• April 25, 2024 7:37 pm

आने वाली सर्दियों में यूरोप के लोगों को हीटिंग और ईटिंग में से किसी एक को चुनना होगा

17  सितंबर 2022 | जहां यूक्रेन में मौजूद रूसी सैनिक व्लादीमीर पुतिन के शर्मनाक युद्ध को कोस रहे हैं, वहीं वहां से उनकी तुरत-फुरत वापसी का यह मतलब नहीं है कि पुतिन सरेंडर करने जा रहे हैं। वास्तव में बीते सप्ताह उन्होंने एक नया मोर्चा खोल लिया है- एनर्जी का। पुतिन को लगता है कि उन्होंने ऐसा ‘शीतयुद्ध’ खोज निकाला है, जिसे वे जीत सकते हैं।

वे इन सर्दियों में यूरोपियन यूनियन को ठिठुरा देने का प्लान बनाए हुए हैं और वे ऐसा करेंगे रूसी गैस और तेल की सप्लाई पर रोक लगाकर। उनकी मंशा है, यूरोपियन यूनियन पर इस बात का दबाव बनाया जाए कि वह रूस और यूक्रेन के बीच में नहीं पड़े। अलबत्ता, रूस के लिए यह कोई नई परिपाटी नहीं है। पुतिन से पहले भी रूसी नेता और ज़ार सर्दियों के मौसम का अपने पक्ष में इस्तेमाल करते रहे हैं।

नेपोलियन और हिटलर को इसी तरह से परास्त किया गया था। और पुतिन का मानना है कि यूक्रेन को हराने के लिए भी यही नीति कारगर होगी। यही कारण है कि बीते सप्ताह जेलेंस्की ने कहा था कि रूस सर्दियों के इन तीन महीनों में भरसक कोशिश करेगा कि यूक्रेन और विश्व के प्रतिरोध को तोड़ सके। काश कि मैं कह पाता कि पुतिन विफल होंगे और अमेरिका यूरोप को भरपूर सप्लाई कर सकेगा।

काश कि मैं लिख पाता कि पुतिन को अपनी रणनीतियों पर पछतावा होगा, क्योंकि वे रूस को चीन की एनर्जी-कॉलोनी बना रहे हैं। पुतिन को पश्चिमी बाजार में जो घाटा हो रहा है, उसकी भरपाई करने के लिए वे चीन को भारी छूट पर बहुत सारा तेल बेच रहे हैं। लेकिन मैं चाहकर भी ये तमाम बातें नहीं लिख सकता, क्योंकि अमेरिका और उसके यूरोपियन साथी एक कल्पना-लोक में जी रहे हैं और उन्हें लगता है कि वे जीवाश्म ईंधन से क्लीन रिन्यूएबल एनर्जी तक की यात्रा महज एक स्विच दबाकर पूरी कर लेंगे।

मैं स्वयं अनेक वर्षों से क्लीन एनर्जी का मुखर पक्षधर रहा हूं। लेकिन केवल चाहने से कुछ नहीं हो जाता, बदलाव लाने के लिए हमें कुछ करना होता है। बीते पांच सालों में हमने पवन और सौर ऊर्जा पर चाहे जितना निवेश किया हो, दुनिया के ऊर्जा-उपयोग का 82 प्रतिशत हिस्सा आज भी तेल, गैस और कोयला से ही मिल रहा है। इन ऊर्जा-संसाधनों की जरूरत हीटिंग, ट्रांसपोर्टेशन और इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन में होती है।

अकेले अमेरिका में 2021 में 61 प्रतिशत एनर्जी-जनरेशन कोयले और प्राकृतिक गैस की मदद से हो रहा था। एशिया, अफ्रीका और लातीन अमेरिका में एनर्जी के भूखे मध्यवर्ग का उदय हो रहा है, ऐसे में ऊर्जा की जरूरतों की पूर्ति के लिए भारी पैमाने पर नई क्लीन एनर्जी की जरूरत होगी। यह काम महज स्विच दबाने से नहीं होगा। हमें ट्रांज़िशन के एक बड़े दौर से गुजरना होगा।

और वैसा तभी हो सकेगा, जब हम अपनी ऊर्जा नीति में स्मार्ट थिंकिंग को अपनाएंगे। यूक्रेन-युद्ध शुरू होने से पहले यूरोप अपनी हीटिंग और इलेक्ट्रिसिटी की जरूरतों के लिए रूस पर आश्रित था। वह रूस से अपनी जरूरत की 40 प्रतिशत प्राकृतिक गैस और 50 प्रतिशत कोयला ले रहा था। बीते सप्ताह रूस ने घोषणा की कि वह तब तक के लिए यूरोप को गैस सप्लाई पर रोक लगा रहा है, जब तक कि उस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध समाप्त नहीं कर दिए जाते।

पुतिन यूरोप के लिए ऑइल-शिपमेंट रोकने की भी बात कह रहे हैं। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट है कि प्राकृतिक गैस की पर्याप्त वैकल्पिक और अफोर्डेबल सप्लाई के अभाव में यूरोप में कुछ फैक्टरियां बंद हो गई हैं। कुछ यूरोपियन देशों में एनर्जी-बिल्स में 400 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई है। आने वाली सर्दियों में अब लोगों को हीटिंग और ईटिंग में से किसी एक को चुनना होगा। सरकारें बड़े पैमाने पर सब्सिडी देने को मजबूर होंगी, जिससे उनका बजट गड़बड़ा जाएगा।

कुछ देश फिर से कोयला जलाने की ओर लौट रहे हैं। मुझे पता नहीं दोनों में कौन ज्यादा गैरजिम्मेदार है- रातोंरात ग्रीन रिवोल्यूशन चाहने वाले या बाइडेन की ऊर्जा-नीति से सहमत होने के बजाय पुतिन की जीत की कामना करने वाले। लेकिन मैं बार-बार इस बात को दोहरा रहा हूं कि यूरोप के पेट्रो-पुतिनवाद को हराने में अमेरिका की ऊर्जा-नीति का केंद्रीय योगदान होगा। हमें अपने सहयोगियों को किफायती दरों पर तेल और गैस मुहैया कराना ही होंगे, ताकि पुतिन उन्हें ब्लैकमेल नहीं कर सकें।

पुतिन सर्दियों में यूरोपियन यूनियन को ठिठुरा देने का प्लान बनाए हुए हैं और वे ऐसा करेंगे रूसी गैस और तेल की सप्लाई पर रोक लगाकर। उनकी मंशा है यूरोपियन यूनियन पर दबाव बनाकर यूक्रेन को हराना।

Source:-“दैनिक भास्कर”

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