बरवेट । गेहूं की श्री विधि से खेती लघु और सीमांत किसानों के लिए विशेष लाभदायी साबित हो रही है। जिन किसानों के पास कम जमीन है तथा सीमित संसाधनों के साथ खेती करते हैं उन्हें अधिक बीज और खाद का प्रयोग किए बिना अधिक उपज की आवश्यकता होती है। ऐसे में गेहूं की श्री विधि से खेती अपनाकर अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ आमदनी में भी बढ़ोतरी की यह नई तकनीकी है। इसका प्रयोग ग्राम बरवेट में पहली बार हो रहा है।
गेहूं की बुवाई में नवाचार का प्रयोग करते हुए इस बार गेहूं की खेती की नई विधि यानी श्री विधि सघनीकरण पद्धति का प्रयोग किया जा रहा है। गेहूं की खेती को अधिक लाभ का धंधा बनाने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को श्री विधि से खेती करने की सलाह दी जा रही है। इस पद्धति में गेहूं के बीज का पहले उपचार किया जाता है और बाद में मजदूर द्वारा खेत में निश्चित दूरी पर एक-एक बीज को बोया जाता है। जिसमें बीज भी कम लगता है और पैदावार भी अधिक होती हैं। इससे किसानों को दोगुना लाभ मिलता है। इसका प्रयोग जिले के ग्राम बरवेट के किसान भेरूलाल पन्नाालाल पटेल अपने एक बीघे के खेत में कर रहे है। उन्होंने बताया कि मैं एक बीघे में नवाचार करते हुए श्री विधि पद्धति को पहली बार अपनाकर गेहूं की बुआई कर रहा हूं। जिसमें एक बीघे में 5 किलो गेहूं लगा है। सामान्य विधि से बुआई करने में 15 किलो गेहूं लगता है जबकि मुझको श्री विधि से बोवनी करने के समय ही 10 किलो गेहूं की बचत हुई है। इसके साथ ही दोनों पद्धति की पैदावार का आकलन भी हो जाएगा।
ऐसे होता है बीज उपचार
कृषि विभाग के तकनीकी सहायक गोपाल मुलेवा ने बताया कि श्री विधि पद्धति से एक एकड़ में बोवनी करने के लिए 10 किलो गेहूं अच्छी किस्म के चुन लीजिए। उनको उपचारित करने के लिए 20 लीटर पानी एक बर्तन में गुनगुना गर्म कर ले। उसके बाद बीजों को पानी में डाल दें। जो हल्के बीज हैं वो ऊपर आ जाएंगे जिन्हें अलग हटा दें। इस पानी में 5 किलो केंचुआ खाद, 4 किलो गुड़, 4 लीटर गोमूत्र मिलाकर 8 घंटे के लिए छोड़ दें, 8 घंटे बाद इस मिश्रण को एक कपड़े से छान लें। जिससे बीज का अन्य मिश्रण के साथ घोल से अलग हो जाए। अब बीज में 20 एमएल फफूंद नाशक दवाई मिलाकर 12 घंटे के लिए अंकुरित होने हेतु गीले थैले में बांधकर छोड़ दें। इसके बाद बुवाई करें।
छोटे और सीमांत किसानों के लिए लाभप्रद है
कृषि विभाग के उप संचालक तथा परियोजना संचालक (आत्मा) गोरी शंकर त्रिवेदी ने बताया कि इस विधि से गेहूं की बुवाई छोटे किसानों के लिए लाभप्रद है। इस विधि में किसी पर कोई बड़ा खर्चा नहीं होता है। यदि घर में 5 सदस्य तो वह मात्र 2 दिन में कर सकते हैं। जिससे मजदूर ट्रैक्टर का खर्च तो बचता है, साथ ही जब उत्पादन होता है तो दोगुना लाभ मिलता है। हर बीज उपचारित होता है तथा निश्चित दूरी पर बोवनी करने के कारण अंकुरित होने के लिए पूरा मौका मिलता है। यह पद्धति दूसरे क्षेत्रों में पूर्व से लागू है। किंतु झाबुआ जिले जैसे आदिवासी क्षेत्र में इस विधि का लाभ छोटे किसानों को मिल सकता है क्योंकि यहां छोटे किसानों की संख्या अधिक है। इसके चलते यह विधि जिले के लिए अधिक लाभप्रद है। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा प्रचार प्रसार कर किसानों को श्री विधि गेहूं से बोवनी करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
बुवाई की विधि
बुवाई के समय मृदा में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है, क्योंकि बुवाई हेतु अंकुरित बीज का प्रयोग किया जाना है। सूखे खेत में पलेवा देकर ही बुवाई करना चाहिए। बीजों को कतार में 20 सेमी की दूरी में लगाया जाता है।
टेस्ट किया जा रहा है
गेहूं का फसलोत्पादन बढ़ाने के लिए श्री विधि का प्रयोग बरवेट में पहली बार किया जा रहा है। इससे उत्पादन दोगुना होगी। इसके लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। इस संबंध में विकासखंड पेटलावद के वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी एलसी खपेड़ ने बताया कि कई गांव में इस विधि का प्रयोग किया जा रहा है। किसानों को दिखाकर अधिक से अधिक इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।
उन्नात किस्मों के बीज का चयन
ग्राम बरवेट के ग्राम सेवक नीलम कटारे ने बताया कि गेहूं की अधिक उपज देने वाली किस्मों का चयन स्थानीय कृषि जलवायु तथा भूमि की दशा (सिंचित या असिंचित) के अनुसार करना चाहिए। क्षेत्र विशेष के लिए संस्तुत किस्मों के प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें। बरवेट के किसान भेरूलाल पटेल ने श्री विधि तकनीकी से गेहूं की नई किस्म काला गेहूं के बीज को अपने खेत में लगाया है।