13-अक्टूबर-2021 | इन दिनों ढाका में अलग ही नजारा दिख रहा है। पूरा शहर नवरात्र की रोशनी में जगमग है। दुर्गा उत्सव यहां हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। सबसे अधिक उत्साह षष्ठी से दशमी के बीच देखने को मिलता है। लोग साल भर इन 10 दिनों का इंतजार करते हैं। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस साल बांग्लादेश में 32,118 दुर्गा पंडाल सजे हैं। अकेले राजधानी ढाका में 238 पूजा पंडाल लगाए गए हैं। इन सबके बीच बांग्लादेश में हिंदू आस्था का मुख्य केंद्र ढाकेश्वरी शक्तिपीठ भक्तों के जयकारों से गूंज रहा है। नवरात्र के मौके पर इस मंदिर में देश के वीवीआईपी लोगों का जमावड़ा रहता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता, सांसद और भारतीय दूतावास के अधिकारी यहां के हिंदुओं की खुशी में शरीक होते हैं।
मंदिर परिसर में मौजूद रहते हैं हजारों भक्त
नवरात्र के मौके पर हजारों भक्त मंदिर परिसर में मौजूद रहते हैं और शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। कहा जाता है कि ढाकेश्वरी के नाम पर ही इस शहर का नाम ढाका पड़ा है। मान्यता है कि इस जगह पर ही देवी सती का मुकुट गिरा था। इस शक्तिपीठ का निर्माण 12वीं सदी में सेना वंश के शासक ने कराया था। मंदिर परिसर में मां स्वर्ण रूप में विराजित हैं। यह मंदिर बांग्ला वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है, जिसमें एक सीधी रेखा में चार शिव मंदिर भी हैं। शक्तिपीठ ढाकेश्वरी के सदस्य मनिंद्र कहते हैं कि सरकार की तरफ से जारी सभी गाइडलाइन का फॉलो किया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग से आरती होगी। टीवी और सोशल मीडिया पर सीधा प्रसारण हो रहा है। राजधानी ढाका में, मुख्य पूजा मंडप ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर, रामकृष्ण मिशन और मठ, कालाबागान, बनानी, शखरी बाजार और रमना काली मंदिर हैं। यहां की मान्यता है कि दुर्गा पूजा राक्षसों के राजा महिषासुर से लड़ने के लिए सामूहिक ऊर्जा के रूप में दुर्गा के जन्म का प्रतीक है।
Source;-“दैनिक भास्कर”