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INDvENG – भारत की तेज़ गेंदबाज़ी के इतिहास को कैसे बदल रहे हैं ये चार खिलाड़ी

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Feb 5, 2021
INDvENG - भारत की तेज़ गेंदबाज़ी के इतिहास को कैसे बदल रहे हैं ये चार खिलाड़ी

भारत में अब केवल स्पिन गेंदबाज़ों का ख़तरा नहीं रहा. बीते चार सालों में भारत ने जितने टेस्ट विकेट हासिल किये हैं, उनमें 60 प्रतिशत विकेट तेज़ गेंदबाज़ों ने हासिल किये.

यह पिछले 75 सालों की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है.

जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव और ईशांत शर्मा की चौकड़ी ने ये क़ामयाबी हासिल की है.

ऐसे में शुक्रवार से शुरू हो रही चार टेस्ट मैचों की सिरीज़ में इंग्लिश टीम को इन गेंदबाज़ों से सावधान रहने की ज़रूरत होगी.

इन चार गेंदबाज़ों में से एक लगभग पुलिस की नौकरी में जाने वाला था, एक को ट्रेनिंग सेशन में भी नींद आने लगती है.

भारत की तेज़ गेंदबाज़ी के इतिहास में सबसे ख़तरनाक अटैक की इन्हीं ख़ासियतों को जानने के लिए बीबीसी स्पोर्ट्स ने कुछ खिलाड़ियों और कोचों से बातचीत की है.

जसप्रीत बुमराह
1970 के बाद टेस्ट क्रिकेट में कम से कम 50 विकेट हासिल करने को पैमाना मानें, तो वेस्टइंडीज़ के मैल्कम मार्शल, जोएल गार्नर और कर्टली एंब्रोस की गेंदबाज़ी का औसत ही जसप्रीत बुमराह से बेहतर है.

भारत के तेज़ गेंदबाज़ों में जसप्रीत बुमराह निस्संदेह सुपरस्टार हैं.

27 साल के बुमराह ने टेस्ट क्रिकेट में धमाकेदार शुरुआत करने से पहले नाम और पैसा, दोनों आईपीएल में मुंबई इंडियंस की ओर से खेलते हुए बनाया.

इन चारों गेंदबाज़ों के साथ खेल चुके भारत के पूर्व बल्लेबाज़ सुरेश रैना ने बताया, “भारतीय कप्तान विराट कोहली उन्हें बहुत पसंद करते हैं. जब भी कोई मुश्किल महसूस करते हैं, तो वे उस वक़्त गेंद बुमराह को ही थमाते हैं.”

बुमराह काफ़ी सटीक गेंदबाज़ी करते हैं. सफ़ेद गेंद हो या फिर लाल गेंद, वे तेज़ गति से गेंद को दोनों तरफ़ घुमा सकते हैं.

बुमराह बेहद छोटे रन-अप से गेंदबाज़ी करते हैं. उन्होंने अपने घर के छोटे से हिस्से में गेंदबाज़ी सीखी थी, इसका असर आज भी दिखता है.

छोटे रन-अप से आने के बाद भी बुमराह 90 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से गेंदबाज़ी करते हैं.

बुमराह के शुरुआती करियर में उनकी गेंदबाज़ी का सामना कर चुके अभिषेक झुनझुनवाला ने बताया, “हम सोचते थे कि कौन है ये लड़का? कैसे एक्शन से गेंदबाज़ी करता है? इसे मुंबई इंडियंस ने अपनी टीम के लिए कैसे चुन लिया?”

बुमराह दूसरे तेज़ गेंदबाज़ों की तरह आक्रामक नहीं हैं. मैदान पर उनकी मुस्कान हमेशा बनी रहती है और ख़ुद को रिलेक्स रखने के लिए उन्हें म्यूज़िक सुनना पसंद है.

सुरेश रैना ने बताया, “मैं जिन लोगों के साथ खेला हूँ, उनमें सबसे बेहतरीन इंसानों में बुमराह शामिल हैं. वे दूसरे तेज़ गेंदबाज़ों की तरह जश्न नहीं मनाते. वे हमेशा शांत दिखते हैं.”

मोहम्मद शमी
मोहम्मद शमी अब तक पाँच बार टेस्ट क्रिकेट की एक पारी में पाँच या उससे ज़्यादा विकेट झटकने का कारनामा दिखा चुके हैं.

पिछले चार साल में भारत की ओर से सबसे ज़्यादा विकेट उन्होंने झटके हैं.

