धमतरी। मकर संक्रांति का पर्व उल्लास और उमंग के साथ 14 जनवरी को मनाया जाएगा। घरों में आराध्य देव को तिल-गुड़ का भोग लगाकर सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। बच्चे पतंग उड़ाकर खुशियां बाटेंगे। बुधवार को शहर की पतंग दुकानों में बच्चे पतंग खरीदते नजर आए।
तिल गुड़ का पर्व मकर संक्रांति शहर में आज बड़े ही उत्साह उमंग के साथ मनाया जाएगा। घर में आराध्य देव को तिल गुड़ का भोग लगाकर पूजा-अर्चना होगी। इस खास अवसर पर बच्चे पतंग उड़ाएंगे। बुधवार को शहर की छुटपुट दुकानों पर पतंग खरीदने बच्चों की भीड़ लगी रही।
बच्चों ने अलग-अलग आकार और कीमत वाली पतंगों की खरीदी की। नेहाल काईट सेंटर के संचालक हाजी मो हाफिज ने बताया कि दुकान में सीजन में ही भीड़ लगती है। बाकी समय धंधा मंदा रहता है। फिल्मी गानों और टीवी सीरियलों से प्रेरित होकर पतंग की पूछ परख बढ़ी है। बीच में ठहराव आ गया था।
लगभग सप्ताह भर से बच्चे पतंग खरीद कर ले जा रहे हैं। कई तरह की दुकान में विभिन्ना आकृति और रंग रूप वाली पतंगें पहुंची हैं, जिनमें कार्टून करैक्टर और देवी देवताओं के चित्र सहित फूल पत्ती के आकार वाले पतंगे भी हैं। कार्टून करैक्टर वाले पतंगों को बच्चे खास पसंद कर रहे हैं। शहर के अलावा आस-पास के गांव से भी लोग यहां पर पतंग खरीदने आते हैं।
- सूर्य उपासना का पर्व है मकर संक्रांति
विप्र विद्वत परिषद ने देव पंचाग के अनुसार बताया कि 14 जनवरी पौष शुक्ल पक्ष तिथि दिन गुरुवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। सूर्य का उत्तरायण सुबह आठ बजकर 13 मिनट पर श्रवण नक्षत्र पर मकर संक्रांति है। मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। यह दिन देवताओं का पर्व कहलाता है। अन्य प्रांतों में मकर संक्रांति को तिल संक्रांति तथा पोंगल भी कहते हैं। सूर्य उत्तरायण होने पर दिन बड़ा एवं रात्रि छोटी हो जाती है। मकर संक्रांति के पर्व को आदिकाल से सूर्य उपासना का पर्व के रुप में मनाया जाता है।
संक्रांति से सभी देवकर्म प्रारंभ होते हैं। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने सूर्य का उत्तरायण होने पर ही शरीर का त्याग किया। संक्रांति के दिन खिचड़ी एवं तिल का विशेष महत्व होता है। पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि तिल की उत्पति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है। इसलिए मोक्ष प्राप्ति में इसका विशेष महत्व है। संक्रांति का।पुण्यकाल सुबह आठ बजकर 13 मिनट से सायं चार बजकर 15 मिनट तक रहेगा। पुण्यकाल के समय स्नान, दान, जाप, हवन पूजन एवं कांस्य पात्र में तिल का त्रिकोण बनाकर कंबल, गौ स्वर्ण दान करने का विशेष महत्व है। इस वर्ष संक्रांति का आगमन कन्या के रुप में सिंह में सवार होकर गदा लिए एवं पीले वस्त्रों के धारण के साथ हो रहा है।