जिस तरह World Population बढ़ रही है, खाद्यान्न की मांग बढ़ते जाना स्वाभाविक है. ऐसे में खाद्य सुरक्षा (Food Security) का प्रश्न बड़ा होता जा रहा है. खेती के क्षेत्र में (Agriculture Sector) अनूठे प्रयोग करने वाले इज़राइल ने दुनिया को उम्मीद देने का काम किया है. रेगिस्तान (Desert) में मछली पालन, गर्मी में आलू की पैदावार और ओस से सिंचाई करने जैसे कई तरीकों की वजह दुनिया को खेती के लिए इज़राइल की तरफ देखना ही है. जानिए कैसे उन्नत खेती इज़राइल की खासियत (Israel Model of Farming) बनती चली गई.
कैसे शुरू हुआ इज़राइल का ये सफ़र?
एक उदाहरण ये है कि सिर्फ भारत में ही कटाई के बाद को होने वाला सालाना खाद्यान्न नुकसान 12 से 16 मीट्रिक टन का है. World Bank के इस अनुमान का मतलब है कि इतने अन्न से भारत की एक तिहाई आबादी का पेट भर सकता है और इसकी अनुमानित कीमत 50 हज़ार करोड़ रुपए तक होती है, जो बर्बाद हो जाता है. सिर्फ रखरखाव ठीक न होने की वजह से. यह समस्या कई देशों की है और रही.
ऐसे में इज़राइल ने खेती के क्षेत्र में मिसाल कायम करते हुए 1950 में हरित क्रांति के बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा है. इज़राइल ने केवल रेगिस्तानों को हरा किया बल्कि अपने तौर तरीकों को दुनिया की मदद के लिए साझा भी किया. इज़रायल-21 सी न्यूज़ पोर्टल ने इज़राइली खेती से जुड़े कुछ अनूठे प्रयोगों का ज़िक्र किया है, जिनसे भारत समेत दुनिया के कई देश सबक ले सकते हैं.
1. अनाज की हिफाज़त का इंतज़ाम
अगर कटाई के बाद फसलों को ठीक तरह से नहीं सहेजा जाए तो 50 फीसदी से ज़्यादा फसलें उत्पादन के बाद कीड़ों या फफूंद की भेंट चढ़ सकती हैं. इसलिए इज़राइल ने एक अन्न कोष की पहल करते हुए किसानों को कम खर्च में फसलों को महफूज़ और ताज़ा रखने का विकल्प दिया.
इस अन्न कोष के तौर पर एक विशालकाय बैग बनाया गया है, जो पानी और हवा से अनाज को सुरक्षित रखता है. अंतर्राष्ट्रीय खाद्य तकनीक विशेषज्ञ प्रोफेसर श्लोमो नवार्रो के इस प्रयोग का इस्तेमाल अफ्रीका के साथ ही कई संपन्न देश भी कर रहे हैं. पाकिस्तान ने भी इस बैग के लिए इज़राइल से समझौता किया. गर्मी और सीलन दोनों हालात में इस बैग से फसलें सुरक्षित रह सकती हैं.
2. अच्छे नहीं सिर्फ दुश्मन कीड़ों पर हमले की तरकीब
बायो-बी नाम की कंपनी ने एक ऐसा कीटनाशक बनाया है जिससे फसल के लिए लाभदायक कीड़ों नहीं बल्कि सिर्फ हानिकारक कीड़ों को नुकसान पहुंचता है. इससे फसल में परागण की प्रक्रिया बाधित नहीं होती. साल 1990 से कैलिफोर्निया में स्ट्रॉबेरी की 60 फीसदी फसल पर इसी दवा का छिड़काव होता रहा है, जिससे पैदावार में 75 फीसदी तक बढ़ोत्तरी हुई है. इज़राइल के इस प्रयोग का इस्तेमाल जापान समेत दुनिया के करीब 32 देश कर रहे हैं.
