महराजगंज: जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन की कल्पना बेमानी है। जल की बढ़ती कमी को दृष्टिगत रख उसके संरक्षण की तरफ ध्यान न देकर लोग अपने जीवन पर संकट को न्योता दे रहे हैं। हालत यह है कि पानी के अत्यधिक दोहन के फलस्वरूप प्रति व्यक्ति के लिए उसकी उपलब्धता काफी नीचे पहुंच गई है। इस बीच जल संचय के महत्वपूर्ण संसाधनों पोखर, कुआं, तालाब आदि पर मिट्टी भराई कर कब्जा करते जा रहे हैं। लोगों ने जल संरक्षण के पुराने संसाधनों को पाट दिया या उन पर मकान बनवा लिया अथवा खेती कर रहे हैं।
निचलौल के घोड़हवा वार्ड निवासी किसान सुभाष पटेल।
जिन्होंने पानी की बढ़ती कमी के बीच बीते एक दशक पूर्व अपने 25 डिसमिल उपजाऊ भूमि में एक तालाब की खोदाई कराई।
उद्देश्य जल संरक्षण व आर्थिक लाभ का था। दो लाख की लागत से खोदवाया तालाब
सुभाष पटेल ने बताया कि उन्हें तालाब से मुनाफा कमाने का उद्देश्य नहीं था। फिर भी खेत में तालाब खोदवाया। जिसे खुदवाने के लिए दो लाख रुपये खर्च किए। जबकि ग्रामीणों ने जरूरत के लिए मिट्टी निकाला जिससे तालाब तैयार हो गया। जल संचयन की सोची.
आज मछली पालन से भी मुनाफा होता है-
सुभाष के खेत मे खोदे गए तालाब में पूरे साल पानी लबालब भरा रहता है। तालाब के बांध पर उसी समय उनके द्वारा लगाए गए दर्जनों पौधे आज बड़े होकर उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं। उनका यह तालाब आज जल एवं पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दे रहा है। इसलिए इस तालाब का सामाजिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए सबको करना होगा प्रयास :– किसान सुभाष पटेल कहते हैं कि स्वयं के हित में जल और पर्यावरण संरक्षण के प्रति सबको ध्यान देना चाहिए। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो भविष्य में पानी के लिए इस कदर मारामारी करनी पड़ेगी कि खेती बारी तो दूर, पीने के लिए मोहताज होना पड़ सकता है।