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मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना ने हरियाली संग जीविका दीदियों को किया सबल

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Jan 6, 2021
मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना ने हरियाली संग जीविका दीदियों को किया सबल
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दरभंगा। मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना के तहत जिले में जीविका दीदियां मिशाल कायम कर रही हैं। योजना के तहत दरभंगा में नौ नर्सरी संचालित है। कोरोना संक्रमण और बाढ़ के प्रकोप के बीच इस योजना को जिले की जीविका दीदियों ने अपनी मेहनत के बल पर सफल बनाकर मिशाल कायम की हैं। योजना के तहत प्रत्येक नर्सरी में 20 हजार पौधे तैयार किए जाते हैं। इन तैयार पौधों को वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से दो लाख बीस हजार रुपये दी जाती है। विभाग जीविका दीदियों द्वारा तैयार पौधों की खरीदारी की गारंटी लेता है। सरकार जीविका दीदी को रोजगार से जोड़ने के लिए यह योजना शुरू की है। योजना से हरियाली अभियान के साथ ही रोजगार के भी अवसर पैदा हो रहे हैं। योजना से महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं। राज्य में अभी 198 नर्सरी जीविका दीदियां चला रही हैं। वहीं जिले में नौ नर्सरी जीविका दीदियों द्वारा चलाई जा रही है।

  • आधा एकड़ जमीन से योजना की कर सकते हैं, शुरूआत

नर्सरी के लिए जीविका प्रबंधन ने शर्तें तय की हैं, जिसमें चयनित अभ्यर्थी के पास कम से कम आधा एकड़ जमीन होनी चाहिए। यह जमीन गांव के अंदर भी हो सकती है, लेकिन उस भूखंड का जुड़ाव किसी न किसी प्रकार से सड़क से हो, ताकि वहां पौधों की ढुलाई एवं आपूर्ति में कोई कठिनाई नहीं हो। अभी जिले में कुल नौ समेत राज्य में 198 नर्सरी चल रही हैं। जीविका दीदी ही ये नर्सरी चल रही हैं।

  • सुनीति और आशा मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना से कमा रही लाखों

जल जीवन हरियाली अभियान मिशन के तहत जिले में मुख्यमंत्री निजी पौधशाला के रूप में विभिन्न प्रखंडों में नौ पौधशाला चल रहे हैं। इसमें सिंहवाड़ा और तारडीह प्रखंड की जीविका दीदी ने मिशाल कायम की हैं। विगत वर्ष के अंदर सिंहवाड़ा प्रखंड के आस्था जीविका स्वंय सहायता समूह की जीविका दीदी आशा देवी और तारडीह प्रखंड के नारायणपुर गांव के संगीता स्वंय सहायता समूह की सुनिता कुमारी सिन्हा ने पौधरोपण से लाखों रुपये कमा चुकी हैं। निजी पौधशाला ने दिया लाभ

बाढ़ और कोरोना काल के बीच वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना से आर्थिक रूप से सबल हुई हैं। कहती हैं, समस्तीपुर के पूसा कृषि अनुसंधान केंद्र से 40 हजार रुपये के मोहगनी, सागवान, अर्जुन, गम्हार, सिम्मर आदि पौधों के बीज लिए थे। पौधशाला में 20 हजार से अधिक पौधे तैयार किए। वन एवं पर्यावरण विभाग को 20 हजार पौधे मुहैया करवाई। इसकी एवज में विभाग ने अग्रिम राशि के रूप में 88 हजार और दूसरे किस्त के रूप में 90 हजार रुपये दिए गए। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पौधे बेच कर 70 हजार रुपये की आमदनी हुई । कुल मिलाकर ढाई लाख रुपये का मुनाफा हुआ है।

  • बाढ़ के बाद भी मिली कामयाबी

जल जीवन हरियाली मिशन के तहत मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना से काफी लाभ मिला है। कहती हैं, सिंहवाड़ा प्रखंड बाढ़ की चपेट में आ गया था। इसके बाद भी कोरोना और बाढ़ के बीच फसल बर्बाद होने के बावजूद भी आर्थिक रूप से सबल हुई हूं। समस्तीपुर के पूसा कृषि अनुसंधान केंद्र से वर्ष 2020 में 20 हजार रुपये के मोहगनी, सागवान, अर्जुन, बकाइन, ऐकेशीया, गम्हार, सिम्मर आदि पौधों के बीज लाए थे। वप्ष 2020 में नर्सरी में कुल 26 हजार पौधे तैयार किए थे। इसके लिए वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से 88 हजार रुपये अग्रिम राशि दी गई थी। दूसरे किस्त में 27 हजार दी गई। कहा कि 10 हजार चार सौ 50 पौधे वन विभाग को दी थी। शेष बचे पौधे बाढ़ की त्रासदी में बर्बाद हो गए थे।


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