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Jawahar Model – खेत में नहीं बोरियों में उगाएं फसल, आठ फसल एक साथ उगाकर आप भी होंगे मालामाल, लाखों कमा रहे हैं किसान

13 जनवरी 2022 | Jawahar Model: जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए जवाहर मॉडल नाम की एक अनूठी तकनीक तैयार की है। इससे किसान एक समय में एक खेत से 8 फसल एक साथ ले सकते हैं।

Jawahar Model: खेत में नहीं बोरियों में उगाएं फसल, आठ फसल एक साथ उगाकर आप भी होंगे मालामाल, लाखों कमा रहे हैं किसान

सेल्फ हेल्प ग्रुप की कई महिलाओं ने खेती के लिए ‘जवाहर मॉडल’ का इस्तेमाल किया है, जिसमें जमीन में नहीं बोरियों में फसलें लगाईं जाती हैं। इससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ गई है।

jawahar model: जवाहर मॉडल के तहत की जाने वाली खेती के तरीके को मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। हल्दी जैसी फसलें छांव में भी तैयार हो जाती है। एक बोरी में लगभग 50 ग्राम हल्दी का बीज लगता है और छह महीने में 2-2.5 किलो तक हल्दी और अरहर के एक पौधे से 2-2.5 किलो तक अरहर भी मिल जाती है।

एमपी के 70 फीसदी किसानों को फायदा

खेती में जवाहर मॉडल का प्रयोग करने की वजह से उन किसानों को फायदा होने की उम्मीद है जिनके पास एक से 2 एकड़ जमीन ही खेती के लिए है। मिट्टी और खाद के 65 किलोग्राम मिश्रण वाली इस बोरी के जरिए फसल की उपज में 20 गुना वृद्धि होने का दावा किया गया है। एक अनुमान के मुताबिक मध्यप्रदेश के 70 फ़ीसदी किसान जवाहर मॉडल खेती का फायदा उठाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।

वाहर मॉडल की खेती में किसानों की खेत की जुताई का खर्च बच जाता है। इसके साथ ही सिंचाई और खाद के साथ कीटनाशक पर खर्च होने वाली बड़ी रकम भी बचती है। जवाहर मॉडल के जरिए किसान अपनी बेकार और बंजर पड़ी जमीन के अलावा अपने घर के आस-पास, आंगन, खाली छत पर भी फसलें उगा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक किसान को सबसे अधिक खर्च जमीन की जुताई, कीटनाशक और उर्वरक पर करना पड़ता है। छोटे किसान जिनके पास 1 एकड़ से कम जमीन है, उनके लिए आमदनी बढ़ाने का जवाहर मॉडल एक बेहतरीन तरीका है।

जवाहर मॉडल है एटीएम

फसल तैयार होने पर किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या उसे बेचने और पैसे कमाने की आती है। खेती के जवाहर मॉडल में किसान अपनी जरूरत के हिसाब से फसल काट कर बेच सकता है। यह किसानों के लिए एटीएम की तरह है। उन्हें जब जरूरत हो तब वह अपनी फसल तैयार करें और उसे बेच ले अगर जरूरत नहीं है तो उसे कुछ दिन और खेत में रहने दे सकते हैं।

बंजर जमीन में खेती

जवाहर मॉडल वास्तव में छोटी जोत के किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प बनकर सामने आया है। इससे बंजर जमीन में भी फसल उगाई जा सकती है। इसके साथ ही कई तरह के फसल की एक साथ खेती करने की वजह से किसान अपनी जरूरत के वक्त अपनी उपज बेचकर पैसे कमा सकता है। दलहन-तिलहन के साथ किसान इसमें सब्जियों की भी खेती कर सकता है जिससे उसे नियमित आमदनी होती रहेगी।

फूलों की खेती

जवाहर मॉडल के तहत खेती करने वाले किसानों को सलाह दी जाती है कि वह एक दलहन, एक तिलहन, दो सब्जियां, कुछ फूल और धनिया-मिर्ची-पुदीना-मेंथी जैसी हरी सब्जियों की खेती करें। इससे किसानों को लगातार आमदनी होती रहती है। जवाहर मॉडल की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि प्लास्टिक की बोरी में बीज कम लगती है और हर बोरी को उचित दूरी पर रखा जाता है जिससे पौधे को बढ़ने और उसमें फसल लगने की पर्याप्त जगह मिल जाती है। 1 एकड़ जगह में 1200 बोरियां रखी जा सकती है। एक बोरी में 500 ग्राम तक धनिया की हरी पत्ती निकल आती है।

Source;-“नवभारतटाइम्स”

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