• March 28, 2024 8:01 pm

एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री की बैठक में जिन पाँच बातों पर बनी सहमति

ByPrompt Times

Sep 11, 2020
एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री की बैठक में जिन पाँच बातों पर बनी सहमति
Share More

लद्दाख में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच पाँच बिंदुओं पर सहमति बन गई है.

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वाँग यी के बीच गुरुवार को मॉस्को में हुई मुलाक़ात में यह फ़ैसला लिया गया.

भारत के विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत एलएसी पर जारी तनाव को और नहीं बढ़ाना चाहता है और चीन के प्रति भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. भारत का यह भी मानना है कि भारत के प्रति चीन की नीति में भी किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है.

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो पड़ोसी देश होने के नाते ये बहुत स्वाभाविक है कि चीन और भारत में कुछ मुद्दों पर असहमति है, लेकिन अहम बात यह है कि उन असहमतियों को सही परिपेक्ष्य में देखा जाए.

समाचार एजेंसी एएनआई ने चीनी विदेश मंत्रालय के हवाले से लिखा है, “चीनी विदेश मंत्री वाँग यी ने कहा कि चीन और भारत के संबंध एक बार फिर दोराहे पर खड़े हैं. लेकिन जब तक दोनों पक्ष अपने संबंधों को सही दिशा में बढ़ाते रहेंगे, तब तक कोई परेशानी नहीं होगी और ऐसी कोई भी चुनौती नहीं होगी जिसको हल नहीं किया जा सकेगा.”

मॉस्को में चल रही शंघाई कॉपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (एससीओ) देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दोनों नेता वहां मौजूद हैं.

इन पांच बिंदुओं पर बनी सहमति

बैठक के बाद जारी एक बयान में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच भारत-चीन सीमा को लेकर और भारत-चीन के बीच संबंधों को लेकर सकारात्मक बातचीत हुई.

जिन पांच मुद्दों पर दोनों के बीच सहमति बनी, वो हैं –

  1. भारत और चीन के बीच संबंध बढ़ाने को लेकर दोनों पक्ष नेताओं के बीच हुई सहमतियों से सलाह लेंगे. इसमें असहमतियों को तनाव का रूप अख्तियार नहीं करने देना भी शामिल है.
  2. दोनों नेताओं ने माना कि सीमा को लेकर मौजूदा स्थिति दोनों पक्षों के हित में नहीं है. दोनों पक्ष की सेनाओं को बातचीत जारी रखनी चाहिए, जल्द से जल्द डिस्इनगेज करना चाहिए, एक दूसरे से उचित दूरी बनाए रखना चाहिए और तनाव कम करना चाहिए.
  3. भारत-चीन सीमा के इलाक़ों में शांति और सौहार्द्य बनाए रखने और सीमा मामलों को लेकर दोनों पक्ष सभी मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करेंगे और तनाव बढ़ाने जैसी कोई कार्रवाई न की जाए.
  4. भारत-चीन मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच स्पेशल रिप्रेज़ेन्टेटिव मेकनिज़्म के ज़रिए बातचीत जारी रखी जाए. साथ ही सीमा मामलों में कन्सल्टेशन और कोऑर्डिनेशन पर वर्किंग मेकानिज़्म के तहत भी बातचीत जारी रखी जाएगी.
  5. जैसे-जैसे तनाव कम होगा दोनों पक्षों को सीमा इलाक़ों में शांति बनाए रखने के लिए आपस में भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए.

पहले हुई थी रक्षा मंत्रियों की बैठक

पिछले हफ़्ते भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री से मुलाक़ात की थी. ये मुलाक़ात भी मॉस्को में ही एससीओ की बैठक के दौरान हुई थी.

दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच एलएसी पर तनाव को कम करने के बारे में बातचीत हुई थी जिसके बाद से ही कहा जा रहा था कि जल्द ही दोनों देश के विदेश मंत्रियों की भी बैठक होगी.

गुरुवार को भारतीय समयानुसार क़रीब आठ बजे शाम में बैठक शुरू हुई जो लगभग तीन घंटों तक चली.

एलएसी पर सैन्य बातचीत जारी

एक तरफ़ मॉस्को में जहाँ दोनों विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत हुई वहीं दूसरी तरफ़ एलएसी पर सैन्य बातचीत का दौर भी जारी है.

गुरुवार को दोनों सेनाओं के बीच ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत हुई.

इससे पहले दोनों देशों के बीच लेफ़्टिनेंट जनरल या कोर कमांडर स्तर की कई राउंड बातचीत हो चुकी है लेकिन तनाव कम करने में कोई ख़ास प्रगति नहीं हो सकी है.

एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप

भारत और चीन दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि उनके सैनिकों ने एलएसी को पार किया और उकसाने की कार्रवाई की.

सीमा पर तनाव के बीच सबसे ताज़ा मामला एक तस्वीर के सामने आने का है.

भारत सरकार के उच्च सूत्रों के हवाले से मँगलवार को एलएसी की एक तस्वीर जारी की गई जिसमें क़रीब 25 चीनी सैनिक धारदार हथियारों के साथ नज़र आ रहे हैं. सूत्रों के अनुसार सात सितंबर के शाम को ये तस्वीर लगी गई थी हालांकि बीबीसी स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं कर सकती है.

