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संभावित हालातों में एकाएक घटने वाली चीजों के प्रति बच्चों को सजग रखें

07 जून 2022 | कश्मीर में पिछले हफ्ते एक दिन के अंतराल से पहले स्कूल टीचर रजनी बाला फिर विजय बेनीवाल नाम के बैंक मैनेजर की कायराना तरीके से हत्या कर दी गई। उन्हें पीछे से गोली मारी गई। बैंक मैनेजर की हत्या बैंक के सीसीटीवी में दर्ज हो गई, पर इसे देखना हृदय विदारक है। चेहरा ढंके एक आतंकी बैंक में घुसता है और देखता है कि बेनीवाल प्रवेश द्वार की ओर पीठ किए बैठे हैं। उस युवा मैनेजर के पीछे पिस्टल अड़ाकर और शूट करके हमलावर तुरंत फरार हो जाता है।

शिक्षक की हत्या भी ऐसे ही कायराना तरीके से की गई। पर सवाल है कि बैंक जैसी जगह पर गेट की ओर पीठ करे कैसे बैठ सकते हैं? सिक्योरिटी की भाषा में यह स्थिति जन्य जागरूकता (सिचुएशनल अवेयरनेस-एसए) की कमी कहलाती है। सबको पता होना चाहिए कि वो कहां हैं, इर्द-गिर्द क्या हो रहा है, आपको कहां होना चाहिए, क्या या कौन-सी चीज सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकती है।

हमारा ज्ञान, अनुभव और शिक्षा हमारी सुरक्षा के लिए हमें सक्षम बनाता है। इसी ज्ञान और शिक्षा की स्थिति को एसए कहते हैं। इसके लिए अमेरिका के कर्नल कूपर ने एक कलर कोड तैयार किया था। वह कहते हैं कि स्थिति जन्य जागरूकता व्यक्तिगत होती है। परंतु अगर हम अपने संस्था में जागरूकता फैलाएं तो यह संस्थागत हो सकती है। उन्होंने जिंदगी को चार कलर कोड में बांटा है। और वो कलर ये हैं…

सफेद: आपका बच्चा किराए की टैक्सी में बैठते ही मोबाइल पर मैसेजिंग शुरू कर देता है/देती है, आधा घंटे बाद अहसास होता है कि ड्राइवर ने अलग ही रूट ले लिया है। मतलब किसी अनजान शख्स के साथ होने के बावजूद बच्चा रिलैक्स है और किसी भी हालात से बेखबर व तैयार नहीं है। सड़क पर चलते हुए मैसेज करने पर भी ये लागू होता है।

पीला: अगर आप 15 माले की होटल में जाएं और रूम में चैक-इन करें और बच्चा वहां से शहर के नजारे देख रहा है पर अचानक इमारत में आग लग जाती है, तब आप क्या करेंगे? अगर आपने बच्चे को आपातकालीन सीढ़ियों का रास्ता दिखाया होगा तो एेसे हालातों में निकलना आसान होता है। पीला मतलब भले आप रिलैक्स हों लेकिन आप अलर्ट मानसिक अवस्था में हैं और आसपास के प्रति सचेत हैं।

नारंगी: आप रेस्तरां में बैठे हैं और आपकी छठी इंद्रिय कह रही है कि कोई आपको घूर रहा है और तत्काल आप दिमाग की उच्च सतर्क अवस्था में पहुंच जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई चीज या शख्स आपको असहज बना रहा है। इस हालात का कलर कोड है ऑरेंज।

लाल : आप कार चला रहे हैं और शीशे में देखते हैं कि कोई खास कार आपका पीछा कर रही है। कूपर की भाषा में यह परिस्थिति ‘रेड’ कहलाती है, इसका मतलब है कि खतरे की अत्यधिक आशंका है और जिंदगी को खतरा है। अगर आप आम आदमी हैं तो असल में वहां से भागेंगे और छुपेंगे, पर फिल्म में हीरो लड़ता है।

कर्नल कूपर ने संभावित खतरे की पहचान के लिए कहा था कि सुरक्षा आपकी इन्द्रियों की सजगता है न कि हाथ में लहराते हथियार। और वो सही हैं। मेरे ससुर लंदन में हीथ्रो एयरपोर्ट पर सुरक्षा प्रमुख रहे हैं, मैंने उन्हें हमेशा कलर कोड की भाषा में बात करते देखा है। वह हमेशा व्यस्त रहते थे और अगर सहकर्मी ने ‘रैड’ कहा तो वह हाई अलर्ट हो जाते थे! कल्पना करें आप बच्चे के साथ जा रहे हैं और सिर्फ कहें ऑरेंज, आपको नहीं लगता कि बच्चा सतर्क अवस्था में आ जाएगा?

फंडा यह है कि संभावित हालातों में एकाएक घटने वाली चीजों के प्रति बच्चों को सजग कर सकें, इसके लिए कुछ फैमिली कलर कोड रखें। इससे वाकई उनकी बहुत सुरक्षा होगी।

Source ;- “दैनिक भास्कर”

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