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जमुई में जल संरक्षण की मुहिम चला रहे जानकारों का भी मानना है कि जल संरक्षण का बेहतर तरीका जल संचय के साथ-साथ पौधारोपण भी है

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Jan 7, 2021
जमुई में जल संरक्षण की मुहिम चला रहे जानकारों का भी मानना है कि जल संरक्षण का बेहतर तरीका जल संचय के साथ-साथ पौधारोपण भी है

जल संरक्षण की परिकल्पना सिर्फ आहर और तालाब में जल सहेजने तक ही सिमटी नहीं है। जल संरक्षण की मुहिम चला रहे जानकारों का भी मानना है कि जल संरक्षण का बेहतर तरीका जल संचय के साथ-साथ पौधारोपण को गति देना भी है। ऐसे में हर जगह बड़ी संख्या में पौधारोपण कर पाना मुश्किल हो रहा था। लिहाजा सीडबॉल फेंकने की तकनीक का इजाद किया गया।

यूं कहें कि अब सीडबॉल जल संरक्षण की बुनियाद को मजबूत करेगा तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। शायद इसी सोच के तहत गोदावरी नदी की कछार से इसकी शुरुआत भी हुई और अब यह आहिस्ता-आहिस्ता छोटी-छोटी नदियों के कछार तक पहुंचने की ओर अग्रसर है। फिलहाल इस क्षेत्र में जमुई के सुहावन ने बिहार में गंगा और पुनपुन नदी के किनारे प्रयोग प्रारंभ किया है।
वे बताते हैं कि जल्द ही इसकी शुरुआत जमुई में भी की जाएगी।

  • मिट्टी और गोबर में बीज डालकर तैयार किया जाता है सीडबॉल

सिकंदरा प्रखंड अंतर्गत मिर्चा पाठकचक निवासी अरविद सिंह के पुत्र सुहावन बताते हैं कि स्वयंसेवकों द्वारा मिट्टी और गोबर का मिश्रण तैयार कर उसमें विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधों के बीज डाल दिए जाते हैं। फिर उसे 24 घंटे तक सुखा कर सुरक्षित रख दिया जाता है। बरसात आरंभ होने से पहले उसे नदी किनारे फेंकने का काम किया जाता है। फिर बारिश शुरू होते ही गोबर और मिट्टी के सीडबॉल के भीगते ही अंकुरण प्रारंभ हो जाता है और वह आहिस्ता आहिस्ता पेड़ की शक्ल की ओर अग्रसर हो जाता है।

  • नदी किनारे पौधे एक दूसरे के पूरक

नदी की कछार पर पेड़ और नदी एक दूसरे के पूरक होते हैं। जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने का लंबा अनुभव लिए भवानंद, रामाशीष सिंह, नंदलाल सिंह आदि बताते हैं कि पेड़ पौधे बरसात के दिनों में नदी के पानी को सोखते हैं और गर्मी आते ही पेड़ द्वारा एबजॉर्ब किया गया पानी नदी को मिलने लगता है। यह प्रक्रिया अदृश्य है, लेकिन इसके प्रमाण दक्षिण भारत की कई नदियों में देखने को मिलने भी लगे हैं। इसके अलावा बारिश की बूंदों से भी धरा को रिचार्ज करने में पेड़ पौधे सहायक होते हैं।

  • दो साल से गंगा और पुनपुन किनारे चला रहे मुहिम

संजय गांधी जैविक उद्यान में स्वयंसेवकों के साथ बीज सहेजना इस प्रक्रिया में पहला कदम होता है। इसके उपरांत किसी गोशाला मालिक की रजामंदी के बाद सीडबॉल तैयार किया जाता है। बीते साल इस कार्य में तत्कालीन शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ था। सुहावन बताते हैं कि 2019 में यह प्रक्रिया गंगा और पुनपुन किनारे आरंभ की गई थी। 2020 में कुछ हद तक संक्रमण और लॉकडाउन ने इस कार्य को प्रभावित किया है लेकिन 2021 में इसे एक बार फिर नई ऊर्जा के साथ राज्य के अन्य हिस्सों में भी गति दिया जाएगा।

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