20 अक्टूबर 2021 | महिलाओं की तुलना में 31.62 लाख से अधिक पुरुषों ने लिया कोरोना का सुरक्षा कवच। दिल्ली में लैंगिक असामनता पर काम करना बहुत जरूरी, सरकार का ध्यान नहीं। राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना टीकाकरण में लैंगिक अंतर में सुधार होता दिखाई दिया है लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में स्थिति इसके एकदम उलट है। टीकाकरण को तैयार लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीआई) में दिल्ली सबसे निचले पायदान पर पहुंच गई है। वैक्सीन लगवा चुके पुरुष और महिलाओं के बीच 31.62 लाख से भी अधिक का अंतर दर्ज किया गया है। यूनेस्को ने सामाजिक आर्थिक सूचकांक के आधार पर कोरोना टीकाकरण को लेकर लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीआई) तैयार किया है। इसके मुताबिक, भारत में यह सूचकांक 0.9 से बढ़कर 0.98 तक पहुंचा है। वहीं, दिल्ली के लिए यह आंकड़ा 0.83 है। दरअसल लैंगिक समानता सूचकांक का पता लगाने के लिए लिंगानुपात और वैक्सीन लेने वालों की संख्या को विभाजित करके निकाला गया है। अगर आदर्श जीपीआई की बात करें तो यह एक अंक माना जाता है। अगर सूचकांक एक अंक से कम रहता है यह इस बात का संकेत है कि लैंगिक समानता पुरुषों के पक्ष में है जबकि एक अंक से अधिक होने पर यह महिलाओं के पक्ष में है।इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस रिसर्च के सहायक प्रोफेसर सचिन पांडे का कहना है कि दिल्ली को जीपीआई नहीं भाइ है और यह खिसकते हुए नीचे पहुंची है। उन्होंने यह भी कहा कि लैंगिक समानता को लेकर दिल्ली दिल तोड़ती दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान प्रवास काफी देखने को मिला था। उदाहरण के तौर पर देखें तो दिल्ली का कोई नौकरीपेशा परिवार लॉकडाउन में अपने गांव पहुंच गया। वहां उन्होंने वैक्सीन भी ले ली जो उक्त राज्य के हिसाब में जुड़ गई। इसलिए यह दिल्ली की गिनती से बाहर है। ऐसी स्थिति मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में देखने को मिल रही है।
1.14 करोड़ पुरुष की तुलना में 82 लाख महिलाओं को वैक्सीन
अगर कोविन वेबसाइट की रिपोर्ट देखें तो दिल्ली में 16 जनवरी से अब तक 1,14,50,037 पुरुषों की तुलना में 82,88,036 महिलाओं का ही अब तक टीकाकरण हो पाया है। वहीं 5613 ट्रांसजेंडर को वैक्सीन की खुराक दी गई है। मंगलवार दोपहर तक दिल्ली में कुल टीकाकरण 1,97,43,686 हो चुका है। चूंकि अभी 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की व्यस्क आबादी का ही टीकाकरण किया जा रहा है।
मतदाता सूची से भी अधिक टीकाकरण
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय (सीईओ) के अनुसार दिल्ली में मतदाता सूची में कुल 1,46,92,136 मतदाता हैं। इनमें 80,55,686 पुरुष और महिलाओं की संख्या 66,35,635 है। वहीं, 815 ट्रांसजेंडर मतदाता भी हैं। इन सभी की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है। हालांकि, एक तथ्य यह भी है कि मतदाता सूची से टीकाकरण का मिलान करें तो वैक्सीन लेने वाले पुरुष और महिलाओं की संख्या ज्यादा ही मिलेगी। इस पर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि दिल्ली में एनसीआर से भी लोग वैक्सीन लगाने आ रहे हैं जिसकी वजह से टीकाकरण अधिक है। इसके बावजूद जीपीआई में दिल्ली कमजोर है।
दूसर जगह स्थिति यहां से बेहतर
कोविन वेबसाइट, यूनेस्को का सूचकांक और अन्य सभी आंकड़ों को एकजुट करने के बाद तैयार सूचकांक के अनुसार आंध्र प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में यह एक अंक से भी कहीं ऊपर है, जो संतोषजनक है। जबकि गुजरात, गोवा और दिल्ली में यह 0.9 से नीचे है। प्रो.सचिन पांडे ने कहा कि पिछले चार महीने में राष्ट्रीय स्तर पर काफी सुधार आया है लेकिन दिल्ली में अभी ऐसा देखने को नहीं मिला।
गर्भवती महिलाओं में डर बड़े कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली जैसे महानगर में लैंगिक असामनता गंभीर मुद्दा है। जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. शांतनु सेन का कहना है कि गर्भवती महिलाओं में टीकाकरण के प्रति डर का माहौल भी एक कारण है लेकिन सरकार को इस पर अधिक जोर देना चाहिए। जागरुकता के साथ साथ टीकाकरण केंद्रों और उनके आसपास के ्षेत्रों में जिला स्तरीय टीमों को काम करना चाहिए। दिल्ली सहित देश भर में करीब चार से पांच फीसदी गर्भवती महिलाओं की आबादी है जिनमें से अब तक केवल 1.50 लाख ने ही वैक्सीन लिया है।
Source :- अमर उजाला