पानीपत । अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल खिलाड़ी उग्राखेड़ी गांव के 20 वर्षीय अमन मलिक की प्रतिभा की हरियाणा ने कद्र नहीं की। प्रदेश की हैंडबॉल टीम में चयन तक नहीं किया गया। हालांकि हरियाणा से दो बार स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में खेल चुका था। हरियाणा टीम में जगह नहीं मिली तो प्रदेश को छोड़ दिया और दिल्ली में अभ्यास किया। दिल्ली ने उन्हें अपना लिया।
अमन ने बतौर कप्तान दिल्ली की टीम को 43वीं जूनियर नेशनल हैंडबॉल चैंपियनशिप में चैंयिपन बना दिया। यह प्रतियोगिता दिल्ली के पीतमपुरा में हुई। इस चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल में पंजाब से हरियाणा हारकर बाहर हो गया। इससे पहले भी अमन दिल्ली की टीम को दो बार चैंपियन बनाने में अहम योगदान दे चुके हैं। वे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की हैंडबॉल प्रतियोगिताओं में 19 पदक जीत चुके हैं। अमन ने 12वीं पास की है। आगे पढ़ाई भी जारी है।
गांव से किया अभ्यास शुरू, दिल्ली ने दिलाई शोहरत
अमन ने बताया कि किसान पिता सुंदर मलिक की इच्छा थी कि बेटा खिलाड़ी बने। वर्ष 2010 में गांव के ग्राउंड में हैंडबॉल का अभ्यास किया और 2013 व 14 में हरियाणा की तरफ से स्कूल नेशनल हैंडबॉल प्रतियोगिता में भाग लिया। इसके बाद काबिल होते हुए भी प्रदेश की टीम में जगह नहीं दी गई। चयन में पक्षपात हुआ। इसी वजह से 2014 में दिल्ली में ट्रायल दिया और साई सेंटर में चयन कर लिया गया। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और दिल्ली ने भी शोहरत दिलाई।
पिता के देहांत के बाद मां ने संभाला
अमन ने बताया कि 2010 में पिता सुंदर की मौत हो गई। मां कौशल्या ने घर और खेत संभाला। उसे, उनके छोटे भाई रमन और अनुज को पोषण किया। आर्थिक स्थित कमजोर होते हुए भी मां ने उन्हें खेलने से नहीं रोका। न ही किसी खेल के सामान की कमी आने दी। मां और दिल्ली के हैंडबॉल कोच शिवाजी संधू के साथ से सफलता मिली।
अमन की सफलता
अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल चैंपियनशिप में एक स्वर्ण व एक रजत पदक।
स्कूल नेशनल हैंडबॉल प्रतियोगिता में चार स्वर्ण और चार रजत पदक।
जूनियर नेशनल हैंडबॉल प्रतियोगिता में में तीन स्वर्ण पदक।
नार्थ जोन और इंटरजोन हैंडबॉल प्रतियोगिता में दो स्वर्ण पदक।
खेलो इंडिया में कांस्य पदक।