां ओकीनावा (Okinawa) कंपनी के ई-स्कूटर को रात में चार्जिंग के लिए छोड़ देने के बाद अचानक उसमें आग लग गई। इससे एक 45 वर्षीय व्यक्ति और उसकी 13 वर्षीय बेटी की दम घुटने से मौत हो गई। पुलिस ने शुरुआती जांच में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट को बताया।
  • दूसरी घटना 26 मार्च को पुणे में हुई, जहां ओला के S1 प्रो इलेक्ट्रिक स्कूटर में अचानक आग लग गई, इसका वीडियो ऑनलाइन वायरल हुआ था। ओला S1 प्रो को कंपनी ने पिछले साल लॉन्च किया था।
  • तीसरी घटना 28 मार्च को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले के मणप्पराई में हुई, जहां ओकीनावा के ई-स्कूटर में आग लगने की घटना सामने आई।
  • चौथी घटना 30 मार्च को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुई, जहां हैदराबाद के स्टार्टअप प्योर के लाल रंग के ई-स्कूटर में आग लगने की घटना घटी।
  • पांचवीं घटना 9 अप्रैल को नासिक में मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर हाल ही में इलेक्ट्रिक स्कूटर ले जा रहे एक कंटेनर ट्रक में आग लग गई। इससे इसमें रखे 20 इलेक्ट्रिक स्कूटर जलकर राख हो गए। नासिक स्थित EV फर्म जितेंद्र इलेक्ट्रिक ने कहा है कि वह घटना की जांच कर रही है।
  • छठी घटना 20 अप्रैल को तेलंगाना के निजामाबाद जिले की है। यहां प्योर के इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने से 80 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई और परिवार के चार अन्य सदस्य गंभीर रूप से झुलस गए।
  • सातवीं घटना 23 अप्रैल को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में हुई। यहां पर 40 वर्षीय कोटाकोंडा शिव कुमार ने एक दिन पहले 22 अप्रैल को बूम मोटर्स की इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदी थी और उसने अपने कमरे में चार्जिंग के लिए लगाया था। चार्जिंग के दौरान बैटरी में विस्फोट हो गया। इस हादसे में गंभीर रूप से जलने और दम घुटने से उनकी मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी और बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं।

ई-स्कूटर बनाने वाली कंपनियों ने अब तक क्या किया है?

  • आग लगने की घटनाओं के बाद कई ई-स्कूटर कंपनियों ने अपने कई मॉडल को वापस मंगवाया है। ओकीनावा ने इस महीने 3,215 ई-स्कूटरों को वापस मंगवा लिया है।
  • ओला इलेक्ट्रिक ने 24 अप्रैल को एक बयान में कहा कि हम उस खास बैच के स्कूटरों की विस्तृत जांच करेंगे, इसलिए कंपनी 1,441 वाहनों की वापसी कर रही है।
  • इससे पहले इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी प्योर ईवी ने तेलंगाना के निजामाबाद और चेन्नई में अपने स्कूटरों में आग लगने की घटनाओं के मद्देनजर ईट्रांस प्लस और ईप्लूटो 7 जी मॉडल के 2,000 स्कूटरों को वापस बुलाया था।
  • पुणे की घटना पर ओला ने कहा था कि हम पुणे की घटना से अवगत हैं और इस घटना की वजह को जानने की कोशिश कर रहे हैं। गाड़ियों की सुरक्षा ओला के लिए सबसे महत्वपूर्ण है और हम अपने प्रोडक्टस पर हाई क्वालिटी स्टैंडर्ड का वादा करते हैं।

सरकार ने अब तक इस तरह की घटना को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

  • भारत ने पिछले महीने ई-स्कूटरों में आग लगने की जांच शुरू की थी। साथ ही सिफारिशें करने के लिए एक्सपर्ट्स की एक कमेटी का गठन किया है। ओला और ओकिनावा की घटनाओं की जांच के लिए केंद्र सरकार स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक टीम भेज रही है। इसके साथ ही केंद्र सरकार एक सख्त ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स यानी AIS की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
  • ई-स्कूटरों में आग लगने की घटनाओं पर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले दिनों सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि जांच होगी और गलती करने वाली कंपनियों को सजा मिलेगी। गडकरी ने बीते दिनों इसे लेकर कई ट्वीट किए थे।
  • गडकरी ने कहा था कि पिछले दो महीनों में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर से जुड़ी कई दुर्घटनाएं सामने आई हैं। यह दुखद है कि इन घटनाओं में कुछ लोगों की जान भी गई है और कई लोग घायल हुए हैं।
  • गडकरी ने कहा था कि अगर किसी कंपनी की प्रक्रिया में लापरवाही मिलती है तो भारी जुर्माना लगाया जाएगा और सभी खराब वाहनों को वापस बुलाने के आदेश दिए जाएंगे।

क्या बैटरी में खराबी और ज्यादा गर्मी की वजह से ऐसा हो रहा है?

