07-जून-2021 | मधुबनी। हाइब्रिड बीज, रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल के बीच मधुबनी की महिलाएं जैविक खेती कर रही हैं। बिना किसी रासायनिक तत्व के इस्तेमाल के अनाज से लेकर सब्जिया उगा रही हैं। वे कल के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आज के सुरक्षित भोजन के उद्देश्य के साथ लगातार आगे बढ़ रही हैं।
पंडौल प्रखंड की दहिभत माधोपुर पश्चिमी पंचायत के पोखरशाम की 276 महिला किसान 200 बीघा भूमि में वर्षभर विविध फसलों व सब्जियों का उत्पादन कर रही हैं। खेती के साथ जैविक खाद व कीटनाशकों का भी निर्माण कर रही हैं। मधेपुरा, मुसहरी, बड़ा गाव, विरसायर सहित अन्य गावों में पाच दर्जन से अधिक किसानों को जैविक खेती के लिए जागरूक भी कर चुकी हैं।
फसलों व सब्जियों की माग :– दो साल पहले गाव की महिला गिरिजा देवी की पहल पर शुरू हुई खेती अब ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था मजबूत कर रही है। परिवार के खाने लायक अनाज व सब्जी रखकर शेष बेच दिया जाता है। इससे प्रत्येक महिला साल में 60 हजार से ढाई लाख रुपये तक की आमदनी कर रही है। व्यवसायी खुद इनसे संपर्क कर फसलों और सब्जियों को खरीदते हैं।
श्रीधनजीवामृत जैविक खाद धान-गेहूं के लिए अमृत :– पुआल, केला थंब, पपीता पेड़, जलकुंभी, सरसों डंठल और गुड़ से तैयार जैविक खाद ‘श्रीधनजीवामृत’ धान, जौ व गेहूं के लिए अमृत है। इसका इस्तेमाल जोत से पहले और सिंचाई के समय किया जाता है। इससे फसलों में नमी बनी रहती है। एक कट्ठा धान की फसल पर इस प्रकार के खाद व कीटनाशक पर 170 रुपये का खर्च आता है, वहीं रासायनिक खाद व कीटनाशक पर 415 रुपये।
सब्जियों को झुलसा रोग से बचाता अग्नेयास्त्र :- नीम पत्ता, तंबाकू डंठल, हरी मिर्च, लहसुन व गोमूत्र से तैयार कीटनाशक ‘अग्नेयास्त्र’ आलू, गोभी सहित अन्य सब्जी को झुलसा रोग से बचाता है। इसका प्रयोग धान व गेहूं की फसलों पर भी किया जाता है। नीम, धतूरा, अकवन, बबूल, गुड़हल, गेंदा, बेल, अरंडी पत्ता के साथ हल्दी, लहसुन, हरी मिर्च व तंबाकू डंठल से तैयार ‘दसपरनी’ सब्जियों की फसल पर छिड़काव से कीटों का नाश होता है। साथ ही फसलों की गुणवत्ता प्रभावित भी नहीं होती।जैविक खेती से खाद्य सुरक्षा तंत्र मजबूत हो रहा है। लोगों की थाली में सेहतमंद भोजन उपलब्ध कराने में इन महिलाओं की भूमिका अहम है। इससे इनकी आíथक सेहत भी बेहतर हो रही है।
सुधीर कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, मधुबनी
Source : “जागरण”