वर्ष 2022 तक किसानों-बागवानों की आय दोगुना करने में सौर ऊर्जा सिंचाई परियोजनाएं अहम भूमिका निभाएंगी। इसके लिए आधुनिक तकनीकों और नवाचार का उपयोग कृषि क्षेत्र में हो रहा है। हर खेत तक पानी पहुंचाने को प्रदेश में सौर ऊर्जा से संचालित सिंचाई परियोजना शुरू की गई है। पीएम कुसुम योजना को भी प्रदेश में कार्यान्वित किया जा रहा है। इसका लाभ उठाने को किसान उपमंडल भू-संरक्षण अधिकारी कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
कृषि निदेशक डॉ. नरेश कुमार बधान ने कहा कि पर्यावरण मित्र होने के साथ सौर ऊर्जा की लागत भी कम है। सौर पंपों से सिंचाई के लिए लघु एवं सीमांत किसानों को व्यक्तिगत पंपिंग मशीनरी लगाने के लिए 90 प्रतिशत की सहायता का प्रावधान है। मध्यम और बड़े वर्ग के किसानों को पंपिंग मशीनरी लगाने के लिए 80 प्रतिशत उपदान दिया जाता है।
सामुदायिक स्तर पर पंपिंग मशीनरी लगाने के लिए शत-प्रतिशत व्यय सरकार वहन करती है। एक से दस हॉर्स पावर के सौर पंप उपलब्ध करवाए जाते हैं। योजना में पांच वर्षों के लिए 200 करोड़ का बजट प्रावधान है। इसके तहत प्रदेश में 5,850 सौर पंप स्थापित किए जाएंगे। वर्तमान में प्रदेश की 1189.71 हेक्टेयर भूमि को सौर सिंचाई योजना में लाया गया है।