  • अभी तक इन ई-स्कूटरों में आग लगने की वजह सामने नहीं आ पाई है। हालांकि, कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी सबसे प्रमुख वजह इन स्कूटरों की बैटरियां हैं।
  • इनमें से ज्यादा ई-स्कूटरों में आग लगने के बाद उनकी बैटरियों से धुएं के उठते गुबार ने बैटरी की वजह से आग लगने की आशंकाओं को बल दिया।
  • ओला, ओकीनावा, बूम मोटर्स, जितेंद्र इलेक्ट्रिक और प्योर कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की वास्तविक वजह का अभी पता नहीं चल पाया है। इन स्कूटरों से जुड़ी कंपनियों ने कहा है कि वे मामले की जांच कर रही हैं।
  • तमिलनाडु में ओकीनावा के ई-स्कूटर में आग लगने के बाद कंपनी ने कहा कि उसके प्राथमिक आकलन के मुताबिक, स्कूटर में आग लगने की वजह चार्जिंग में लापरवाही के कारण हुआ शॉर्ट-सर्किट है।

एक्सपर्ट ने इन वजहों को बताया जिम्मेदार

  • कई हादसों के बीच सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर ई-स्कूटरों में आग क्यों लग रही है। एक्सपर्ट्स सबसे पहले इसके लिए बैटरी को जिम्मेदार बताते हैं। उनका कहना है कि ई-स्कूटर्स में बैटरी ही ऐसा हिस्सा है, जहां आग लग सकती है। इसे लेकर कड़े सुरक्षा नियम अपनाए जाने की जरूरत है।
  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि लिथियम आयन बैटरी वाले टू व्हीलर को कठोर परीक्षण के बाद ही बाजार में बिक्री के लिए उतारने की इजाजत होने चाहिए। साथ ही गाड़ी चलाने के तुरंत बाद उसे चार्जिंग में नहीं लगाना चाहिए।
  • हीरो इलेक्ट्रिक के CEO सोहिंदर गिल ने हाल में एक इंटरव्यू में कहा था कि ई-स्कूटरों की सर्विस बेहद जरूरी है और इसको लेकर ग्राहकों के बीच जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। गिल का कहना है कि डीलर और ग्राहक के बीच इसको लेकर जानकारी और जागरुकता का स्तर बेहद कम है, ग्राहकों को यह बताया जाना चाहिए कि बैटरी की देखभाल कैसे करनी है।
  • सोहिंदर गिल कहते हैं कि कई ग्राहक 40 किलोमीटर तक धूप में गाड़ी चलाते हैं और वापस लौटने के तुरंत बाद बैटरी को चार्ज में लगा देते हैं, जिससे बैटरी उबल जाती है। यह हादसे को दावत देने जैसा है।
  • भारत जैसे देश में जहां तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है वहां थर्मल रनवे की वजह से बैटरियों का टेंपरेचर 90-100 डिग्री तक पहुंच सकता है, जिससे आग लगने की आशंका बढ़ जाती है। भारत के मौसम को ध्यान में रखकर डिजाइन नहीं करने और विदेशों से आयात बैटरियों की वजह से आग लगने जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे बचने के लिए इन बैटरियों को भारत के वातावरण को ध्यान में रखकर देश में ही बनाया जाना चाहिए।
  • इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि ई-स्कूटरों में आग लगने की कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट, बाहरी डैमेज या BMS में कमी से इन बैटरियों में आग लगने का खतरा पैदा हो सकता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माता इन बैटरियों को बड़ी संख्या में चीन से आयात करते हैं, जहां से खराब BMS क्वॉलिटी वाली बैटरियां आती हैं, जिससे बैटरियों में आग लगने समेत कई दिक्कतें आती हैं।
  • statista की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन 2021 में दुनिया में लिथियम-ऑयन बैटरियों का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर था और इस दौरान दुनिया की 79% लिथियम-ऑयन बैटरियां चीन में बनाई गईं।

इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी EV को कौन सर्टिफिकेट देता है?

