1 अगस्त 2022 मछुआरा वर्ग की बेहतरी के लिए प्रदेश सरकार ने अनेक कार्य किए हैं। मछली पालन को कृषि का दर्जा देते हुए मछली पालन की नीति बनाई, इससे अब मछुआरों को शून्य प्रतिशत ऋण की सुविधा मिल रही है। मछुआरों के जीवन स्तर में सुधार आएगा। शीघ्र ही धीवर समाज का भवन बनाने के लिए जमीन आवंटित करके भवन बनाने सहयोग किया जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ धीवर समाज के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह में की
कृषि विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित धीवर समाज के पदाधिकारियों को शपथ दिलाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मत्स्य पालकों को कृषकों जैसी तमाम सुविधाएं मिलने लगी हैं। इससे प्रदेश के मछली पालक तेजी से आगे बढ़ेंगे। राज्य की औसत मत्स्य उत्पादकता 4,000 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो चुकी है।
प्रगतिशील मत्स्य कृषक उन्नत प्रजातियों का पालन करके प्रति हेक्टेयर 8 हजार से 10 हजार मीट्रिक टन तक उत्पादन करने लगे हैं। शासन द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि और उत्पादन बढ़ाने सहयोग किया जाए। घर के आंगन में भी टैंक बनाकर मछली पालन किया जा सकता है। मत्स्य पालकों को 7.50 लाख रुपये की इकाई पर 40 प्रतिशत की अनुदान सहायता दिए जाने का प्रावधान किया गया है
मुख्यमंत्री ने कहा कि मछली पालन के लिए 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति की आवश्यकता पड़ती थी। इसके लिए मछली पालकों को 10 हजार घनफीट पानी के बदले 4 रुपये का शुल्क देना पड़ता था। अब उन्हें एक भी पैसा देने की जरुरत नहीं रह गई है।
विशेष अतिथि कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि सरकार की मंशा रही है कि गांवों के मछली पालन करने वाले तालाब स्त्रोतों पर परपंरागत धीवर समाज को प्राथमिकता हो। यदि किसी गांव में कोई तालाब निस्तारी के नाम से चिन्हित कर यदि किसी दूसरे वर्ग को आवंटित कर मत्स्य पालन के लिए दिया जाएगा तो ऐसी स्थिति में संबंधित ग्राम पंचायत के पंच, सरपंचों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही मछुआरों की परिभाषा के संबंध में भ्रम सुधारने का भी आश्वासन दिया।
Source;-“नईदुनिया”