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कोरोना काल में शासन ने निःशुल्क पुस्तक ही नही दी, तो आनलाईन पढ़ाई कैसे?

ByPrompt Times

Sep 16, 2020
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• 5 माह बाद भी अशासकीय स्कूली बच्चो को निःशुल्क पुस्तके नही
• अशासकीय स्कूलो के बच्चे क्या प्रदेश के बच्चे नही

रायपुर/15 सितम्बर 2020/ विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रदेश के निजी स्कूलों के बच्चों को स्कूल प्रारंभ होने के 5 माह बाद भी निःशुल्क पुस्तक उपलब्ध नहीं होने को गंभीर लापरवाही बताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। क्या प्रदेश के निजी स्कूलो के बच्चे इस प्रदेश के बच्चे नही। उन्होंने कहा कि शासकीय स्कूल के भी 50 प्रतिशत बच्चो को अभी तक पुस्तक नही मिल पाया है। जब कोरोना काल मे स्कूल ही नही खुल रहे है और आॅनलाईन पढ़ाई की बात की जा रही है तो यह भी स्पष्ठ होना चाहिए कि बिना पुस्तक के आॅनलाईन पढ़ाई कैसे हो रही होगी। बच्चे क्या पढ़ रहे होंगे। शासकीय व अशासकीय छोटे-छोटे स्कूलो में पढ़ रहे गरीब बच्चों के पालक इस कोरोना काल में जब आर्थिक मार से गुजर रहे है बाजार से पुस्तक कैसे खरीद पायेंगे।
श्री अग्रवाल ने कहा कि शासन द्वारा शिक्षा सत्र के प्रारंभ में ही कक्षा 1 से 10वीं तक के स्कूली छात्रों को निःशुल्क पुस्तक बांटने की व्यवस्था है परन्तु इस वर्ष शासन की लापरवाही के चलते निजी क्षेत्र के स्कूलों के लाखों स्कूली बच्चों की जिसे मई माह में ही पुस्तके मिल जाती थी, उन बच्चों को आज सितम्बर माह तक पुस्तकें नहीं मिल पा रही है। पुस्तक नहीं मिल पाने के कारण बच्चे घर पर पढाई भी नहीं कर पा रहे हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में स्कूलों बच्चों को निःशुल्क पुस्तकों का वितरण की और कोई देखने वाला भी नही है। कोई मानिटरिंग का सिस्टम नहीं है डिपों में पुस्तकें पड़ी हुई है जहां से स्कूलों को पुस्तक वितरण ही नहीं किया जा रहा है स्कूलों के संचालकगण लगातार विभाग व डिपो के चक्कर काटते-काटते थक चुके है। अभी भी सितम्बर माह में स्कूलों से दुबारा दर्ज संख्या मांगी जा रही है पुस्तक वितरण की बात तो दूर अभी विभाग दर्ज संख्या को लेकर ही उलझी हुई है और लाखो विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि यह स्थिति प्रदेश में पहली बार पैदा हुई है कि स्कूली बच्चों को 5-5 माह बाद भी निःशुल्क पुस्तक ही नही मिल पा रही है, सरकार की इच्छा शक्ति होती तो डाक या कोरियर से भी प्रत्येक बच्चो के घर में पुस्तक पहुंचाया जा सकता था। अगर बच्चो को पुस्तक उपलब्ध करा दिया जाता तो कम से कम बच्चे स्कूल प्रारम्भ न हो पाने की स्थिति में अपने घरो में पढ़ाई कर पाते। पूरे प्रदेश के 28 जिलों में अमूमन यही स्थिति है और विभाग का इस ओर ध्यान ही नही है।

(मीडिया प्रभारी)


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