• April 20, 2024 2:57 pm

हिमाचल में सभी डिपो में चलेंगी बसें-एचआरटीसी कर्मियों ने देर रात स्थगित की आज होने वाली हड़ताल, प्रबंधन से आश्वासन मिलने के बाद बदला फैसला- यात्रियों को राहत

18 अक्टूबर 2021 | हिमाचल पथ परिवहन निगम कर्मचारियाें की ओर से साेमवार काे प्रस्तावित हड़ताल रविवार देर रात प्रबंधन से मिले आश्वासन के बाद स्थगित कर दी गई। इससे पहले कर्मचारियाें ने रविवार काे शिमला के ओल्ड बस स्टैंड में गेट मीटिंग कर एक दिन की हड़ताल की पूरी तैयारियां कर ली थी। प्रबंधन की ओर से कर्मचारियाें काे देर रात काे वार्ता के लिए बुलाया गया। जिसमें हड़ताल काे स्थगित करने पर सहमति बनी। कर्मचारियाें की मुख्य मांग है कि उन्हें समय पर सैलरी दी जाए और वर्ष 2015 से लटके हुए उनके वित्तीय लाभ जारी किए जाएं।

हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम समन्वय समिति के महासचिव खेमेंद्र गुप्ता का कहना है कि हमारी मांगाें पर लिखित ताैर पर मांगाें काे पूरा करने का आश्वासन दिया गया है, जिसमें समय पर सैलरी के अलावा रुके हुए वित्तीय लाभ जारी करने के लिए सरकार और प्रबंधन तैयार है। ऐसे में हम साेमवार काे प्रस्तावित एक दिन की हड़ताल काे वापस ले रहे हैं। उनका कहना है कि अगल भविष्य में मांगाें काे नहीं माना गया ताे दाेबारा से रणनीति तैयार की जाएगी।

इससे पहले कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से लोकल रूट और लॉन्ग रूट पर जाने वाले यात्रियों की चिंता बढ़ गई थी। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर बसें एचआरटीसी की जाती हैं। इन क्षेत्रों में ज्यादा दिक्कत होनी थी। मगर देर रात हड़ताल न करने की घोषणा एचआरटीसी कर्मियों ने टाल दी है जिस वजह से यात्रियों को राहत मिली है।

पहले ही घाटे में चल रहा एचआरटीसी

एक दिन की हड़ताल से एचआरटीसी काे लाखाें रुपए का घाटा हाेना था। काेराेना की वजह से पहले ही एचआरटीसी घाटे में चल रहा है। बीते वर्ष काेराेना के कारण करीब तीन माह तक एचआरटीसी की सेवाएं बंद रही थी। उसके बाद नवंबर में लाॅक डाउन से भी एचआरटीसी की सेवाएं कई दिन बंद रही थी। काेराेना के कारण एचआरटीसी काे कराेड़ाें रुपए का घाटा सहन करना पड़ा था। इस वजह से भी एचआरटीसी कर्मियाें काे सैलरी का संकट हाे रहा है। हालांकि कर्मचारियाें काे भी समय पर सैलरी और वित्तीय लाभ ना मिलने से परेशानी उठानी पड़ रही है।

हड़ताल हाेती ताे आम लाेगाें समेत पर्यटकाें काे हाेती परेशानी

​प्रदेश की बात करें ताे यहां पर 23 डिपुओं में 3200 बसें सेवाएं दे रही हैं। जिसमें सबसे ज्यादा शिमला और कांगडा जिला में बसें चलती है। शिमला की बात करें ताे यहां पर शहर के उपनगराें के रूटाें पर एचआरटीसी की बसें चलती है। ऐसे में स्थानीय लाेगाें और पर्यटकाें काे परेशानी उठानी पड़ती। सुबह ड्यूटी पर आने के लिए ज्यादात्तर लाेग सरकारी बसाें में ही आते हैं। साेमवार काे पहले दिन ही लाेगाें परेशानी हाेती, उन्हें समय पर बसें नहीं मिलती। मगर अब हड़ताल के स्थगित हाेने से उन्हें राहत मिलेगी।

कर्मचारियाें ने ये रखी हैं मांगें

कर्मचारियों की मुख्य मांगों में एचआरटीसी को रोडवेज का दर्जा देना, भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना, पीस मील कर्मचारियों को एकमुश्त अनुबंध पर लाना, चालकों का पूर्व की भांति 9880 रुपए का आरंभिक वेतनमान बहाल करना, परिचालकों को आरंभिक वेतनमान एवं एसीपी स्कीम का लाभ देना जैसी मांगें शामिल हैं। कर्मचारियाें का कहना है कि जनवरी 2016 से 13 प्रतिशत आईआर, जनवरी 2019 से 4 प्रतिशत डीए, जुलाई 2019 से 5 प्रतिशत और जुलाई 2021 से 6 प्रतिशत डीए सहित 34 माह का ओवरटाइम, पेंशन, ग्रेच्युटी, लीव इनकैशमेंट, जीपीएफ सहित कई प्रकार के एरियर के रूप में कर्मचारियों के करीब 580 करोड़ रुपए के वित्तीय भुगतान लंबित हैं। इन मांगों को पूरा करने का आश्वासन मिला है।

Source :- दैनिक भास्कर

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