• April 26, 2024 3:04 am

भारतीय सेना जल्द ही अलग से बनाएगी ड्रोन रेजिमेंट

By

Jan 16, 2021
भारतीय सेना जल्द ही अलग से बनाएगी 'ड्रोन रेजिमेंट'

भारतीय सेना अब तकनीकी युद्ध की तैयारी के चलते जल्द ही ‘ड्रोन रेजिमेंट‘ बनाने की तैयारी में है इसके लिए सेना ने हाल ही में महाराष्ट्र की एक कंपनी से 140 करोड़ का सौदा किया है। सेना के इन इरादों का नजारा शुक्रवार को सेना दिवस की परेड में भी पहली बार दिखा । सेना ने स्वदेशी ड्रोन के आक्रामक और नज़दीकी प्रदर्शन के साथ आज खुद को युद्ध के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित किया। झुंड ड्रोन का प्रदर्शन कर ने के साथ ही सेना ने ड्रोन प्रणाली को विघटनकारी तकनीक करार दिया, जो दुश्मन के इलाके में 50 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेद सकती है।

सेना दिवस की परेड में पहली बार दुश्मन के टैंकों, ईंधन डिपो, आतंकी ठिकाने और रडार ठिकानों सहित अन्य स्थानों पर एक लक्षित हमले को अंजाम देते हुए ड्रोन की आक्रामक क्षमता का प्रदर्शन किया गया । आज के प्रदर्शन में 75 ड्रोन शामिल थे जिसमें मदर ड्रोन से चाइल्ड ड्रोन के रिलीज होने का भी प्रदर्शन किया गया । आने वाले महीनों में इस तरह की 1,000 प्रणालियों की क्षमता बढ़ाना है। भारतीय सेना के यह ड्रोन दुश्मन के इलाके में 50 किमी अंदर घुस सकते हैं और स्वतंत्र सैन्य कार्यों को अंजाम देकर लक्ष्यों को नष्ट कर सकते हैं। परेड स्थल पर टैंगो एक से लेकर टैंगो 12 तक लक्ष्य रखे गए थे जिन्हें ड्रोन ने ऑपरेशन के दौरान सटीक निशाना बनाकर अपने-अपने लक्ष्यों को नष्ट किया। मल्टीपल पेलोड क्षमता के क्वाडकॉप्टर ड्रोन के जरिये दूर के क्षेत्रों में रसद, चिकित्सा आपूर्ति , पैरा-ड्रॉपिंग और लैंडिंग का भी प्रदर्शन किया गया।

इन ड्रोंस के जरिये सेना ने अपनी बढ़ती लड़ाकू तकनीकी क्षमता को दिखाते हुए संकेत दिए कि भविष्य में इनका उपयोग तैनात सैनिकों के समर्थन के लिए किया जा सकता है। सेना ने घोषणा की कि इन ड्रोनों द्वारा कुल 600 किलोग्राम की आपूर्ति की जा सकती है। सेना के सूत्रों ने कहा कि इस प्रणाली को बेंगलुरु के स्टार्टअप, न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के सहयोग से विकसित किया गया है। सेना ने अगस्त में पांच ड्रोन के साथ शुरुआत की थी, जिन्हें अक्टूबर में 20, दिसम्बर में 30 और अब 75 तक बढ़ाया गया है। सशस्त्र बल ड्रोन क्षमताओं पर बड़ा दांव लगा रहे हैं क्योंकि हालिया अर्मेनिया-अजरबैजान संघर्ष में दिखाया गया है कि पारंपरिक युद्ध लड़ने वा ले हथियार कैसे ड्रोन का शिकार हो सकते हैं। इसलिए सेना ने लद्दाख के विशेष ऊंचाई वाले इलाकों में ड्रोन परिचालन के लिए ‘आइडिया फोर्ज’ के साथ लगभग 140 करोड़ रुपये का सौदा किया है।

दरअसल ड्रोन खरीदने के लिए एक अमेरिकी कंपनी के साथ लम्बे समय से सौदे की प्रक्रिया चल रही थी लेकिन इस बीच महाराष्ट्र की कंपनी आइडिया फोर्ज के स्विच ड्रोन का लद्दाख में कई दौर का परीक्षण हुआ । सेना के साथ कई दौर के परीक्षणों में उपयोगी साबित होने पर भारतीय सेना ने विदेशी ड्रोन प र निर्भरता के सभी रास्ते बंद करते हुए फास्ट ट्रैक प्रोटोकॉल के तहत 140 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है । कंपनी से मिलने वाले स्विच सामरिक ड्रोन पैदल सेना के सैनिकों और उच्च ऊंचाई पर तैनात विशेष बलों को उपलब्ध कराए जायेंगे । 6.5 किलो के यह ड्रोन ऊर्ध्वाधर टेक-ऑफ, पारंपरिक 2-घंटे की उड़ान और 4,000 मीटर की ऊंचाई से 15 किमी . तक निगरानी करने में सक्षम है। यह ड्रोन अगले साल तक सेना को मिल जायेंगे । इन्हें पूर्वी लद्दाख के विवादित बिंदुओं पर तैनात विशेष बल इकाइयों के साथ प्राथमिकता पर तैनात किया जाएगा ।

आइडिया फोर्ज के कार्यकारी अध्यक्ष गणपति सुब्रमण्यम के अनुसार स्विच ड्रोन को इंटेलिजेंस, सर्विलांस एंड रिकोनेन्स (आईएसआर) मिशनों में दिन और रात की निगरानी के लिए उच्च ऊंचाई और कठोर वातावरण में तैनात किया जा सकता है। यह एकमात्र ऐसा उत्पाद है जो भारतीय सेना की उम्मीदों पर खरे उतरे, इसलिए कड़े परीक्षणों के बाद मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि विश्वस्तरीय तकनीक के संयोजन और ग्राहकों की आवश्यकताओं की गहरी समझ के परिणामस्वरूप वैश्विक प्रतिस्पर्धा के खिलाफ इस अनुबंध को हासिल करने में सफलता मिली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *