लखीसराय। अमूमन बारिश के कारण अथवा नदी में उफान आने पर किऊल नदी के किनारे बने सुरक्षा तटबंध के ध्वस्त होने का खतरा बढ़ जाता है। परंतु इस बार बिना बारिश और बाढ़ के ही सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत निस्ता गांव के समीप किऊल नदी के किनारे बनी सुरक्षा तटबंध ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गया है। सुरक्षा तटबंध अपने आप कट कर किऊल नदी में समाने लगा है। स्थिति यह बन गई है कि करीब 12 फीट चौड़ा सुरक्षा तटबंध अब करीब दो सौ फीट की दूरी तक किऊल नदी में समाकर बमुश्किल दो से तीन फीट चौड़ा रह गया है। बरसात पूर्व सुरक्षा तटबंध की मरम्मत नहीं कराई गई तो एनएच 80 एवं आबादी पर संकट उत्पन्न हो जाएगा।
- वर्षों पूर्व कराया गया था तटबंध का निर्माण
किऊल नदी के किनारे सुरक्षा तटबंध का निर्माण वर्षों पूर्व कराया गया था। इसके बाद से इसकी मरम्मत एवं रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया। इधर क्षेत्र में संचालित ईंट चिमनी भट्ठा के संचालकों द्वारा तटबंध के किनारे से अवैध तरीके से मिट्टी का खनन कार्य मानक के खिलाफ खुलेआम किया जाता रहा। इससे कई जगहों पर तटबंध खोखला हो गया है। इस पर कभी भी विभागीय अधिकारियों का ध्यान नहीं गया है।
- किऊल नदी का जलस्तर बढ़ने से मंडराने लगता है खतरा
बरसात के मौसम में किऊल नदी में उफान आने पर विभिन्न जगहों पर सुरक्षा तटबंध के ध्वस्त होने की आशंका प्रबल हो जाती है। खासकर निस्ता, मेदनी चौकी एवं रसूलपुर गांव के समीप सुरक्षा तटबंध काफी जर्जर हो चुका है। इस कारण किऊल नदी के किनारे बसे दर्जनों गांव के लोग दहशत के साये में जीने को विवश होते हैं। इतना ही नहीं सुरक्षा तटबंध से पानी रिसकर एनएच 80 पर भी खतरा उत्पन्न कर देता है। साथ ही घनी आबादी भी बाढ़ की चपेट में आ जाती है। हजारों एकड़ जमीन में लगी खरीफ एवं सब्जी की फसलें नष्ट हो जाती है।
- मरम्मत के नाम पर होती खानापूरी
सुरक्षा तटबंध की मरम्मत के नाम पर हर वर्ष खानापूरी होती है। बारिश के मौसम में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने और इस नदी का किऊल और हरूहर नदी से मिलन हो जाने के बाद पूरा दियारा इलाका जलप्लावित हो जाता है। एनएच 80 के किनारे बने सुरक्षा तटबंध पर खतरा उत्पन्न हो जाता है। बारिश और बाढ़ के समय में तटबंध की मरम्मत के नाम पर प्रत्येक वर्ष खानापूरी करके राशि की निकासी कर ली जाती है। निस्ता, खावा, मेदनी चौकी, देवघरा, रसूलपुर में सुरक्षा तटबंध को बचाने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों को जिम्मा दे दिया जाता है। वे पेड़ों की टहनियों के सहारे पानी के दबाव को रोकने का असफल प्रयास करते हैं। कहीं-कहीं सैंड बैग का इस्तेमाल किया भी जाता है तो उसमें व्यापक अनियमितता होती है।
- गत वर्ष होमगार्ड के जिम्मे थी सुरक्षा
गत वर्ष बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल भागलपुर के पत्र के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा 15 जून से 31 अक्टूबर 19 तक निस्ता गांव से रसूलपुर गांव तक सुरक्षा तटबंध पर होमगार्ड की तैनाती की गई थी। होमगार्ड के जवानों द्वारा सुरक्षा तटबंध के किनारे से मिट्टी कटाई पर रोक लगाई जाती थी। पानी के दबाव के कारण सुरक्षा तटबंध के ध्वस्त होने वाले स्थल को चिह्नित कर जिला प्रशासन को सूचित किया जाता था।
- कोट
तटबंध सुरक्षा की समीक्षा की जा रही है। निस्ता गांव के समीप जर्जर सुरक्षा तटबंध की कई बार मरम्मत कराई गई है परंतु किऊल नदी की तेज धारा एवं बरसात में मिट्टी बह जाती है। सैंड बैग भी उपयोगी साबित नहीं हो रही है। इसके स्थाई समाधान की व्यवस्था की जा रही है। वर्तमान समय में निस्ता गांव के समीप सुरक्षा तटबंध के क्षतिग्रस्त होने की सूचना नहीं मिली है। सुरक्षा तटबंध का निरीक्षण कर बरसात के पूर्व मरम्मत करा दिया जाएगा।
रमेश कुमार,
कार्यपालक अभियंता,
बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, भागलपुर