ये तस्वीर पूर्वी लद्दाख में स्थित मुखपरी नामक भारतीय पोस्ट के दक्षिण की है. ये तस्वीर 800 मीटर की दूरी से ली गई है. भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक़ जहां ये चीनी सैनिक खड़े हैं वह जगह उनकी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का हिस्सा है.

भारत का कहना है कि चीन के सैनिक भारतीय पोस्ट के नज़दीक आने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें भारत की ओर से चेतावनी दी गई. भारत की ओर से फ़ायरिंग की धमकी भी दी गई लेकिन फ़ायरिंग नहीं की गई थी क्योंकि तब तक चीनी सेना ने अपने क़दम रोक लिए.

मँगलवार को ही चीन के विदेश मंत्रालय और चीनी सेना के वेस्टर्न कमांड ने भारत पर फ़ायरिंग करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार करने का आरोप लगाया था.

चीन के एक प्रवक्ता ने आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने पैन्गॉन्ग त्सो झील के दक्षिणी तट पर शेनपाओ पहाड़ी क्षेत्र में एलएसी का उल्लंघन किया और चीनी गश्ती दल की ओर गोलियाँ चलाईं.

जिसके जवाब में भारतीय सेना ने एक बयान जारी कर कहा था, “भारतीय सेना ने कभी एलएसी पार नहीं किया है और न ही गोलीबारी सहित किसी भी तरह का आक्रामक रवैया दिखाया है.” भारत ने चीन पर समझौतों का उल्लंघन करने और आक्रामक रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया है.

29-30 अगस्त को भी भड़काऊ हरकत के आरोप

भारत के अनुसार चीन ने 29 और 30 अगस्त की रात को पैन्गॉन्ग त्सो झील के दक्षिणी तट क्षेत्र में भड़काऊ सैन्य हरकत करते हुए यथास्थिति को तोड़ने की कोशिश की और इसके अगले दिन भी ऐसी कार्रवाई की जिसे नाकाम कर दिया गया था.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि जैसा कि भारतीय सेना ने एक दिन पहले बताया था, भारतीय पक्ष ने इन उकसाऊ गतिविधियों का जवाब दिया और एलएसी पर अपने हितों और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए समुचित रक्षात्मक कार्रवाई की.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने इस बयान में कहा था, “31 अगस्त को भी जबकि दोनों पक्षों के ग्रुप कमांडर तनाव को कम करने के लिए बैठक कर रहे थे, चीनी सैनिकों ने फिर एक बार भड़काऊ कार्रवाई की. भारत के समय पर रक्षात्मक कार्रवाई करने की वजह से यथास्थिति को बदलने की इन एकतरफ़ा कोशिशों को नाकाम किया जा सका.”

प्रवक्ता ने कहा कि इस साल के शुरू से ही चीन की कार्रवाई और उसका बर्ताव दोनों देशों के बीच सीमा पर अमन चैन बनाए रखने के लिए तय द्विपक्षीय सहमतियों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन हैं. ये कार्रवाइयाँ दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी आपसी समझ का भी पूरी तरह से अनादर है.

15-16 जून को हिंसक झड़प

गलवान घाटी में अप्रैल के महीने से ही तनाव बना हुआ है. भारत में कुछ रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रैल से ही और ख़ासकर मई महीने के पहले हफ़्ते से चीनी सैनिक एलएसी के उन इलाक़ों में घुस गए हैं जिन्हें भारत अपना मानता रहा है.

लेकिन भारत का सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व इन आरोपों को ख़ारिज करता रहा है.

भारत का कहना है कि मई महीने के मध्य में चीन ने सीमा पर पश्चिमी सेक्टर में एलएसी का उल्लंघन करने की कोशिश की जिसका उन्हें उचित जवाब दिया गया. इसके बाद सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों पक्षों में सैन्य स्तर पर और कूटनीतिक स्तर पर भी बात हुई और 6 जून 2020 को वरिष्ठ कमांडरों की बैठक हुई.

भारत का दावा है कि दोनों पक्ष एलएसी का सम्मान करने के लिए सहमत हुए और इस बात पर भी आम राय बनी थी कि स्थिति बदलने वाला कोई क़दम नहीं उठाया जाएगा.

लेकिन गलवान घाटी इलाक़े को लेकर चीन इस सहमति का सम्मान नहीं कर सका और एलएसी के ठीक नज़दीक निर्माण कार्य शुरु किया. जब उन्हें ऐसा करने से रोका गया तो 15 जून को उन्होंने हिंसक क़दम उठाए जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई.

चीन ने इसके लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहराया था.

चीन का कहना था कि 15 जून की रात को सीमा पर तैनात भारतीय सैनिक कमांडर स्तर की बैठक में हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए एक बार फिर एलएसी पार कर गए. जब गलवान घाटी में तनाव कम हो रहा था, उन्होंने जानबूझकर उकसावे की कार्रवाई की थी.

चीन के जो सैनिक और अधिकारी वार्ता करने के लिए उनके पास गए उन पर उन्होंने हिंसक हमला किया जिससे भीषण हिंसा हुई और लोग हताहत हुए.















BBC


Share More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *