हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर स्थित देश का पहला कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड मेहमान परिंदों की अठखेलियों से गुलजार है। झील में 1800 से अधिक प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा दिया है। हजारों किमी दूरी तय कर बैराज झील में पहुंचे प्रवासी पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हैं। सर्दियां बढ़ने पर इनकी संख्या 5 से 6 हजार तक पहुंच जाती है।
21 नवंबर तक आसन झील में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी डेरा जमा चुके हैं। इससे पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों के चेहरे भी खिल उठे हैं। सबसे ज्यादा सुर्खाब अपनी तरफ ध्यान खींचते हैं। झील में कॉमन कारमोरेंट, रुडी शेलडक यानी सुर्खाब, कामन पोचार्ड, कामन कूट, ग्रे लेग लिटिल इगरेट, किंगफिशर, व्हाइट ब्रिस्टेड वाटर हैन, कॉमन मोरेहन, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, वूली नेक्ड स्टॉक, स्पॉट बिल्ड डक व डूबकी मार बतख झील में अठखेलियां करते नजर आ रहे हैं।
बैराज में मेहमान पक्षियों की बढ़ती संख्या पर उत्तराखंड का वन महकमा भी मुस्तैद हो गया है। झील के आसपास सुरक्षा व्यवस्था में काफी इजाफा कर दिया है। सर्दियां बढ़ने पर पक्षियों की संख्या में तेजी से उछाल आता है। दिसंबर के बाद उत्तराखंड चकराता वन प्रभाग की स्थानीय गणना टीम में विदेशी परिंदों की गणना करेगी।
उधर, उत्तराखंड आसन बैराज क्षेत्र के आरओ राजेंद्र हिंगवाण ने बताया कि आसन झील में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक पक्षियों के प्रवास की उम्मीद है। हरियाणा के हथनीकुंड व हिमाचल की सीमा से गुजरती यमुना नदी क्षेत्र का दौरा किया है। इन स्थलों पर भी बैराज में सैकड़ों पक्षी पहुंचते है। बैराज में पक्षियों की बढ़ती संख्या को देख झील व आसपास के जंगलों में सुरक्षा बढ़ाई गई है।