30 साल के शमी अपनी गेंदों को नियंत्रण में रखते हैं. हवा और पिच पर गेंद को घुमाने की क़ाबिलियत के चलते वे टीम के लिए एक अहम गेंदबाज़ साबित हुए हैं.

हालांकि, हमेशा ऐसा नहीं था. मोहम्मद शमी के साथ पश्चिम बंगाल की टीम में खेल चुके और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके पहले रूम पार्टनर रहे झुनझुनवाला ने बताया, “शमी को खाना और सोना बहुत पसंद था. जब मैच नहीं होता था, तो बंगाल के दूसरे क्रिकेटर कुछ ना कुछ कर रहे होते थे. लेकिन शमी बाहर नहीं निकलता था. वो हमेशा बेड में सो रहा होता था. जिस दिन मैच नहीं होता था, उस दिन 24 घंटे में 18 घंटे वो सोया करता था.”

झुनझुनवाला ने ये भी बताया कि “हम लोग उसकी क्षमता को जानते थे. लेकिन उसके दृष्टिकोण को लेकर सवाल था. हम लोगों के बीच उसकी फ़िटनेस को लेकर बात होती थी. हमें लगता था कि वो अपना दृष्टिकोण बदलेगा तो भारत की ओर से खेलेगा.”

साल 2012-13 में घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन शानदार रहा. इसके बाद जनवरी 2013 में उन्हें भारत की ओर से वनडे क्रिकेट में डेब्यू करने का मौक़ा मिला.

इसके बाद जल्दी ही उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भी डेब्यू किया.

झुनझुनवाला ने बताया, “तब जाकर उसे महसूस हुआ कि वो केवल मनोरंजन के लिए नहीं खेल रहा है, बल्कि देश के लिए खेल रहा है.”

इसके बाद से शमी ने मैदान के बाहर भी प्रतिबद्धता दिखानी शुरू कर दी.

झुनझुनवाला बताते हैं, “वे बेहद शांत हैं. उनमें भी आक्रामकता नहीं है. हम उनसे बल्लेबाज़ों के साथ बदज़ुबानी करने को कहते थे. लेकिन वे किसी को उकसाते नहीं थे. ड्रेसिंग रूम में भी वे बहुत बात करने वालों में नहीं रहे.”

मोहम्मद शमी, उमेश यादव की तरह की चोट के चलते इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पहले दो टेस्ट मैचों में हिस्सा नहीं लेंगे. लेकिन वे बाद में सिरीज़ में हिस्सा लेंगे.
उमेश यादव
बीते चार साल के दौरान, टेस्ट क्रिकेट में 50 विकेट से ज़्यादा विकेट हासिल करने वाले गेंदबाज़ों में उमेश कुमार तिलक यादव का स्ट्राइक रेट (42.0) सबसे बेहतर रहा है.

बुमराह, शमी और ईशांत के घायल होने की स्थिति में 33 साल के उमेश यादव को पहले रिप्लेसमेंट के तौर पर देखा जाता है.

इसके बावजूद स्ट्राइक रेट के लिहाज से वे दुनिया के सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ों में शामिल हैं.

एथलीट जैसी कद काठी के उमेश यादव अपनी तेज़ी से बल्लेबाज़ों को छकाते रहे हैं.

वैसे यह भी संभव था कि उमेश यादव भारतीय क्रिकेट में नज़र नहीं आते. स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पुलिसबल में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था. महज दो नंबर कम होने के चलते उनका पुलिसबल में चयन नहीं हुआ, वरना वे क्रिकेटर बनने की जगह पुलिस फ़ोर्स में शामिल हो गए होते.

उन्होंने नागपुर में सेकेंड डिविज़न क्लब क्रिकेट से शुरुआत की. तभी एक अंपायर ने उनकी तेज़ी को सबसे पहले स्पॉट किया था.

बिना स्पाइक वाले जूतों में उमेश अपनी गेंदबाज़ी की रफ्तार से प्रभाव छोड़ने में कामयाब हुए थे.

संयोग ऐसा था कि अंपायर के भाई प्रीतम गांधे विदर्भ की फ़र्स्ट क्लास टीम के कप्तान थे. उन्होंने उमेश को नेट्स पर गेंदबाज़ी के लिए बुलाया.

गांधे ने बताया, “उसने बिना रन-अप के, विकेट के पीछे से ही गेंदबाज़ी की, लेकिन वह काफ़ी तेज़ गेंदबाज़ी कर रहे थे.”

22 साल तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल चुके गांधे ने बताया, “मुझे पता चल गया था कि इस गेंदबाज़ में कुछ तो ख़ास है.”

