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इसराइली पीएम नेफ़्टाली बेनेट ने कहा- ‘वी लव इंडिया’ तो जयशंकर ने दिया ये जवाब

22 अक्टूबर 2021 |  इसराइल के प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट ने बुधवार को कहा कि उनका देश भारत से प्यार करता है और भारत को एक अहम दोस्त के तौर पर देखता है. बेनेटे नेफ़्टाली जब ऐसा बोल रहे थे तो उनके सामने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी बैठे थे.

नेफ़्टाली ने कहा, ”मैं इसराइल के लोगों की ओर से ये बात कह रहा हूँ. हम लोग भारत से बहुत प्यार करते हैं. हम भारत को एक अहम दोस्त मानते हैं और इस रिश्ते को सभी क्षेत्रों में विस्तार देना चाहते हैं.”

नेफ़्टाली बेनेट के इस बयान का वीडियो इसराइली प्रधानमंत्री के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी पोस्ट किया गया है. इसराइली प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेफ़्टाली बेनेट को भारत आने का भी न्योता दिया है.

एस जयशंकर ने पीएम नेफ़्टाली को यह निमंत्रण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिया है. अगर नेफ़्टाली भारत आते हैं तो यह उनका पहला दौरा होगा.

नेफ़्टाली ने जब कहा कि वी लव इंडिया तो इसके जवाब में जयशंकर ने कहा, ”सबसे पहले मैं पीएम मोदी की ओर से आपको अभिवादन करता हूँ. दोनों मुल्कों के संबंध अहम पड़ाव पर हैं. दोनों देशों के संबंधों में तमाम संभावनाएं हैं. हमारे सामने अब चुनौती ये है कि इस रिश्ते को और ऊंचाई पर कैसे ले जाया जाए.

”’मैं इतना कह सकता हूँ कि भारत और इसराइल के संबंधों को लेकर जो भावना है और दिलचस्पी है, वो बहुत ही मज़बूत है. मेरे इस दौरे की अहमियत को इसी से समझा जा सकता है कि इसे काफ़ी तवज्जो दी जा रही है.”

इसराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जयशंकर और पीएम नेफ़्टाली की मुलाक़ात को लेकर एक बयान भी जारी किया गया है. इस बयान में कहा गया है कि जयशंकर ने पीएम नेफ़्टाली को भारत आने का न्योता दिया है.

इसराइली प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, नेफ़्टाली और जयशंकर के बीच दोनों देशों में रणनीतिक साझेदारी के साथ द्विपक्षीय रिश्तों के विस्तार पर बात हुई है. पीएम नेफ़्टाली ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी को इसराइल के साथ संबंधों में प्रतिबद्धता को लेकर शुक्रिया कहा है.

इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री की मुलाक़ात इसराइल के विदेश मंत्री येर लेपिड से सोमवार को हुई थी. दोनों देशों में नवंबर महीने से मुक़्त व्यापार व्यवस्था को लेकर बातचीत पर सहमति बनी है. दोनों में कोविड-19 टीकाकरण सर्टिर्फिकेट को भी मान्यता देने पर सहमति बनी है. अगले साल दोनों देश में राजनयिक संबंध स्थापित होने के 30 साल पूरे होने जा रहे हैं.

‘ब्लू फ़्लैग 2021’ एयर एक्सरसाइज़

इसराइल इस समय ‘ब्लू फ़्लैग 2021’ नामक मल्टीनेशनल एयर एक्सरसाइज़ कर रहा है. इस बहुराष्ट्रीय एयर एक्सरसाइज़ में सात देशों की वायु सेना भाग ले रही है और आज इसका पाँचवा दिन है. वायु सेनाओं का यह अभ्यास 28 अक्तूबर तक जारी रहेगा.

इस अभ्यास में जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, फ़्रांस, भारत, ग्रीस और अमेरिका की वायु सेनाएं भाग ले रही हैं. इसमें उनके चौथी और पांचवीं पीढ़ी के विमान हिस्सा ले रहे हैं. इसराइल के पाँच दिवसीय दौरे पर गए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को ओव्डा एयरबेस पर हो रही ब्लू फ़्लैग इंटरनेशनल एयरफ़ोर्स एक्सरसाइज़ का दौरा किया था.