  • एक्सपर्ट्स ने भारत में EV के उत्कृष्ट सर्टिफिकेशन/ टेस्टिंग एजेंसियों की कमी पर भी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि इसमें बहुत कुछ सुधार करने की जरूरत है।
  • इस समय देश में दो मुख्य एजेंसियां ​ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) और इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (ICAT) है जो भारत में EV सर्टिफिकेशन प्रदान करती हैं।
  • एक्सपर्ट्स ने देश में लॉन्ग टर्म टेस्टिंग की कमी पर भी चिंता जताई। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब हम किसी एजेंसी को बैटरी पैक देते हैं तो उसका टेस्ट करते हैं और वापस देते हुए कहते हैं कि आज की तारीख में यह बैटरी पैक पूरी तरह से ठीक है, लेकिन बैटरी एक डीग्रेडिंग प्रोडक्ट है। तीन या छह महीने में इसकी परफॉर्मेंस में कमी आ जाती है, यह पहले जैसा काम नहीं करती हैं।
  • एक्सपर्ट्स चीन से आयातित होने वाले निम्न क्वॉलिटी वाले सेल के आयात को रोकने के लिए एक स्टैंडर्ड तय करने पर भी जोर देते हैं।
  • एक्सपर्ट्स ने बताया कि कुछ समय पहले सोलर इंडस्ट्री में भी ऐसा ही हुआ था। खराब क्वॉलिटी वाले उत्पादों के आयातों की भरमार हो गई थी, जिसके बाद कड़े पासिंग मानदंड निर्धारित किए गए थे।

ई-स्कूटरों में किन बैटरियों का इस्तेमाल होता है?

  • ई-स्कूटरों में लिथियम-ऑयन यानी Li-ion बैटरियों का इस्तेमाल होता है। आजकल दुनियाभर में स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप और इलेक्ट्रिक कार से लेकर स्मार्टवॉच तक में इन्हीं बैटरियों का इस्तेमाल हो रहा है।
  • ये बैटरियां अन्य बैटरियों की तुलना में ज्यादा ताकतवर और हल्की माना जाती हैं। हालांकि, इन बैटरियों से आग लगने का भी खतरा रहता है, जैसा कि ई-स्कूटरों में हाल के दिनों में नजर आया है।
  • जो खास बातें लिथियम-ऑयन बैटरियों को अन्य बैटरियों की तुलना में बेहतर बनाती हैं, वे हैं उसका हल्का होना, हाई एनर्जी डेंसिटी और रिचार्ज करने की क्षमता। इसके साथ ही लिथियम-ऑयन बैटरियां लेड एसिड बैटरियों की तुलना में ज्यादा लंबे समय तक चलती हैं।
  • लिथियम-ऑयन बैटरियों की सबसे बड़ी खासियत हाई एनर्जी डेंसिटी है, यानी आम बैटरियों से ज्यादा एनर्जी। लेकिन, यही बैटरी में खराबी की वजह भी हो सकती है। जानकारों के मुताबिक, इन बैटरियों की हाई एनर्जी डेंसिटी का मतलब है कि ये सेल कुछ परिस्थितियों में अस्थिर हो सकते हैं, जो इसकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि लिथियम-ऑयन बैटरियां एक सुरक्षित ऑपरेटिंग लिमिट के अंदर ही सबसे अच्छे से काम करती हैं। इन बैटरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम यानी BMS होता है।
  • BMS एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है, जो लिथियम-ऑयन बैटरी पैक में हर सेल से जुड़ा होता है। BMS लगातार बैटरी के वोल्टेज और उसमें फ्लो होने वाले करंट को मापता रहता है।
  • साथ ही BMS कई टेंपरेचर सेंसर से लैस होता है, जो इसे बैटरी पैक के विभिन्न सेक्शन में टेंपरेचर के बारे में जानकारी देता है।
  • यह सारा डेटा BMS को बैटरी पैक के अन्य पैरामीटर्स की कैलकुलेशन में मदद करता है, जैसे चार्जिंग और डिस्चार्जिंग रेट, बैटरी लाइफ साइकिल और एफिशिएंसी। BMS अगर ठीक से काम न करे तो बैटरी में आग लगने जैसी घटनाएं संभव हैं।

Source :- ” दैनिक भास्कर “

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *