दातारपुर-खेतों के बीचों-बीच चार लकड़ियों को खंभे की तरह निश्चित दूरी पर गाड़ कर और इसके साथ आठ फीट ऊपर चारपाई को बांध कर मचान का निर्माण किया गया है। इस पर बिछौना बिछाकर बैठते हैं किसान। जैसे कोई सिपाही सरहद की निगरानी कर रहा हो। जी हां, ऐसा ही मंजर कंडी इलाका के अम्रोह, रामगढ़, चमूही रामपुर आदि गांवों में दिखाई देता है, जहां किसान बेसहारा पशुओं, जंगली सूअरों, नील गाय, सांभर से खेतों में उगी फसलों को बचाने के लिए रखवाली करते हैं। किसान शक्ति सिंह, बलदेव सिंह, धर्मपाल ने बताया -ऐसे हालात रोजाना रहते हैं। खासकर सर्दियों में जब कनक की फसल खेतों में होती है और कंपकंपाती ठंड होती है। तब पूरी रात जागकर खेतों की रखवाली करनी पड़ती है। अगर गलती से नींद का झोंका आया तो समझो एक घंटे में ही जानवर सारी फसल चट कर जाते हैं। इलाका में बेसहारा गायों की तादाद में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। क्योंकि, कुछ तो इलाके के लोग दूध पीकर गायों को बेसहारा छोड़ देते हैं। इसी तरह बाहरी लोग भी रात को पशुओं खासकर सांडों को यहां छोड़ देते हैं। इससे फसलों पर संकट गहराता जा रहा है। यहीं नहीं, जंगली जानवर जैसे सूअर, नीलगाय, सांभर, बंदर भी दुश्मन बने हुए हैं। रात को तापमान जीरो के आसपास होता है, तो कैसी हालत होती होगी यह तो भुक्तभोगी ही जान सकता है।
संकट में है खेती
किसानों ने कहा, वैसे ही हमारा सारा इलाका गैर सिचित है और बारिश पर ही निर्भर है। फसल पूरी तरह बारिश पर निर्भर है। ऊपर से पशुओं का प्रकोप। उन्होंने कहा, खेतों में तार लगाने के लिए विभाग से संपर्क किया है ताकि फसलें बचाई जा सकें।
जल्द करेंगे समस्या का हल : विधायक डोगरा
विधायक अरुण डोगरा ने बताया कि किसानों की समस्या से भली भांति अवगत हैं, पहले भी लगभग चार करोड़ रुपये कंडी इलाके में किसानों को इन बेसहारा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए तार बाड़ के लिए उपलब्ध करवाए थे। इससे काफी किसान लाभान्वित हुए हैं और आगे भी इस समस्या के समाधान के लिए कोशिश की जाएगी। किसानों को तार बाड सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई जाएगी।