दिल्ली में किसानों की परेड 26 जनवरी की दोपहर अचानक हिंसक हो गई. सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाक़ों में से एक था दिल्ली का आईटीओ.
आईटीओ में हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान नवदीप सिंह नाम के व्यक्ति की मौत हो गई. चश्मदीदों का दावा था कि नवदीप की मौत ‘पुलिस की गोली लगने से हुई.’
सोशल मीडिया पर पुलिस की ओर से शेयर किए गए वीडियो में नवदीप तेज रफ़्तार में ट्रैक्टर चलाते दिख रहे हैं. मौत की वजह की बीबीसी पुष्टि नहीं कर पाया है.
वीडियो में नवदीप का ट्रैक्टर पुलिस की बैरिकेडिंग से टकराकर पलटता हुआ देखा जा सकता है. ये घटना आईटीओ से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की ओर जाती सड़क पर हुई.
इस घटना के बाद से ही नवदीप के शव को लेकर प्रदर्शनकारी आईटीओ चौराहे पर बैठे रहे. 26 जनवरी की शाम साढ़े पांच के क़रीब प्रदर्शनकारी नवदीप के शव को गाड़ी में रखकर गाज़ीपुर धरना स्थल की जगह तक लेकर चले गए.
इसके बाद घंटों से आईटीओ पर जमा ट्रैक्टर धीरे-धीरे गाज़ीपुर बॉर्डर की ओर लौटने लगे.
कैसे हिंसक हुआ आईटीओ का प्रदर्शन?
गाज़ीपुर पर जमा किसानों के लिए जो रूट परेड के लिए तय किया गया था, उसमें अक्षरधाम वाला इलाका शामिल नहीं था.
26 जनवरी की सुबह 10-11 बजे गाज़ीपुर से अक्षरधाम तक पहुंचे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं. पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े. वहीं प्रदर्शनकारियों की ओर से भी पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ी गई.
यहां जब हालात कुछ काबू हुए तो प्रदर्शनकारियों को दिल्ली जाने की इजाज़त दे दी गई.
प्रदर्शनकारी सराय काले खां, प्रगति मैदान के गेट नंबर एक के पास वाली सड़क और आईपी डिपो के पास वाली सड़क से होते हुए आईटीओ की ओर बढ़ने लगे.
इस वक़्त घड़ी में क़रीब 1 बज रहे थे. इन ट्रैक्टर्स की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि सड़क पर संभलकर चलना पड़ रहा था.
धीरे-धीरे आईटीओ की विकास मीनार के पास पहुंच रहे ट्रैक्टर्स जमा होने लगे. तब तक आईटीओ स्थित पुलिस हेडक्वॉर्टर के पास पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प होने लगी.
आंसू गैस के गोले और बस पर हमले
आईटीओ जाने वाले पूरे रास्ते पर ट्रैक्टर खड़े थे. प्रदर्शनकारियों में शामिल कुछ युवा लड़के हाथ में रॉड लेकर सड़क के बीच की बैरिकेटिंग तोड़ने लगे.
जब इस हरकत को मैंने रिकॉर्ड करने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारी चिल्लाने लगे और फोन छीनने जैसी हरकत करने लगे.
इन प्रदर्शनकारियों का कहना था, ”पुलिस जब हमें मार रही थी, तब तुम्हारा कैमरा कहां था?”
दोपहर के डेढ़ बजे के क़रीब आईटीओ के मुख्य चौराहे पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. जवाब में प्रदर्शनकारियों की ओर से भी पुलिस पर हमला किया गया और बसों को तोड़ा गया.
इस वक़्त कई प्रदर्शनकारी आईटीओ के बीच चौराहे पर मौजूद थे.
”ओए बंदा मर गया…”
ठीक तभी एक लड़का भागता हुआ नई दिल्ली स्टेशन की ओर जाती सड़क से भागता हुआ आया और पंजाबी में चिल्लाकर बोला, “ओए अपना बंदा मर गया यार….”
वहां खड़े कुछ लड़के गुस्से में घटना वाली जगह की ओर भागे. घटना आंध्र एजुकेशन सोसाइटी के ठीक बाहर हुई थी.
जब मैं और कुछ प्रदर्शनकारी वहां पहुंचे तो नीले रंग का एक ट्रैक्टर पलटा हुआ था. पास में तिरंगे से लिपटा शव रखा हुआ था.
शव के पास पहुंचने वाले शुरुआती लोगों में मैं भी शामिल था. तिरंगे को हटाकर जब चेहरा देखा तो मृतक के आंख के किनारे से खून बह रहा था.
वहां पहले से मौजूद लोगों से जब मैंने जानने की कोशिश कि मौत कैसे हुई तो वो आक्रोश में चिल्लाते हुए यही बोले, “गोली लगी है तुझे दिख नहीं रहा.”
इसके बाद चेहरे पर फिर से तिरंगा ढक दिया गया. मृतक की पहचान करने की कोशिश में कागज निकाले गए. फोन निकाला गया लेकिन वो फेस लॉक था.
कुछ देर बाद जुटे प्रदर्शनकारियों ने बताया कि मरने वाले व्यक्ति का नाम नवदीप सिंह है और वो उत्तराखंड का रहने वाला था.
मंगलवार रात उद्यम सिंह नगर पुलिस की ओर से जारी बयान में नवदीप को यूपी में रामपुर के डिबडिबा निवासी बताया गया है.
शव को आईटीओ ले जाया गया
दो बजे के क़रीब प्रदर्शनकारी शव को गोद में उठाकर आईटीओ के मुख्य चौराहे पर ले गए और वहीं रख दिया.
उस वक्त के बाद से अगर शव के पास कोई मीडियाकर्मी आने की कोशिश करता तो प्रदर्शनकारी हाथापाई करने की नौबत तक पहुंच जाते.
प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन की ओर जाती सड़क पर इस वक़्त पुलिस भारी संख्या में तैनात थी. बीच-बीच में प्रदर्शनकारी पुलिस की ओर मुंह करके चुनौती देने और सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी करते नज़र आए.
शाम साढ़े चार के क़रीब आईटीओ समेत कई जगहों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं.
शाम पांच बजे के क़रीब प्रदर्शनकारियों के बीच आपस में इस पर चर्चा होने लगी कि क्या शव को हटा दिया जाए.
शाम 5 बजकर 45 मिनट पर शव को ट्रॉली में रखकर ग़ाज़ीपुर भेज दिया गया. मौके पर मौजूद प्रदर्शनकारियों ने बताया, ”शव को गाज़ीपुर भेजा जाएगा. फिर वहां से शव को घरवालों को भेज दिया जाएगा.”
शाम छह बजे आईटीओ पर दोपहर से जमा ट्रैक्टर ग़ाज़ीपुर की ओर लौटने लगे.
प्रदर्शनकारी जाते हुए सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे थे- काले क़ानून वापस लेने होंगे…..
BBC