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6 साल में 12 बार सरकारी नौकरी लगी, लेकिन IPS बन कर ही दम लिया

ByPrompt Times

Sep 30, 2020
6 साल में 12 बार सरकारी नौकरी लगी, लेकिन IPS बन कर ही दम लिया

हमारे देश में अक्सर लोग अंग्रेज़ी माध्यम को बहुत मह्त्व देते हैं और अंग्रेज़ी भाषा से ही लोगों की काबिलियत मापने लगते हैं। लेकिन ऐसी सोच रखने वालों के लिये प्रेमसूख देलू ने नई प्रेरणा बन गयें हैं।हम आपको ऐसे ही एक साधारण परिवार से आनेवाले शख्स की कहानी बताने जा रहें हैं, जिन्होनें अपनी ज़िंदगी में होनेवाले अभावों को अपनी मजबूती बना लिया और अपनी कड़ी मेहनत से सफलता की एक मिसाल पेश कर दी है। प्रेमसूख देलू राजस्थान के बीकानेर जिले के एक रासीसर गांव के रहने वाले हैं।

इनका जन्म 3 April, 1998 को हुआ था। प्रेमसूख एक संयुक्त परिवार से हैं। इनके पिता ऊंटगाड़ी चलाते थे। घर में कमाने के लिये सिर्फ उनके बड़े भाई ही हैं जिनके पैसों से परिवार का देखभाल होता है। प्रेमसूख देलू के पास अधिक जमीन भी नहीं थी। जमीन का एक छोटा-सा हिस्सा ही था।

इनके भाई राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल हैं। एक कांस्टेबल की इतनी तन्ख्वाह नहीं मिलती कि उससे घर की सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और समाजिक जिम्मेदारियों को आसानी से निभाया जा सके। ऐसी स्थिति में घर में अभाव होना लाजमी है। प्रेमसूख देलू का बचपन गरीबी में गुजरा। इनकी पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से ही हुईं।

प्रेमसूख देलू इतिहास विषय से M.A की पढ़ाई किए। कॉलेज में टॉप करने के उपलक्ष में उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित भी किया गया। प्रेमसूख देलू को बचपन से ही सिविल सेवा के क्षेत्र में भविष्य बनाने का सपना था। इसके लिये कुछ लोगों ने उन्हें हतोत्साहित भी किया। लोगों ने कहा कि हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा की परीक्षा में कामयाब होना बहुत कठिन है। लोगों की बातों को सुनते हुए प्रेमसूख देलू ने सोचा कि संसाधनों की कमी से सपने देखने पर तो कोई रोक नहीं हैं।

इन्सान बड़े-से-बड़ा सपना देख सकता है और अपनी सच्ची मेहनत एवं लगन से उस सपने को सच भी बना सकता है। प्रेमसूख जब 10वीं की कक्षा में थे तब वह अपना सारा समय सिर्फ पढ़ाई में देते थे। उनकी ऐसी जीवन शैली को उनके शिक्षक ने उनको सुझाव दिया और कहा कि जीवन में अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिये कम-से-कम 6 घंटे की नींद लेना बहुत ही आवश्यक है।

प्रेमसूख देलू को 6 वर्ष में ही 12 बार सरकारी नौकरी लगी। इससे प्रेमसूख देलू के मेहनत और कठिन परिश्रम अनुमान लगाया जा सकता हैं। वर्ष 2010 में पटवारी की परीक्षा में सफल हुए और बीकानेर में पटवारी के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। 2 वर्ष तक पटवारी के पद का कार्यभार सम्भाला। पटवारी की नौकरी लगने के बाद भी इन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा क्योंकि उन्हें तो किसी और मंजिल की तलाश थी।

पटवारी की नौकरी करने के साथ ही इन्होंने कई अन्य परीक्षाएं भी दी थी। पूरे राजस्थान में प्रेमसूख देलू को ग्राम सेवक परीक्षा में दूसरा रैंक मिला। इसके साथ ही पूरे राजस्थान में असिस्टेंट जेलर की परीक्षा में टॉप किए। प्रेमसूख देलू ने राजस्थान पुलिस की भी परीक्षा दी और उसमें भी सफल रहें। ऐसे में असिस्टेंट जेलर के पद पर ज्वाइन करने से पहले राज्स्थान पुलिस में सब-इंस्पेक्टर पुलिस के पद पर चयनित हो गयें।

लेकिन इन्होंने राजस्थान पुलिस में SI के पद पर ज्वाइन नहीं किया। सब-इन्स्पेक्टर के बाद शिक्षक के तृतीय और फिर द्वितीय श्रेंणी की परीक्षा में भी सफल रहें। कॉलेज में व्याख्याता के रूप में भी इनका चयन हो गया और वह उस पद पर कार्यरत हो गयें। इतना सब होने के बाद भी इन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं रोकी और आगे की पढ़ाई को जारी रखी। इसके बाद राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में तहसीलदार के पद पर उनका चयन हुआ।

तहसीलदार के पद पर नौकरी करने के साथ-साथ इन्होंने यूपीएससी की तैयारी भी करतें रहें। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से प्रेमसूख देलू ने यूपीएससी की परीक्षा में दूसरें ही प्रयास में सफलता प्राप्त किया। UPSC की परीक्षा में प्रेमसूख देलू ने हिन्दी माध्यम से 170वां रैंक हासिल किया और उनके लिये एक मिसाल बन गयें जो भाषा के आधार पर किसी की काबिलियत को मापते हैं। प्रेमसूख देलू हिन्दी माध्यम से सफल हुयें कैंडिडेटों में से तीसरा स्थान हासिल किए।

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