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किसी को Cancer है या नहीं कैसे पता चलेगा, क्या यह माता-पिता से बच्चों में होने वाली बीमारी है?

23  नवम्बर 2021 | कैंसर एक गंभीर ​बीमा​री है. सही समय पर इलाज न हो तो यह मौत का भी कारण बन सकता है. मुंह का कैंसर हो, पेट का कैंसर हो, स्‍तन कैंसर हो या फिर ब्लड कैंसर… एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शुरुआती स्टेज में ही पता लग जाए तो इलाज ठीक से हो जाता है. इलाज में देर होने पर दिक्कतें बढ़ती चली जाती हैं.

कैंसर को लेकर कई सारे पहलुओं पर आकाशवाणी के एक साक्षात्कार कार्यक्रम में एम्स, दिल्ली के चिकित्सक डॉ राकेश गर्ग ने कई सवालों के जवाब दिए हैं. (डॉ गर्ग कहते हैं कि अगर हम कैंसर के शुरुआती लक्षण को पहचान जाए तो उसे ठीक किया जा सकता है लेकिन यहां इनिशियल स्टेज पर ही उसे पहचानना होगा.

छोटे बदलावों पर भी रखें ध्यान

डॉ र्ग के अनुसार,फेफड़ों के कैंसर में कभी-कभी उल्टी के अंदर खून आना सांसो की तकलीफ होना जैसे लक्षण नजर आते हैं. यदि शरीर के अंदर कोई छोटी सी गांठ बन गई है जो अपने आप ठीक नहीं हो रही है, तो उस पर भी ध्यान देना चाहिए. कारण कि कैंसर की जो गांठ होती है जरूरी नहीं कि वो हमेशा दर्द करती हो, काफी कैंसर की गांठ में दर्द ही नहीं करती है. अगर ऐसी स्थिति हो तो हम उसे इग्नोर ना करें.

इस तरह से हमारे पेशाब और शौच के अंदर खून आ रहा है तो वह भी यह दर्शाता है कि इसकी जांच होनी आवश्यक है. वही खांसी अगर लंबे समय तक है, दो हफ्ते से ज्यादा चल रही है तो ऐसी स्थिति में टीबी भी हो सकता है और कैंसर भी. इन दोनों का इलाज early-stage में संभव है.

इस तरह के कुछ भी लक्षण हों तो अमूमन हफ्ते भर में ठीक हो जाना चाहिए और अगर नहीं हो रहे हैं तो उसकी जांच जरूर करा लें. जैसे जो व्यक्ति गुटखा, पान वगैरह खा रहे हैं, उनको इसका खतरा रहता है. ऐसे व्यक्तियों को कोई भी लक्षण हो तो इग्नोर नहीं करना चाहि. जैसे लक्षण दिखें, चिकित्सक को जरूर दिखाएं.

डायग्नोसिस से कैंसर का पता चलेगा?

डॉ गर्ग कहते हैं कि हमारे पास डायग्नोस्टिक के लिए बहुत सारी चीजें होती हैं. हर कैंसर के लिए डायग्नोस्टिक इमेजिंग अलग-अलग तरह की होती हैं. अभी सुनने को मिला है कि फुल बॉडी चेकअप, फुल बॉडी इमेजिंग एक तरह से कुछ-कुछ कंसेप्ट आने शुरू हो गए हैं. कैंसर को डिटेक्ट करने के लिए यह पद्धति ठीक नहीं है.

हमारे पास ऐसा कोई डायग्नोस्टिक टूल नहीं है जिसे हम सोचे कि अर्ली इयर्ली हम पूरी बॉडी का ऊपर से नीचे तक सीटी स्कैन या एमआरआई करा ले तो कंफर्म हो जाएगा कि हमें कैंसर है या नहीं… तो इस तरह की जांच अपने आप कर नहीं करानी चाहिए.

यहां पर सही तरीका यह रहेगा यदि आपको सिम्पटम हैं या आपके परिवार में कैंसर की बहुत स्ट्रांग हिस्ट्री है तो आप अपने चिकित्सक को दिखाएं. हिस्ट्री और एग्जामिनेशन के बलबूते ही स्वास्थ्य कर्मी कुछ करेंगे. जैसे अगर कोई काट है तो उसे हम बायोप्सी में लेते हैं इसके अंदर है या पेपरों के अंदर है, तो वह सकता है. दूरबीन से हम उस टुकड़े की जांच कर लेंगे और उसके बाद तय करेंगे कि आगे क्या जांच करानी है.

क्या कैंसर एक जेनरेशन से दूसरी जेनरेशन में होता है?

एक जेनरेशन से दूसरी जेनरेशन में कैंसर के ट्रांसमिशन की संभावना पर भी डॉ गर्ग ने बात की. उन्होंने कहा कि बहुत सारे कैंसर जेनेटिक होते हैं. मतलब हमारे शरीर के अंदर जो जीन मौजूद हैं, तो कॉमन जीन के अंदर कुछ वेरिएशन आ जाता है. ऐसे व्यक्ति को चांसेस रहते हैं. परिवार के अंदर जैसे भाई-बहन या बच्चों के अंदर वह चांसेस थोड़े बढ़ जाते हैं.

अगर वह जेनेटिक फिनोमिना के साथ एसोसिएटेड हैं, जैसे कि कई बार हम और 2 बायोप्सी करके उसके बारे में बात करते हैं तो हमें उसे आइडिया लग जाता है कि जेनेटिक रिलेशन है या नहीं! फेफड़ों का कैंसर या ब्लड कैंसर वाले कंडीशन के अंतर्गत जब कोई व्यक्ति परिवार से कैंसर से ग्रसित होता है, तो युजुअली फैमिली काउंसलिंग की जाती है. इसमें परिवार वालों को बताया जाता है कि आप भी अपने सिम्पटम को जल्दी पहचाने ताकि पहले इलाज किया जा सके.

Source :-“टीवी9 भारतवर्ष”

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