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PGI में किडनी व पैनक्रियाज प्रत्यारोपित ने दिया बच्ची को जन्म, दावा- देश का यह पहला

29 सितंबर 2022 | पीजीआई चंडीगढ़ में किडनी और पैनक्रियाज प्रत्यारोपण के चार साल बाद एक महिला ने बुधवार को एक बच्ची को जन्म दिया है। उस समय पीजीआई ने अंगदान में मिले अंगों का प्रत्यारोपण कर महिला की जान बचाई थी। पीजीआई का दावा है कि किडनी व पैनक्रियाज प्रत्यारोपित किसी अंग प्राप्तकर्ता की ओर से बच्चे के जन्म का देश में यह पहला मामला है।

उत्तराखंड की रहने वाली सरोज (23) 13 साल की उम्र से मधुमेह से ग्रस्त थी। उसका पीजीआई के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग में इलाज चल रहा है। बीमारी के चलते 2016 में सरोज की किडनी फेल हो गई। उस वक्त मधुमेह का स्तर इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि उसे इंसुलिन के हैवी डोज देने पड़ रहे थे लेकिन ईश्वर ने उसकी और उसके घरवालों की प्रार्थना स्वीकार कर ली। 2018 में पीजीआई में ही अंगदान से मिली किडनी और पैनक्रियाज सरोज में प्रत्यारोपित की गई। इसके बाद 2020 में उसकी शादी हो गई।

पीजीआई की टीम ने दिन-रात की देखभाल और इलाज
गर्भावस्था के दौरान सरोज का पीजीआई के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में प्रो. सीमा चोपड़ा ने इलाज शुरू किया। किडनी और पैनक्रियाज प्रत्यारोपण के बाद कई तरह के जोखिम कारक होने के कारण पीजीआई की टीम ने उसकी दिन-रात मॉनीटरिंग की और शरीर में ग्लूकोज का स्तर, रक्तचाप, किडनी की कार्यप्रणाली व अन्य स्तरों पर लगातार नजर रखी गई। नौ महीने बाद सरोज ने सिजेरियन ऑपरेशन से 2.5 किलो की बच्ची को जन्म दिया।

देश का पहला मामला
पीजीआई के किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. आशीष शर्मा का कहना है कि यह देश में अब तक का पहला मामला है। देशभर में अब तक 150 मरीजों में पैनक्रियाज प्रत्यारोपित किया जा चुका है। इसमें से अकेले पीजीआई में 38 प्रत्यारोपण किए गए हैं लेकिन यह ऐसा पहला मामला है जब किसी महिला में किडनी व पैनक्रियाज प्रत्यारोपण के बाद सुरक्षित प्रसव हुआ है। प्रत्यारोपण के बाद सरोज के शुगर व किडनी संबंधित समस्या ठीक हो गई है और वह एक सामान्य जिंदगी जी रही है।महिला के बच्ची के जन्म के बाद यह बात साबित हो गई है कि अंगदान से न केवल किसी व्यक्ति की जान बचती है बल्कि प्रकृति में जीवन चक्र भी आगे बढ़ता जाता है। अंगदान से मिले अंगों की बदौलत सरोज का जीवन बचाया गया। अब सरोज ने एक नन्ही सी जिंदगी को दुनिया में लाने का कार्य पूरा किया है। -प्रो. विपिन कौशल, चिकित्सा अधीक्षक व रोटो के नोडल पीजीआई।

Source:-“अमर उजाला”

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