रामपुर बुशहर : उपमंडल रामपुर के सेब बाहुल एवं कम ऊंचाई वाले बगीचों में कमाई के फूल खिलने लगे हैं। बागवानों का मानना है कि यदि अब बारिश या ठंड पड़ती है तो सेब की फसल को नुकसान होने की संभावना है। बीते साल भी अप्रैल में बगीचों में फूल आने के बाद अचानक बारिश शुरू हो गई थी, जिससे फूल झड़ गए। इसके कारण कम ऊंचाई वाले ज्यादातर क्षेत्रों में सेब की फसल नाममात्र हुई। जहां पर फसल हुई, वहां पर लोगों को पूरी साल की मेहनत का उपयुक्त परिणाम नहीं मिला और काफी नुकसान भी उठाना पड़ा।
रामपुर क्षेत्र में अधिकतर लोगों की आर्थिकी का मुख्य जरिया बागवानी और कृषि है, लेकिन हर साल कोई न कोई दिक्कत आने के कारण लोगों को उनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल रहा है। कई जगह पर लोगों को बागवानी अब बोझ लगने लगी है, क्योंकि कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अप्रैल में सेब के बगीचों में फूल आना शुरू हो जाते हैं और कम से कम 20 दिन तक सेटिग होती है। ऐसे में यदि मौसम खराब हो जाता है और ठंड पड़ती है तो फसल के खराब होने का डर बना रहता है, क्योंकि ठंड के कारण फूल झड़ जाते हैं।
जुलाई के अंत तक सेब फसल तैयार होकर मंडियों में भेज दी जाती है, लेकिन इस बार भी मौसम की बेरुखी के कारण बागवान परेशान हैं। हालांकि बागवानों ने बगीचों में स्प्रे और अन्य कार्यो को पूरा भी कर दिया है। अब फूल आने के बाद पेड़ों पर दाने लगने का समय आ चुका है। कोरोना महामारी के कारण पहले ही किसानों और बागवानों की कमर टूट चुकी है। यदि इस बार भी मौसम ने साथ न दिया तो बागवानों को आने वाले समय में नुकसान उठाना पड़ सकता है।