3. बूंद बूंद का उपयोग यानी ड्रिप इरिगेशन
विशेषज्ञ यहां तक कहते हैं कि इससे ज़्यादा कारगर खोज दुर्लभ है. इज़राइल की वॉटर इंजीनियर सिम्चा ब्लास ने देश में पहले से मौजूद परंपरा को वैज्ञानिक आधार देकर क्रांति से कम काम नहीं किया. इस प्रयोग में ऐसा ट्यूब बनाया गया, जिससे पानी कम मात्रा में फसलों तक भरपूर पहुंचता है. इसे टपका सिंचाई प्रणाली भी कहते हैं, जिसे कई देश इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही इस प्रणाली की बदौलत एक फसल लेने वाले सैकड़ों किसान साल में तीन फसलें तक पैदा कर पा रहे हैं.
4. गर्मी में आलू की पैदावार
दुनिया में सबसे ज़्यादा खाए जाने वाले भोजन में से एक आलू है. हिब्रू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड लेवी ने भीषण गर्मी में पैदा होने वाली आलू की दुर्लभ प्रजाति को खोजा. मध्य पूर्व में तेज़ गर्मी में पैदा न हो पाने वाले आलू को अब इस मौसम में भी उगाया जा रहा है और किसानों को फायदा हो रहा है.
5. हवा से पानी निकालकर सिंचाई
यह भी एक अनूठा प्रयोग है. इसके प्रयोगकर्ता अवराम ताहिर के मुताबिक इस तरीके से पौधों की पानी की ज़रूरत 50 फीसदी तक पूरी हो जाती है. इस प्रयोग में रीसाइकिल किए गए प्लास्टिक से बनी एक ट्रे में यूवी फिल्टर और चूने के पत्थर की मदद से ओस की बूंदों को सोख लिया जाता है. पेड़ों के आसपास लगाई जाने वाली ये दांतेदार ट्रे इन ओस बूंदों को पौधों की जड़ों तक पहुंचा देती है.
6. रेगिस्तान में मछली पालन
सुनने में अजीब लगता है लेकिन ये बड़ा सच है. मछलियों को ज़्यादा संख्या में पकड़ना या शिकार करना खाद्य सुरक्षा के लिहाज़ से संकट का विषय है. इज़राइल ने इस समस्या पर ग्रो फिश एनीव्हेयर एडवांस्ड तकनीक से काबू पाया. इस तकनीक के ज़रिये एक बड़ा टैंक बनाया जाता है, जिस पर बिजली और मौसम संबंधी समस्याओं का असर नहीं होता. मछली पालन रेगिस्तान में तो संभव हुआ ही, अमेरिका भी इस तकनीक का प्रयोग कर रहा है.
7. और भी कई अनूठी तरकीबें
इज़राइल में हिब्रू यूनिवर्सिटी की टीम ने एक ऐसा कीटनाशक तैयार किया जो बहुत धीमी गति से नुकसानदायक कीड़ों को खत्म करता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता को नुकसान नहीं होता. दूसरी तरफ, आईबीएम संचालित सॉफ्टवेयर एग्रीकल्चर नॉलेज ऑनलाइन की मदद से कोई भी किसान इज़राइली विशेषज्ञों से सलाह ले सकता है, किसान फसलें बेच सकते हैं और खेती संबंधी चर्चा कर सकते हैं.
इसके अलावा, इज़राइल में मवेशियों के झुंड प्रबंधन से डेयरी फार्मिंग की जो नई तकनीक ईजाद की गई है, वह भी मिसाल बनी है. वियतनाम में इससे जुड़ा दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी प्रोजेक्ट चल रहा है तो चीन अपने विशेषज्ञों को इज़राइल से दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की यह प्रणाली सीखने भेजता है.
भारत को क्यों है सीखने की ज़रूरत?
एक तरफ इज़राइल जैसा छोटा सा देश दुनिया का पेट भर रहा है, लेकिन अपने निर्यात से नहीं बल्कि कृषि ज्ञान, तकनीक और प्रबंधन से. वहीं, भारत जैसा 1.3 अरब की आबादी वाले देश के सामने भूख का संकट लगातार बना हुआ है. 2019 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 102 नंबर पर था यानी अति गंभीर स्थिति वाले देशों की कतार में.