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आ रहा ठंड का मौसम, Vitamin-D की कमी है तो शरीर में दिखेंगे ये संकेत

ByPrompt Times

Oct 11, 2021
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11-अक्टूबर-2021  | शरीर को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना बेहद जरूरी होता है। संतुलित आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट के संतुलन के साथ ही मल्टीविटामिन, फाइबर आदि पोषक तत्वों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। विटामिन्स भी हमारे शरीर को मजबूत रखने में काफी मदद करते हैं और इससे Vitamin-D काफी अहम होता है। विटामिन-D हमारे शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है। कैल्शियम और फॉस्फेट के संतुलन से ही शरीर में हड्डियां, दांत और मांसपेशियों स्वस्थ और मजबूत रहती है। अक्सर हम देखते हैं सर्दियों के मौसम में मांसपेशियों और हड्डी से संबंधित दर्द शुरू हो जाते हैं। दरअसल विटामिन डी का प्रमुख स्रोत सूर्य का प्रकाश होता है और सर्दियों में सूर्य का प्रकाश कम मिलने के कारण शरीर में विटामिन डी का निर्माण नहीं हो पाता है। यहीं कारण है कि कई लोग आजकल विटामिन डी के सप्लीमेंट का भी इस्तेमाल करने लगे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हो सकता है।

Vitamin-D कई खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से नहीं होता है। यदि हल्की धूप में रोज करीब 20 से 30 मिनट बैठ जाए तो शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल सकता है, लेकिन इसके बावजूद कई लोग सप्लीमेंट लेते हैं, जो काफी खतरनाक साबित हो सकता है। अधिकांश खाद्य पदार्थों में विटामिन डी बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। शरद ऋतु और सर्दियों के दौरान अपने आहार से विटामिन डी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है क्योंकि सूरज की रोशनी कम होने के कारण शरीर विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाता है। हेल्थ विशेषज्ञों का मानना है कि 9 से 70 वर्ष की आयु के लोगों के लिए विटामिन डी 600 IU जरूरी होता है। कई बार विटामिन डी का सप्लीमेंट भी दिया जाता है लेकिन 4,000 IU से अधिक का डोज शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।

इन चीजों के सेवन से मिलेगा Vitamin-D

मछली का तेल, रेड मीट, अंडे की जर्दी आदि के सेवन से विटामिन डी पर्याप्त मात्रा मिलता है। इसके अलावा यदि आप शाकाहारी हैं तो फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ भी चुन सकते हैं।

Vitamin-D का ज्यादा सेवन भी पहुंचा सकता है नुकसान

लंबे समय तक बहुत अधिक Vitamin-D की खुराक लेने से शरीर में बहुत अधिक हो सकता है क्योंकि इससे शरीर में कैल्शियम का निर्माण ज्यादा होने लगता है और हड्डियों कमजोर होने के साथ किडनी में पथरी के साथ-साथ हार्ट को भी नुकसान हो सकता है।

बच्चों में हो सकती है रिकेट्स की समस्या

विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स जैसी हड्डियों की परेशानी हो सकती है। इसके अलावा वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया नामक बीमारी भी हो सकती है। इसके अलावा Vitamin-D की कमी के कारण कुछ लोगों में सामान्य थकान, दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन जैसी समस्या भी देखने को मिलती है। मांसपेशियों की कमजोरी के कारण सीढ़ियां चढ़ने आदि में भी परेशानी हो सकती है। विटामिन डी की कमी के कारण हड्डी में हेयरलाइन फ्रैक्चर की समस्या भी हो सकती है।

शहरों में 70 फीसदी लोगों में Vitamin-D की कमी

शहरों में आजकल अनियमित जीवन शैली के कारण शरीर में Vitamin-D की कमी ज्यादा देखने को मिल रही है। धूप में निकलने से बचते हैं इसलिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में Vitamin-D नहीं मिल पाता है। कई शोध में ये दावा किया गया है कि भारत की शहरी आबादी में करीब 70 से 90 प्रतिशत लोग Vitamin-D की कमी से जूझ रहे हैं।

शहरों में 70 फीसदी लोगों में Vitamin-D की कमी

शहरों में आजकल अनियमित जीवन शैली के कारण शरीर में Vitamin-D की कमी ज्यादा देखने को मिल रही है। धूप में निकलने से बचते हैं इसलिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में Vitamin-D नहीं मिल पाता है। कई शोध में ये दावा किया गया है कि भारत की शहरी आबादी में करीब 70 से 90 प्रतिशत लोग Vitamin-D की कमी से जूझ रहे हैं।

साल्मन फिश है Vitamin-D को बेहतर सोर्स

साल्मन फिश विटामिन डी का सबसे अच्छा सोर्स होता है। साथ ही इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मात्रा में होता है। करीब 100 ग्राम साल्मन फिश में 66 प्रतिशत Vitamin-D होता है।

भारत में देसी गाय का दूध में विटामिन डी

​गाय का दूध Vitamin-D का प्रमुख सोर्स है। यहां एक बात यह भी जान लेना चाहिए कि ब्रिटेन में हाल ही में एक शोध में दावा किया गया है कि गाय के दूध में विटामिन डी नहीं होता है, लेकिन इसके विपरीत भारत में पाई जाने वाली देसी गाय से मिलने वाले A2 मिल्क में विटामिन डी भी काफी मात्रा में पाया जाता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Source;-“नईदुनिया”


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