02-अक्टूबर-2021 | जैसी की आशंका थी, अंतिम दिन यानी 30 सितंबर को ओपन काउंसिलिंग के बावजूद प्रदेश के कालेजों में ग्रेजुएशन के फर्स्ट इयर की करीब 40 हजार सीटें खाली रह गईं। दैनिक भास्कर ने दो दिन पहले 50 हजार सीटें खाली रहने का मामला उठाते हुए संभावना जताई थी कि उच्च शिक्षा विभाग कालेजों में दाखिले की तारीख बढ़ा सकता है, और शुक्रवार को विभाग ने एडमिशन की तारीख 9 अक्टूबर तक बढ़ा दी ताकि बीए, बीकाॅम और बीएससी समेत ग्रेजुएशन कोर्स की ज्यादा से ज्यादा सीटें भर सकें। अफसरों ने बताया कि यह दाखिले भी पं. रविशंकर शुक्ल विवि के अलावा दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा और बस्तर विवि में कुलपति की अनुमति से संबद्ध कालेज कर सकेंगे। उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव गौरीशंकर शर्मा ने शुक्रवार को जारी आदेश में कालेज प्रबंधनों से कहा कि सीट खाली हो तो छात्रहित में कुलपति की अनुमति से 9 अक्टूबर तक प्रवेश दिया जा सकेगा। इस फैसले के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि 30 सितंबर यानी गुरुवार को एडमिशन बंद होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त शारदा वर्मा ने मंत्री उमेश पटेल के निर्देश पर सभी विवि से फर्स्ट इयर की खाली बच गई सीटों की जानकारी मांगी थी। देर रात विभाग को जानकारी मिली कि अंतिम दिन ओपन काउंसिलिंग में भी 10 हजार सीटें भर पाईं, शेष 40 हजार खाली बच गईं। इस आधार पर प्रवेश की तारीख बढ़ाने का फैसला किया गया। जबकि बारहवीं में छात्रों को थोक के भाव नंबर मिलने की वजह से सत्र शुरू होने से पहले ही संभावना जताई जा रही थी कि इस बार फर्स्ट इयर की सभी सीटें भर जाएंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हर विश्वविद्यालय में हजारों सीटें खाली
रविवि में ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर की 42705 सीटें हैं। इसमें से करीब 30 हजार सीटों में प्रवेश हुआ है, बाकी खाली हैं। बिलासपुर विश्वविद्यालय की 26940 सीटों में से 17515 में ही प्रवेश हो पाया है और करीब साढ़े 9 हजार सीटें खाली रह गईं। सरगुजा विश्वविद्यालय में 8845 और बस्तर विवि में करीब 5 हजार सीटें खाली रह गई हैं। दुर्ग विश्वविद्यालय में 41049 सीटें हैं, जिनमें से करीब 32 हजार सीटें ही भर पाई हैं, अर्थात 9 हजार सीटें खाली हैं। दुर्ग विवि के कुलसचिव सीएल देवांगन के अनुसार कॉलेजों से कहा है कि जितने सीटों में प्रवेश हुआ है, उसकी जानकारी वेब पोर्टल पर दें। इसके लिए उन्हें एक-दो दिन का समय दिया गया है। इसके बाद प्रवेश की पुख्ता जानकारी आएगी।
Source:-दैनिक भास्कर