टीम के कप्तान तो प्रभावित थे, लेकिन चयनकर्ताओं और कोच को भरोसा नहीं हो रहा था.

गांधे ने बताया, “शुरुआत में लोगों की बहुत दिलचस्पी नहीं थी. लोग कह रहे थे कि अभी तो युवा है, अच्छी लाइन लेंथ पर गेंदबाज़ी नहीं कर पाएगा. लेकिन मेरी सोच स्पष्ट थी. मैं उसे किसी क़ीमत पर मौक़ा देना चाहता था. क्योंकि मुझे लग रहा था कि एक ओवर में वह तीन गेंदें भी सही स्पॉट पर डाले, तो हम लोग विपक्षी टीम को आउट कर लेंगे.”

इस तरह से 21 साल की उम्र में उमेश यादव उर्फ़ बबलू को रणजी ट्रॉफ़ी में विदर्भ की ओर से मध्य प्रदेश के ख़िलाफ़ खेलने का मौका मिला.

गांधे उस मैच को याद करते हैं, “उमेश की एक गेंद एक बल्लेबाज़ के हेलमेट पर लगी तो हेलमेट टूट गया. दूसरे बल्लेबाज़ के चेस्ट गार्ड पर गेंद लगी तो वह भी टूट गया.”

गांधे ने बताया, “जब पहला ड्रिंक्स ब्रेक हुआ, तो भारत के पूर्व बल्लेबाज़ ऋषिकेश कानिटकर मेरे पास आये और उन्होंने पूछा, कौन है ये लड़का? मुझे लग रहा है कि वेस्टइंडीज़ के किसी तेज़ गेंदबाज़ का सामना कर रहा हूँ.”

उमेश यादव ने पहले प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच की पहली पारी में 72 रन देकर चार विकेट चटकाए थे.

वे अब तक भारत की ओर से 148 टेस्ट विकेट झटक चुके हैं.

ईशांत शर्मा
कपिल देव और ज़हीर ख़ान के बाद टेस्ट क्रिकेट में 300 विकेट हासिल करने वाले तीसरे गेंदबाज़ बनने से ईशांत शर्मा महज तीन विकेट दूर हैं.

अब तक ईशांत भारत की ओर से 97 टेस्ट खेल चुके हैं. भारत के तेज़ गेंदबाज़ों की चौकड़ी में ईशांत सबसे लंबे गेंदबाज़ हैं.

वे जब चाहें, तब पिच से उछाल हासिल कर लेते हैं और जब चाहें तब बल्लेबाज़ के पैड्स पर निशाने लगाने वाली पूरी लेंथ की गेंदें भी डाल लेते हैं.

ईशांत शर्मा 2018 में काउंटी क्रिकेट में ससेक्स की ओर से खेल चुके हैं. इससे उनकी गेंदबाज़ी में सुधार भी हुआ.

यहीं उनकी दोबारा मुलाक़ात टीम के कप्तान बेन ब्राउन से हुई, जो एक समय में अंडर-19 क्रिकेट में ईशांत शर्मा के ख़िलाफ़ खेल चुके थे.

ब्राउन बताते हैं, “हमने उन दिनों को याद किया जब कोहली हमारी धुलाई करते थे और एक घंटे और 25 ओवरों में भारत जीत के लिए ज़रूरी रन बना लेता था. ईशांत काफ़ी मज़ेदार शख़्स हैं, उनका सेंस ऑफ़ हम्यूमर बहुत अच्छा है.”

ब्राउन ने याद करते हुए कहा, “हम लोग एक बार ब्रिटिश रेस्टोरेंट चेल वागामामा गये. उसने हमें बताया कि मेन्यू में सबसे अच्छी डिश फ़ायरक्रैकर है लेकिन उसमें मिर्च ज़्यादा होगी और आप लोग खा नहीं पाएंगे. उसने ऑर्डर किया, लेकिन तेज़ जायक़े से ख़ुद अपच का शिकार हो गया.”

ब्राउन के मुताबिक़, 32 साल के ईशांत मैदान की गर्मी को आसानी से हैंडल कर लेते हैं.

ईशांत भारत की ओर से 100 टेस्ट खेलने वाले पहले गेंदबाज़ बनने वाले हैं. भारत में जिस तरह से तेज़ गेंदबाज़ उभर कर सामने आये हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि वे इस मुकाम तक पहुँचने वाले इकलौते गेंदबाज़ नहीं रहेंगे.

BBC

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