28 अक्टूबर 2022 | हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इस साल देवउठनी एकादशी 04 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तिथि को पूरे भक्ति भाव से मनाने पर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इससे पूर्व चातुर्मास के दिनों में भगवान क्षीर सागर में सोते हैं। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। देवउठनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
देवउठनी एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी की तिथि गुरुवार 3 नवंबर को संध्याकाल में 7 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 4 नवंबर को संध्याकाल में 6 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। जिसके चलते साधक 4 नवंबर को भगवान की पूजा कर उपवास रख सकते हैं। वहीं 5 नवंबर को सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक पारण कर सकते हैं।
देवउठनी एकादशी पूजा विधि
दशमी तिथि के दिन से ही लहसुन, प्याज सहित तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए। इसके अगले दिन एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में उठे। नित्य कर्मों से निवृत होकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद व्रत संकल्प लें। अब सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, कपूर, बाती, पीले मिष्ठान्न आदि से करें। अंत में आरती करें। दिनभर उपवास रखें और संध्याकाल में आरती करने के पश्चात फलाहार करें। दिन में एक बार फल और जल ग्रहण कर सकते हैं। 5 नवंबर को नित्य दिनों की तरह ही पूजा कर पारण कर सकते हैं। इसके ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न दान कर भोजन ग्रहण करें।
सोर्स :-“नईदुनिया”