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आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहकों को बीमा में 4 लाख एवं 2 लाख के स्थान पर, 1 लाख व 50 हजार देने की प्रस्तावित योजना आदिवासियों पर आर्थिक अत्याचार।

ByPrompt Times

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• 0 वन व  श्रम विभाग के बीच पीस रहे हैं आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहक, श्रम विभाग अपने योजना ही नहीं चला पा रही है ।
• कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित  योजना, सहायता योजना है – –संग्राहकों को कोई संवैधानिक संरक्षण नहीं।
                      – बृजमोहन अग्रवाल

रायपुर/28 जुलाई 2020/ भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार पर प्रदेश के भोले-भाले आदिवासियों के साथ छल, कपट एवं अन्याय करने का आरोप लगाते हुए कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीमा में भाजपा सरकार में जहां उन्हें सामान्य मृत्यु होने पर 2 लाख रूपये और दुर्घटना मृत्यु पर 4 लाख रूपये देने का प्रावधान था। उसमें कटौती कर वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार की श्रम विभाग की प्रस्तावित  योजना अर्थात असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा योजना में मृत्यु होने पर 1 लाख व दिव्यांग होने पर 50 हजार देने का प्रावधान है। यह सीधे-सीधे गरीब आदिवासियों के आर्थिक कमर तोड़ने वाला काम है।

श्री अग्रवाल ने राज्य सरकार द्वारा तेंदूपत्ता श्रमिकों के लिए श्रम विभाग द्वारा प्रस्तावित  किए जा रहे योजना को नाकाफी बताते हुए कहा कि श्रम विभाग की योजना असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा योजना ‘सहायता योजना’ है जबकि पूर्व शासन में जो बीमा होता था वह ‘‘बीमा-सुरक्षा योजना’’ है। सहायता योजना शासन के परिस्थितियों पर निर्भर है जबकि बीमा योजना विधि अधिनियम अनुसार संचालित है जिसमें बीमित को संवैधानिक संरक्षण है। उन्होंने प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि नवीनीकरण के चलते बीमा नहीं होने के कारण अभी तक घटित घटनाओं पर पीड़ित संग्राहकों का क्या होगा ? सरकार जवाब क्यों नहीं देती।

श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार बार-बार श्रम विभाग की असंठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा योजना को लागू करने की बात कर रही है वह योजना पूर्व में भी वन विभाग की बीमा योजना के साथ ही साथ लागू था, और प्रदेश के तेंदूपत्ता संग्राहक जिन्होंने श्रम विभाग में भी पंजीयन कराया था, उसे इस योजना का वन विभाग की योजना के साथ ही लाभ मिल रहा था। अब अधिकारी वन विभाग, आदिवासियों तथा जनता के दबाव में अपने बचाव के लिए जो यह प्रस्तावित  योजना जो बता रहे है, उसमें जिन आदिवासी तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ता की मौत होगी उसे एक लाख रुपए देने का प्रावधान रखा गया है, दिव्यांग होने पर 50 हजार रुपए देने का प्रावधान रखा गया है। पहले भाजपा सरकार में तेंदूपत्ता संग्राहको का जो बीमा था, उसमें आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहक की सामान्य मृत्यु होने पर 2 लाख रुपए और दुर्घटना मृत्यु होने पर 4 लाख रुपए देने का प्रावधान था, श्रम विभाग के माध्यम से जो आदिवासी तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ताओं को योजना के लिए सूची देने का निर्णय लिया गया है, उसमें एक षड्यंत्र के तहत साईकिल देने का भी प्रावधान रखा गया है।

श्री अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के अधिकारी सरकार को गुमराह कर रहे हैं। बहुत जल्द 13 लाख तेंदूपत्ता संग्रहण कर्ताओं को उनके बीमा कराने के लिए श्रम विभाग के माध्यम से प्रक्रिया प्रारंभ करने की बात कह रहे हैं, जबकि श्रम विभाग के पास पहले ही अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले असंगठित मजदूर लोगों का 12 लाख लोगों का बीमा करने की प्रक्रिया चालू है, और उसमें भी 1000 असंगठित मजदूरों की मृत्यु हो चुकी है, अभी हाल ही में श्रम विभाग की हुई एक बैठक में उन मृतक श्रमिकों का जो भुगतान शेष है, वह नहीं होने के कारण बैठक में नाराजगी व्यक्त की गई थी। 12 लाख असंगठित मजदूरों के बीमा के लिए विभिन्न कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किया गया है। जो विचाराधीन है। श्रम विभाग तो अपना ही मूल कार्य नहीं कर पा रहा है। फिर इन आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहकों का क्या होगा?

श्री अग्रवाल ने कहा कि श्रम विभाग से जुड़े हितग्राहियों का बीमा कब होगा, इसकी समय सीमा तय नहीं की गयी है, और सरकार 13 लाख तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ता जो मूलतः आदिवासी हैं, उनका भी पंजीयन कराकर बीमा कराने की प्रक्रिया श्रम विभाग पर डालने का असफल प्रयास कर रही है, इसको दोनों को जोड़ दिया जाए तो इसकी संख्या 25 लाख असंगठित श्रमिक होते हैं। कब इसकी प्रक्रिया पूरी होगी, ईश्वर जाने, कब बीमा होगा यह तय नहीं है। जो विभाग अपने मूल कर्तव्य को ही पूरा नहीं कर पा रहा हो उससे तेंदूपत्ता संग्राहकों को क्या उम्मीद होगी।

श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रतिवर्ष करीब 2 हजार से अधिक आदिवासी तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ताओं की सामान्य एवं दुर्घटना से मौत होती है। दो वर्ष व्यतीत होने के पश्चात भी इनका कहीं कोई बीमा नहीं है। तो उन हजारों तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ताओं की, जिनकी मृत्यु इस दौरान हो चुकी है, उनका बीमा का भुगतान या राशि का भुगतान कौन करेगा इस पर कोई भी बयान सरकार या विभाग की ओर से नहीं आ रहा है। वन विभाग और छत्तीसगढ़ सरकार को इसे भी संज्ञान में लेना होगा। एक बात स्पष्ट नजर आ रही है, अधिकारी अपने बचाव के लिए वन मंत्री और छत्तीसगढ़ सरकार को पूरी तरह गुमराह करने में लगे हुए हैं।

श्री अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से मांग की है आदिवासियों के साथ शोषण के इस ज्वलंत मुद्दे को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए एक नई बीमा योजना वन विभाग को बनाने की आवश्यकता है जिससे उन्हें पूर्व की भांति राशि मिल सके व  वनमंत्री, राज्य लघु वनोपज संघ के समस्त सदस्यों तथा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक लें और पुरानी व्यवस्था के साथ, वनोपज संघ के अधिकारियों की नई कल्पना या प्रस्तावित योजना  की समीक्षा करे व आदिवासी हितों में ठोस निर्णय लेकर आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहकों का पूर्व की भांति बीमा हो, तत्काल उनको दो साल का बचा बोनस व लाभांश मिले, उनके बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि मिले यह सुनिश्चित करें।


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