16 जनवरी 2024
साउथ कोरिया में कुत्ते का मांस खाना सदियों पुरानी परंपरा है. अब इस परंपरा के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने कुत्ते के मांस के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया. मगर, इस प्रतिबंध के बावजूद आम लोग चाहें तो अब भी कुत्ते के मांस का सेवन कर सकेंगे.
साउथ कोरिया ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कुत्ते का मांस बेचने पर प्रतिबंध लगाने वाला एक बिल पारित किया है. इसके तहत मांस के लिए कुत्ते की हत्या करना और उसका मांस बेचना अपराध होगा. ये बिल दक्षिण कोरिया की संसद नेशनल असेंबली से पारित कर दिया गया.
आइए आसान भाषा में समझते हैं आखिर क्या है साउथ कोरिया में कुत्ते का मांस खाने का इतिहास, अब क्या आ गया नया नियम और सरकार को प्रतिबंध लगाने की क्यों जरूरत पड़ी.
साउथ कोरिया में कुत्ते का मांस खाने का इतिहास
कुत्ते का मांस साउथ कोरिया में सदियों से खाया जाता रहा है. बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है, यहां पुराने समय में गायों को बहुत मूल्यवान माना जाता था. वे इतनी कीमती थीं कि 19वीं सदी के अंत तक उन्हें काटने के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी. इस बात की जानकारी डॉ जू यंग-हा ने दी है, जो कोरियाई कॉलेज में मानव विज्ञान के प्रोफेसर हैं.
इसलिए कोरिया में रहने वाले लोगों को प्रोटीन के किसी दूसरे स्रोत की आवश्यकता महसूस हुई. धीरे-धीरे उनके लिए कुत्ते का मांस सबसे अच्छे ऑप्शन में से एक बन गया. इसे हर वर्ग के लोग खाने लगे, हालांकि कुछ लोग ऐसे भी थे जो इसे नहीं खाते थे. समय के साथ कुत्ते के मांस से कई तरह की स्वादिष्ट व्यंजन बनने लगे. जैसे कि कुत्ते के मांस का सूप, जिसे बोसिन्तांग (Bosintang) कहा जाता है.
साउथ कोरियाई लोगों का मानना है कि कुत्ते का मांस पचाने में आसान होता है और गर्मी के मौसम में ऊर्जा बढ़ाता है. लेकिन अब दक्षिण कोरियाई सरकार ने इसके व्यापार पर प्रतिबंध लग जाएगा. इसका मतलब है कि अब कुत्तों को काटना या बेचना गैरकानूनी होगा. हालांकि 1960 के दशक में भी सरकार ने कुत्ते के मांस के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया था. फिर 1980 के दशक में हटा दिया गया.
कुत्ते का मांस खाना गैरकानूनी नहीं!
नए कानून के तहत साउथ कोरिया में कुत्ते की हत्या करना और मांस बेचने पर प्रतिबंध लगेगा न कि खाने पर. हां जी, नए कानून में कुत्ते का मांस खाने को गैरकानूनी नहीं बताया गया है. नए कानून के तहत, कुत्ते के मांस का व्यापार करने वाले सभी व्यापारियों को तीन साल का समय दिया गया है. 2027 से पहले उन्हें अपना व्यापार बंद करना होगा.
कानूनी रूप से रजिस्टर्ड सभी डॉग फार्म, बूचड़खानों, व्यापारियों और रेस्टोरेंट को अपनी आगे की योजनाओं के बारे में स्थानीय अधिकारियों को जानकारी देनी होगी. उन्हें बताना होगा कि वे कुत्ते के मांस का व्यापार कब से बंद कर रहे हैं और किस नए व्यापार की योजना बना रहे हैं. इस आधार पर उनका मुआवजा भी तय किया जाएगा. अप्रैल 2022 तक कृषि मंत्रालय ने अनुमान लगाया था कि देश के लगभग 1600 रेस्तरां में परोसे जाने के लिए 1100 फार्म 570,000 कुत्तों का उत्पादन किया जा रहा था.
इसके बाद अगर कोई कुत्ते की हत्या या उसका मांस बेचते पाया जाता है तो उसपर 30 मिलियन वॉन (लगभग 19 लाख रुपये) तक का जुर्माना या तीन साल तक की कैद हो सकती है. खाने के लिए कुत्तों को बेचने और पालने पर भी 2 साल की जेल की सजा या 20 मिलियन वॉन (12.58 लाख रुपये) का जुर्माना हो सकता है.
समय के साथ घटा कुत्ते का मांस खाने का चलन
साउथ कोरिया में पिछले कुछ दशकों में कुत्ते का मांस का चलन पहले से कम हुआ है. एक सर्वे के अनुसार, पिछले साल 2023 में केवल 8 फीसदी लोगों ने कुत्ते का मांस खाया था, जबकि 2015 में ये आंकड़ा 27 फीसदी था. उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन, कोरियन एसोसिएशन ऑफ एडिबल डॉग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े भी बताते हैं गिरावट की ओर. मतलब खाने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आ रह है.
सर्वे में ये भी बताया गया कि साउथ कोरिया में अभी मांस के लिए कुत्ते का पालन पोषण करने वाले लगभग 3,000 फार्म हैं, जिनकी 2010 की शुरुआत में संख्या 10 हजार थी. हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में 1100 फार्म हैं.
