• April 19, 2024 8:19 am

कैसे जम्मू-कश्मीर में ‘नींबू घास’ ने किया चमत्कार और कैसे बदली वहां के किसानों की जिंदगी

ByPrompt Times

Aug 28, 2020
कैसे जम्मू-कश्मीर में 'नींबू घास' ने किया चमत्कार और कैसे बदली वहां के किसानों की जिंदगी

ये हमारा जम्मू-कश्मीर दूसरे प्रदेशों से बहुत सी बातों में अलग है। पहाड़ हैं, नदियां हैं और जंगल तो हैं ही। यहां खेत बहुत छोटे हैं। हरियाणा पंजाब की तरह विशाल कृषि क्षेत्र नहीं है। लोग एक कनाल दो कनाल जमीन पर अपना गुजारा करते हैं। इसमें जो फसल होती है, उसे बंदर नहीं छोड़ते। जब फसल खराब होती है तो परिवार की आय भी खत्म हो जाती है। युवा, दो पैसे कमाने के लिए शहर की ओर दौड़ने लगते हैं। इस चक्कर में राह भटकने का खतरा बना रहता है।

लेकिन नींबू घास से ऐसा चमत्कार हुआ कि इसने हमारी यानी किसानों की जिंदगी बदल दी। बच्चे भी कहने लगे हैं कि हम भी कनाल दो कनाल जमीन पर हाथ आजमाएंगे। जिला प्रशासन मदद कर रहा है। आईआईआईएम जम्मू से वह मशीन भी मिल गई, जिसकी मदद से ‘नींबू घास’ का तेल निकाला जाता है। सिराह कोटला पंचायत के किसान तिलकराज ने यह बात कही है।

दूर भागते हैं बंदर
तिलकराज के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर इलाकों में बंदरों का आतंक है। वे फसल को बर्बाद कर देते हैं। अब मक्की का सीजन है तो बंदरों ने उसका ऐसा हाल कर दिया है कि उसे चाह कर भी बाजार में नहीं बेच सकते। कोई दूसरी फसल, फल या सब्जी उगाते हैं तो वह भी बंदरों का निशाना बन जाती है। नींबू घास उगाई जा सकती है, जब यह बात दिमाग में आई तो माहौल बदलने लगा। ये घास बंजर भूमि पर लग सकती है और पानी वाली जगह भी इसके लिए ठीक है।

रियासी जिले के मुख्य कृषि अधिकारी रविंद्र थपलू बताते हैं, ‘नींबू घास’ के आसपास बंदर फटकता ही नहीं है। उसे किसी भी जगह उगाया जा सकता है। खेत के चारों ओर लगा देंगे तो भी बंदर नहीं आएगा। बंदर के अलावा दूसरे वे जानवर जो फसल खराब करते हैं, वे भी ‘नींबू घास’ वाले खेत का रूख नहीं करते। अब धीरे-धीरे किसान नींबू घास की तरफ बढ़ रहे हैं।


कीमत एक हजार रुपये से लेकर 14 सौ रुपये के बीच
थपलू बताते हैं कि सबसे पहले बैक टू विलेज कार्यक्रम में यह आईडिया सामने आया था। कई किसान नींबू घास लगाने के लिए तैयार हो गए, लेकिन यह समस्या आ गई कि तेल कैसे निकलेगा। इसके लिए प्लांट कौन लगाएगा। इसका समाधान भी हो गया। जम्मू आईआईआईएम ने यहां एक प्लांट लगा दिया है। अब इलाके के कई किसान कृष्णा वैरायटी की नींबू घास लगा रहे हैं। यदि 12 घंटे प्लांट चलता है तो एक दिन में 15 लीटर लीटर तेल निकल सकता है।

साल में एक लाख रुपये की आमदनी होती है। एक साल में नींबू घास की कम से कम चार कटिंग होती हैं। तीसरे साल में पूरी कीमत मिलने लगती है। 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर खर्च आता है। प्लांट 25 लाख रुपये में लगता है। तेल, एक हजार रुपये से लेकर 14 सौ रुपये के बीच बिकता है।

गांव में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बन गए हैं। वे भी इस काम में बढ़-चढ़कर भाग लेनी लगी हैं। हालांकि महिलाओं का कहना था कि अभी कमाई हाथ में नहीं आई है। तेल बेचने के लिए बाजार भी होना चाहिए।

माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड से बातचीत
रियासी जिले की डीसी इंदू कंवल चिब बताती हैं कि वे नींबू घास उगाने वाले किसानों की चिंता को समझती हैं। इसके लिए व्यापक स्तर पर काम हो रहा है। माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड से कह कर आउटलेट खोलने की बात हो रही है।

कटरा में जितने होटल हैं, वहां भी इस उत्पाद के बारे में बताया गया है। ये भी नींबू घास के तेल के बड़े खरीददार हो सकते हैं। इसके अलावा आम दुकानदारों के साथ भी बातचीत कर यह रास्ता निकाला जा रहा है कि वे इस उत्पाद को अपने स्टॉल या दुकान के सामने रखवाने के लिए तैयार हो जाएं।

डॉ. अनिरुद्ध राय, सहायक आयुक्त का कहना है कि पायलट प्रोजेक्ट के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं। पहले किसानों को यह भी नहीं मालूम था कि तेल कैसे निकलेगा, प्लांट कहां से आएगा और बाजार की चिंता भी उन्हें परेशान कर रही थी। इस घास से निकलने वाला तेल की मार्केट वेल्यू काफी है। आकर्षक पैकिंग की व्यवस्था की गई। दो सौ एमएल की शीशी में तेल डाला जाने लगा।

पारंपरिक खेती से हटकर नींबू घास के जरिए लोग अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। किसानों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण एवं सहयोग दिया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि इलाके में ऐसे कई प्लांट लगाए जाएं। यदि यह संभव होता है तो अनेक किसान इस योजना से जुड़ जाएंगे।

क्या हैं फायदे
ग्रामीण युवाओं को पढ़ाई के साथ साथ कमाई का भी एक जरिया मिल जाएगा। नींबू घास एक औषधीय पौधा है। इसका इस्तेमाल सुगंध, मेडिसिन, कॉस्मेटिक व डिटरजेंट आदि तैयार करने में किया जाता है। इसे उगाने के लिए किसी फर्टिलाइजर की जरूरत भी नहीं होती। बंदरों के अलावा दूसरे जंगली जानवर भी इस घास से दूर रहते हैं। साथ ही नींबू घास या इससे निकले तेल के आसपास मच्छर नहीं आते हैं।इसे कई दूसरे पदार्थों के साथ मिलाकर इसकी लेमन टी भी बनाई जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *