गरियाबंद । जिलें में ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर दलहन, तिलहन, लघुधान्य, मक्का एवं उद्यानिकी फसलों के उत्पादन हेतु कृषि व उद्यानिकी विभाग द्वारा कृषक समृद्धि चौपालों का आयोजन कर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। चौपालों के आयोजन से कृषकों में व्यापक जागरूगता आई है एवं दलहन तिलहन उत्पादन की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। किसानों को फसल विविधीकरण के महत्व को बताया जा रहा है। इसके अंतर्गत गर्मी के मौसम में पानी की कमी होने के कारण धान के अलावा अन्य दलहन-तिलहन लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को धान की खेती से ज्यादा मुनाफे वाले दलहन-तिलहन एवं ग्रीष्मकालीन अन्य फसलों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा किसानों से यह अपील भी की जा रही है कि भू-जल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए धान के बदले कम पानी लागत वाले फसलों की खेती की जाए। कृषक चौपाल में किसानों को बताया जा रहा है कि खरीफ धान के पश्चात् पुनः रबी धान की खेती से मृदा उर्वरता का ह्रास होता है, कीट-व्याधि की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है।
फलस्वरूप साल दर साल कीटनाषी की उपयोग की जाने वाली मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है, जो मानव सहित सभी जीवो के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है। साथ ही पर्यावरण को भी दूषित कर रहा है। कृषकों द्वारा ग्रीष्मकालीन धान के उत्पादन सें अन्य फसलों के मुकाबले 5 से 10 गुना अधिक जल का अपव्यय होता है एवं उन्हे मात्र 15-20 हजार रूपये ही़ शुद्ध लाभ प्रति एकड़ प्राप्त हो पाता है। जबकि कृषकगण खरीफ धान के बाद रबी में चना, सरसों, गेहूं, तत्पष्चात् जायद में उड़द, मूंग का उत्पादन कर प्रति एकड़ 50-60 हजार से अधिक शुद्ध लाभ प्राप्त कर सकते है। इससे मृदा की उर्वरता में वृद्धि होती है व जल भी बहुत कम उपयोग होता है।
कृषको द्वारा ग्रीष्म धान के स्थान पर उद्यानिकी फसलें जैसे- फल, फूल, सब्जी इत्यादि की खेती से प्रति एकड़ लाखों में लाभ प्राप्त किया जा सकता है। कृषक अपने खेतों में बहुस्तरीय कृषि पद्धति अपनाकर एक ही खेत में एक समय में 3 से 4 या ज्यादा फसल जैसे- अदरक, हल्दी, आलु, मक्का, सरसों, पपीता, केला, कालीमिर्च इत्यादि की फसल लेकर अधिक मुनाफा कमा सकते है। उप संचालक कृषि ने बताया की ऐसे ग्राम जो ग्रीष्मकालीन धान को पूर्णतः अन्य फसलों से स्वप्रेरणा से प्रतिस्थापित करेंगे उन्हे जिला स्तर पर सम्मानित किया जायेगा। किसान जो ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर गेहूॅ, मक्का, रागी, चना, सरसों, अलसी, मसुर, मटर, उड़द, मूंगफली जैसी फसलें लेना चाहते है वे अपने नजदीकी कृषि कार्यालय व क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि, उद्यान विस्तार अधिकारी एवं अपने ग्राम के किसान मित्र से यथा शीघ्र सम्पर्क कर नगद व अनुदान पर बीज प्राप्त कर सकते है।