सियोल में एक पशु कल्याण संगठन ने सर्वे किया है. इसके अनुसार, साउथ कोरिया के लगभग 93 फीसदी लोगों ने कहा कि वे भविष्य में कुत्ते का मांस नहीं खाना चाहते हैं और 82 फीसदी ने कहा कि वे प्रतिबंध का समर्थन करते हैं.
उधर पशु प्रेमियों में भी वृद्धि देखी गई है. मंत्रालय के अनुसार, 2022 के सर्वे डेटा से पता चलता है कि हर चार दक्षिण कोरियाई में से एक के पास पालतू जानवर है. यहां तक कि साउथ के राष्ट्रपति यूं सुक येओल और उनकी पत्नी किम केओन ही भी पशु प्रेमी हैं. उनके खुद के पास छह पालतू कुत्ते और पांच बिल्लियां हैं.
क्यों लगाया गया प्रतिबंध?
साउथ कोरिया में कुत्ते का मांस खाने की परंपरा पर काफी समय से विवाद चल रहा था. पिछली सरकारों ने भी ये कानून लाने पर विचार किया, मगर लागू नहीं करवा पाए. राष्ट्रपति यूं सुक येओल ने सत्ता में आए दो साल से भी कम समय ये बिल पारित करा दिया.
पश्चिमी देशों में कुत्ते को आम तौर पर पालतू जानवर माना जाता है और कुत्ते का मांस खाना निंदनीय है. 2018 में ओलंपिक खेलों के दौरान साउथ कोरिया को अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ा जब यह पता चला कि आयोजन समिति कुत्ते के मांस वाले रेस्तरां की सिफारिश कर रही थी.
हालांकि, अब कानून आ जाने के बाद भी साउथ कोरिया के कुछ लोग विरोध कर रहे हैं, इनमें ज्यादातर वो लोग हैं जो कुत्ते के मांस का सेवन नहीं करते हैं. विरोधियों का तर्क है कि यह एक सदियों पुरानी परंपरा है जिसे खत्म नहीं किया जाना चाहिए.
किन देशों में कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध?
अब एक बार विधेयक को राष्ट्रपति से मंजूरी मिल जाने के बाद साउथ कोरिया भी उन एशियाई देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने कुत्ते के मांस के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया है. इनमें सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, हांगकांग और ताइवान जैसे देश शामिल हैं.
हालांकि भारत में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. जुलाई 2020 में नगालैंड सरकार ने कुत्ते के मांस के आयात, व्यापार और बिक्री पर बैन लगा दिया था. इसके बाद कुछ व्यापारियों ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया. जून 2023 में गुवाहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा बेंच ने कुत्तों के मीट की बिक्री पर प्रतिबंध वाला आदेश पलट दिया था.
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कुत्ते का मांस बेचकर ही अपनी आजीवका चलाता है. इसलिए सरकार का प्रतिबंध लगाना गलत है. हालांकि अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि कुत्ते का मांस सही भोजन नहीं माना जा सकता है, फिर भी इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं था.
क्या धर्म कुत्ते का मांस खाने की इजाजत देता है?
कुत्ते के मांस को खाने की इजाजत देने वाले या वर्जित करने वाले धर्मों के बारे में कोई एकमत नहीं है. यह एक व्यक्तिगत विश्वास का मामला है. कई अफ्रीकी देशों में कुत्ते के मांस को एक स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन माना जाता है. इनमें कांगो, नाइजीरिया, टोगो और घाना जैसे देश शामिल हैं.
कुछ एशियाई देशों में कुत्ते के मांस को औषधीय गुणों वाला माना जाता है. इनमें चीन, कोरिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश शामिल है. कुछ अन्य देशों में कुत्ते के मांस को खाना एक सामाजिक या सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है. इनमें कुछ आदिवासी समुदाय शामिल हैं.
यहूदी धर्म में कुत्ते का मांस खाना वर्जित है. ईसाई धर्म में कुत्ते का मांस खाना वर्जित नहीं है, लेकिन इसे आदर्श नहीं माना जाता है. इस्लाम में कुत्ते का मांस खाना वर्जित है. वहीं भारत के कुछ राज्यों में भी खाया जाता है. नगालैंड, मणिपुर के कुछ आदिवासी समुदाय और अन्य लोग कुत्ते का मांस खाते हैं.
साइंस कुत्ते के मांस पर क्या कहता है?
साइंस इस बात समर्थन नहीं करता है कि इंसान को कुत्ते का मांस खाना चाहिए. कुत्ते मांसाहारी होते हैं. उनके मांस में कोई विशेष पोषक तत्व नहीं होते हैं. कुत्ते का मांस रेबीज नाम की बीमारी फैला सकता है, खासकर जब लोग आवारा कुत्तों को पकड़कर लाते हैं और कुत्ते उन्हें काट लेते हैं.
इसके अलावा दूसरे स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी हो सकते हैं. कुत्ते का मांस खाने से पेट के कीड़े भी हो सकते हैं, जैसे ट्राइकिनोसिस. इस व्यापार में शामिल लोगों को रेबीज का टीका लगवाने की सलाह दी जाती है और जो लोग कुत्ते का मांस खाना पसंद करते हैं
सोर्स :-“ABP न्यूज़“