रामनिवास उद्यान के अधीक्षक अब्दुल मजीद के अनुसार, इलाके में बड़ी संख्या में चूहों की मौजूदगी पर्यटकों के साथ-साथ आम लोगों को भी परेशान कर रही है. इसलिए कीटनाशकों की मदद से चूहों को खत्म किया जाएगा और उनके बिलों को भरा जाएगा.
जयपुर के ऐतिहासिक ‘रामनिवास बाग’ और ‘अल्बर्ट हॉल’ को चूहों के आतंक व खतरे से मुक्त कराने के लिए दो दिवसीय अभियान सोमवार को शुरू हुआ. अधिकारियों का कहना है कि इस इलाके में चूहों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई है और उन्होंने बाग की जमीन को खोद दिया है जिससे वहां स्थित ‘अल्बर्ट हॉल’ भवन प्रभावित हो रहा है.
जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की टीम ने इस पूरे इलाके को चूहों से मुक्त कराने के लिए दो दिवसीय अभियान सोमवार सुबह शुरू किया. अधिकारियों ने बताया कि इसके तहत ‘रामनिवास बाग’, ‘अल्बर्ट हॉल’ और बाग में स्थित अन्य स्थल सोमवार और मंगलवार को दो दिन के लिए बंद रहेंगे.
‘बड़े पैमाने पर होगा कीटनाशकों का इस्तेमाल’
अधिकारी चूहों को मारने के लिए बड़े पैमाने पर कीटनाशकों का इस्तेमाल करेंगे. तत्कालीन महाराजा सवाई रामसिंह द्वारा 1868 में निर्मित इस बाग में शानदार ‘अल्बर्ट हॉल’ है, जिसमें अब संग्रहालय भी चलता है. हालांकि, पिछले कुछ समय से ये दोनों प्रतिष्ठित स्थान चूहों के प्रकोप से त्रस्त हैं. चूहों ने बाग की जमीन को खोद दिया है, वहां असंख्य बिल बना लिए हैं और बाग में स्थित ‘अल्बर्ट हॉल’ भी इससे प्रभावित हो रहा है.
जेडीए के सचिव निशांत जैन ने कहा, ‘‘उद्यान में आज से चूहा नियंत्रण गतिविधि शुरू हो गई है.” पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक पंकज धरेन्द्र ने बताया कि जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा विभाग को पत्र के माध्यम से सूचित किया गया है कि 30 सितंबर और एक अक्टूबर को रामनिवास बाग बंद रहेगा.
बिलों को भरा जाएगा
रामनिवास उद्यान के अधीक्षक अब्दुल मजीद के अनुसार, इलाके में बड़ी संख्या में चूहों की मौजूदगी पर्यटकों के साथ-साथ आम लोगों को भी परेशान कर रही है. इसलिए कीटनाशकों की मदद से चूहों को खत्म किया जाएगा और उनके बिलों को भरा जाएगा.
उन्होंने बताया, ‘‘कोविड-19 महामारी के दौरान छोटे स्तर पर चूहा नियंत्रण गतिविधियां चलाई गई थीं, लेकिन इस बार बड़े स्तर पर गतिविधियां चलाई जा रही हैं. उन्होंने दावा किया कि इलाके में चूहों की संख्या एक लाख से भी ज्यादा हो सकती है. चूहों की इतनी बड़ी संख्या ने अधिकारियों और आम लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. इससे संक्रमण का भी खतरा है, इसलिए यह गतिविधि बहुत जरूरी थी.”
‘प्रिंस ऑफ वेल्स’ ने 1876 में भवन की आधारशिला रखी थी
इस इलाके में चिड़ियाघर, पक्षी उद्यान और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रविन्द्र मंच थियेटर भी है. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बाग में खोमचे व रेहड़ी वालों और पक्षियों को दाना खिलाने वालों के कारण चूहों की संख्या बढ़ी है. ‘अल्बर्ट हॉल’ की संकल्पना और डिजाइन सर स्विंटन जैकब ने की थी और ‘प्रिंस ऑफ वेल्स’ ने 1876 में भवन की आधारशिला रखी थी.
1500-2000 पर्यटक प्रतिदिन संग्रहालय का दौरा कर रहे हैं
धरेंद्र ने कहा कि चूहों की बढ़ती आबादी इस भवन की नींव के लिए खतरा बन गई है. उन्होंने कहा कि हालांकि संग्रहालय के अंदर की वस्तुओं को कोई नुकसान नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में लगभग 1500-2000 पर्यटक प्रतिदिन संग्रहालय का दौरा कर रहे हैं और अभी शुरू हुए पर्यटन के मौसम में पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी.
SOURCE – PROMPT TIMES