जयशंकर ने ट्वीट करके इसकी जानकारी देते हुए कहा था, ”उन्हें भारतीय और इसराइली वायु सेना के बीच आपसी सम्मान और केमिस्ट्री को देखकर बहुत ख़ुशी हुई. रक्षा और सुरक्षा हमारे संबंधों के प्रमुख स्तंभ हैं.”

इसराइली एयर फ़ोर्स ने अपने बयान में कहा है, ”यह पहली बार है जब इसराइल के गठन के बाद ब्रिटिश लड़ाकू जहाज़ों का स्क्वॉड्रन आया हुआ है. इसके साथ ही पहली बार भारतीय वायु सेना का मिराज लड़ाकू विमान इसराइल में है और साथ ही पहली बार फ़्रांस वायु सेना के रफ़ाल लड़ाकू विमान का स्क्वाड्रन आया है.”

भारत और इसराइल संबंध

भारत और इसराइल के राजनयिक संबंधों का इतिहास बहुत लंबा नहीं है. भारत ने इसराइल के बनने के तुरंत बाद उसे एक स्वतंत्र मुल्क के रूप में मान्यता नहीं दी थी. भारत इसराइल के गठन के ख़िलाफ़ था.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में इसके ख़िलाफ़ वोट किया था. भारत के समर्थन के लिए मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने भारत के पूर्व प्रधामनंत्री जवाहरलाल नेहरू को ख़त लिखा था. लेकिन, नेहरू ने आइंस्टीन के ख़त को भी नकार दिया था.

आइंस्टीन ने नेहरू को लिखे खत में कहा था, ”सदियों से यहूदी दरबदर स्थिति में रहे हैं और इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ रहा है. लाखों यहूदियों को तबाह कर दिया गया है. दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं है, जहाँ वे ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर सकें. एक सामाजिक और राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन के नेता के रूप में मैं आपसे अपील करता हूँ कि यहूदियों का आंदोलन भी इसी तरह का है और आपको इसके साथ खड़ा रहना चाहिए.”

नेहरू ने आइंस्टाइन को जवाब में लिखा था, ”मेरे मन में यहूदियों को लेकर व्यापक सहानुभूति है. मेरे मन में अरबों को लेकर भी सहानुभूति कम नहीं है. मैं जानता हूँ कि यहूदियों ने फ़लस्तीन में शानादार काम किया है. लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में बड़ा योगदान दिया है, लेकिन एक सवाल मुझे हमेशा परेशान करता है. इतना होने के बावजूद अरब में यहूदियों के प्रति भरोसा क्यों नहीं बन पाया?”

कैसे बने राजनयिक रिश्ते

आख़िरकार 17 सितंबर 1950 को नेहरू ने इसराइल को मान्यता दी. नेहरू ने कहा था कि इसराइल एक सच है. उन्होंने कहा था कि तब इसलिए परहेज़ किया था क्योंकि अरब देश भारत के गहरे दोस्त थे और उनके ख़िलाफ़ नहीं जा सकते थे.

23 जनवरी, 1992 को भारत के तत्कालीन विदेश सचिव जेएन दीक्षित ने इसराइल के साथ राजनयिक रिश्ते क़ायम करने की घोषणा की.

जेएन दीक्षित ने इस घोषणा को लेकर कहा था, ”मुझे इसराइल के साथ पूर्ण राजनयिक रिश्ते क़ायम करने और दोनों देशों में एक दूसरे के दूतावास खोलने की औपचारिक घोषणा के लिए कहा गया था. मैंने इसकी घोषणा 24 जनवरी को की.”

इसराइल के साथ राजनयिक रिश्ते क़ायम करने में तीन कारकों को सबसे अहम माना जाता है.

24 जनवरी, 1992 को चीन ने इसराइल से राजनयिक रिश्ता क़ायम कर लिया था.

मॉस्को में तीसरे चरण की मध्य-पूर्व शांति वार्ता शुरू हुई थी, जो 1992 में 28 जनवरी से 29 जनवरी तक चली.

भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल होने अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर 1991 के फ़रवरी महीने में गए थे. इस दौरे को इसराइल से राजनयिक रिश्ता क़ायम करने की शुरुआत माना जाता है.

Source :- बीबीसी न्यूज़

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