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फैसला- अलीगढ़-जामिया सीयूसीईटी में नहीं होंगे शामिल, कहा- अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन

25 जनवरी 2022 | केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति 2020 के तहत 2021 सत्र से सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रोगाम में दाखिले संयुक्त प्रवेश परीक्षा से करवाने का फैसला लिया था। इसका मकसद दिल्ली यूनिवर्सिटी की 100 फीसदी कटऑफ से निजात, सभी छात्रों को बड़े विश्वविद्यालयों  में पढ़ाई के समान अवसर देना, एक आवेदन पत्र से दाखिला होने से अभिभावकों को आर्थिक फायदा देना आदि शामिल था।

देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 से स्नातक प्रोगाम में दाखिला संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूसीईटी) की मेरिट से होनी है, लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं। दरअसल, दोनों विश्वविद्यालय खुद को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान मानते हैं, लेकिन सरकार नहीं। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रबंधन ने फैसला लिया है कि वह आगामी सत्र यानी 2022-23 में स्नातक प्रोग्राम की दाखिला प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं करेंगे।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति 2020 के तहत 2021 सत्र से सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रोगाम में दाखिले संयुक्त प्रवेश परीक्षा से करवाने का फैसला लिया था। इसका मकसद दिल्ली यूनिवर्सिटी की 100 फीसदी कटऑफ से निजात, सभी छात्रों को बड़े विश्वविद्यालयों  में पढ़ाई के समान अवसर देना, एक आवेदन पत्र से दाखिला होने से अभिभावकों को आर्थिक फायदा देना आदि शामिल था। शिक्षा मंत्रालय ने इसकी जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को सौंपी हुई है। इसी बीच 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते शैक्षणिक सत्र 2021-22 में संयुक्त प्रवेश परीक्षा से स्नातक प्रोग्राम में दाखिला प्रक्रिया की योजना शुरू नहीं हो पाई।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को तैयारी और अपनी अकेडमिक और एग्जीक्यूटिव काउंसिल में प्रस्ताव लाने समेत मंजूरी को लेकर पत्र भी लिखा था। इसके आधार पर अधिकतर केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 में स्नातक प्रोग्राम में दाखिले संयुक्त प्रवेश परीक्षा से करवाने की घोषणा कर दी है। क्योंकि पहले चरण में संयुक्त प्रवेश परीक्षा से स्नातक में दाखिले की शुरुआत केंद्रीय विश्वविद्यालयों से ही होनी है। इसके बाद राज्य समेत अन्य विश्वविद्यालय इस प्रक्रिया से जुड़ेंगे।

मामला अदालत में, जैसा विवि चाहेगा, वैसे फैसला लेंगे
जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 से स्नातक प्रोग्राम में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में जाने का कोई फैसला नहीं किया है। जामिया अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान है या नहीं, इसका मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। इसलिए फिलहाल कोई बदलाव नहीं हो सकता है। वहीं, कुलपति के रूप में मैं सरकार या यूजीसी का कोई फैसला विश्वविद्यालय पर नहीं थोपूंगी। विश्वविद्यालय के सभी ?पक्षों का जो फैसला होगा, वही आखिरी होगा। अकेडमिक और एग्जीक्यूटिव काउंसिल में अभी तक ऐसे किसी  प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई है। -प्रो. नजमा अख्तर, कुलपति, जामिया मिल्लिया इस्लामिया।

अदालत में मामला विचाराधीन तब तक कोई बदलाव नहीं
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान है या नहीं, यह मामला सर्वोच्च अदालत में विचाराधीन है। अदालत ने अपने आदेश में दाखिला प्रक्त्रिस्या में यथावत स्थिति रखने को कहा है। इसलिए हम फिलहाल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 2022 -23 सत्र से स्नातक प्रोग्राम में दाखिला संयुक्त प्रवेश परीक्षा से करवाने वाली योजना में शामिल नहीं हो रहे हैं। हम पहले जैसे स्नातक प्रोग्राम में दाखिला लेते हैं, वैसे ही आगे भी करेंगे। आगे अदालत जो फैसला लेगी, उसके आधार पर विश्वविद्यालय अपना निर्णय लेगा। – प्रो. एम शैफी किदवई, प्रवक्ता, अलीगढ़ मुस्लिम विवि।

Source;-“अमर उजाला”

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