• April 20, 2024 1:21 pm

हिमाचल में भी डेंगू-261 मरीज मिले-सोलन में सबसे ज्यादा 194 मामले, शहरी क्षेत्रों में ज्यादा पनप रहा मच्छर और लारवा

23 अक्टूबर 2021 | हिमाचल प्रदेश में भी लगातार डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। डेंगू के अधिकतर मामले शहरी और अर्धशहरी क्षेत्रों में मिले हैं। रोजाना डेंगू के मामले सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है। जनवरी से लेकर अभी तक हिमाचल प्रदेश में डेंगू के 261 मामले सामने आ चुके हैं। सोलन जिला में डेंगू का ज्यादा प्रकोप है। यहां पर औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में नए मामले ज्यादा आ रहे।

डेंगू की जांच के लिए अभी तक 2400 से ज्यादा सैंपल लिए गए, जिनमें से 261 लोग संक्रमित मिले। हालांकि हिमाचल में अब मानसून जा चुका है और ठंड शुरू हो चुकी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग कयास लगा रहा है कि ठंड बढ़ने के साथ-साथ डेंगू का प्रकोप भी कम हो जाएगा। इसके अलावा जिन क्षेत्रों में डेंगू के मामले ज्यादा आ रहे हैं, वहां पर लोगों को एहतियात बरतने के लिए कहा जा रहा है।

प्रदेश के लिए राहत भरी बात यह है कि अभी तक किसी भी व्यक्ति की मौत डेंगू से नहीं हुई है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग लगातार लोगों को सतर्क रहने की सलाह दे रहा है और घरों के आसपास सफाई बनाए रखने व पानी जमा न होने देने की भी हिदायत दे रहा है। शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर मामले सामने आ रहे हैं।

साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर
लोगों के मन में अभी भी यह धारणा है कि डेंगू का मच्छर गंदगी में फैलता है, लेकिन इसके बिल्कुल विपरीत डेंगू का मच्छर साफ खड़े पानी में पनपता है। जब बारिश या अन्य तरह का पानी एक जगह एकत्रित हो जाता है तो डेंगू के मच्छर के लिए यह अंडे देने का बेहतर स्थान होता है। साफ पानी में अंडे देने के बाद डेंगू का मच्छर दो सप्ताह में तैयार हो जाता है। इतना ही नहीं घरों में रखे गमलों समेत फ्रिज के पीछे एकत्रित होने वाले पानी में भी डेंगू के मच्छर पनप जाते हैं। ऐसे में अपने घर के आसपास पानी एकत्रित न होने दें और पानी के बर्तनों को भी ढक कर रखना चाहिए, ताकि मच्छर उसमें अंडे न दे सकें। गंदे पानी में केवल मलेरिया का मच्छर पनपता है।

4 साल पहले बिलासपुर में डेंगू ने मचाया था कोहराम
बिलासपुर जिला में डेंगू ने 4 साल पहले कोहराम मचा दिया था। 2 महीने के भीतर यहां 3000 के ज्यादा डेंगू के मामले सामने आए थे, जबकि मंडी के एक व्यक्ति की मौत अस्पताल ले जाते समय हो गई थी। डेंगू की वजह से शरीर में प्लेटलेट्स कम हो गए थे। यह मरीज अन्य कई बीमारियों से भी ग्रसित था। बिलासपुर जिला का डियारा सेक्टर उस समय हॉटस्पॉट बन गया था। यहां पर हर घर में 3 से 4 लोग डेंगू से ग्रसित पाए गए थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से डेंगू को लेकर 3 से 4 टीमें शोध के लिए भी भेजी गई थीं। जिन्होंने मच्छर पकड़कर उन पर अध्ययन किया था और उस अध्ययन में यह बात सामने आई थी कि बिलासपुर जिला में जो डेंगू का मच्छर पनपा है, वह लोगों की लापरवाही से पनपा है, लेकिन यह मच्छर ज्यादा घातक नहीं है। इसके बाद जब ठंड का मौसम शुरू हुआ तो यहां पर डेंगू के मामले कम हो गए और उसके बाद आज तक यहां पर डेंगू के ज्यादा मामले सामने नहीं आए हैं।

डेंगू होने पर शरीर में होती है प्लेटलेट्स की कमी
डेंगू होने पर शरीर में प्लेटलेट्स की कमी होनी शुरू हो जाती है। प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो खासतौर पर बोनमैरो में पाई जाती हैं। शरीर में प्लेटलेट्स की कमी इस बात को दिखाती है कि खून में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हो रही है। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सामान्य प्लेटलेट्स काउंट 1 लाख 50 हजार से 4 लाख 50 हजार प्रति माइक्रोलीटर होते हैं। अगर यह 1 लाख 50 हजार से नीचे आ जाए तो लो प्लेटलेट्स माना जाता है।

कैसे दिखता है डेंगू का मच्छर
डेंगू फैलाने वाला एडीज इजिप्ट एक छोटे गहरे रंग का मादा मच्छर है। जिसकी टांगें बंधी हुई होती हैं। इस वजह से यह मच्छर ज्यादा ऊपर नहीं उड़ पाते और यही मादा मच्छर डेंगू फैलाती है। दूसरे मच्छरों की तुलना में छोटे होते हैं। इसके शरीर पर चीते जैसी धारियां बनी होती हैं। जबकि नर मच्छर के पैर पर सफेद रंग की धारियां होती हैं। यह मच्छर कभी भी काट सकता है, जब इसे भूख लगी हो। वैज्ञानिक बताते हैं कि ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाने के कारण यह घुटनों के नीचे ही इंसानों को काटते हैं। अगर इंसान बारिश के मौसम के बाद पूरे शरीर को ढक कर रखें तो मच्छरों के काटने का खतरा कम रहता है।

Source :- दैनिक भास्कर

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