• March 28, 2024 1:41 pm

आत्मगौरव का अनुभव करा एक डोर में बांधती है हिंदी

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 30   सितम्बर 2022 | अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 14 से 28 सितंबर के मध्य आयोजित हुआ हिंदी पखवाड़ा पुरस्कार वितरण और कार्यशाला के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रमुख वक्ताओं ने हिंदी को ज्ञान-विज्ञान की भाषा बताते हुए इसे आत्मगौरव का अनुभव कराने वाली और देश को एकसूत्र में बांधने वाली भाषा बताया। इस अवसर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान के लिए कोलकाता विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी का सम्मान किया गया।

राजभाषा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह और कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि दुनिया में हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। भारत में 53 करोड़ से अधिक हिंदी भाषी हैं। ऐसे में हिंदी का दैनिक प्रयोग अधिक से अधिक करने की आवश्यकता है। उन्होंने नियमित दिनचर्या में अधिक से अधिक हिंदी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग करने पर जोर दिया।

कोलकाता विश्वविद्यालय के सुरेंद्रनाथ सांध्य कालेज के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी का पहला समाचार पत्र और स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम बंगाल में प्रारंभ हुए। हिंदी की पताका गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में फहराई गई है। कभी भी हिंदी किसी अन्य भाषा के लिए बाधा नहीं बनी। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं भारतीय संस्कृति की परिचायक हैं। भारतीय संस्कृति में पहले से ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इसमें संग्रह और त्याग का विवेक दिया है। उन्होंने सभी स्थानीय भाषाओं को ज्ञान-विज्ञान की भाषा बताते हुए हिंदी को एक सेतु बताया और कहा कि हिंदी आत्मीयता का बोध कराती है।

डीन (अकादमिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल ने हिंदी में मेडिकल पुस्तकों के प्रकाशन पर जोर दिया। अंत में उप-निदेशक (प्रशासन) अंशुमान गुप्ता ने धन्यवाद दिया। इस अवसर पर डॉ. त्रिपाठी का शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मान किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में डीन (शोध) प्रो. सरिता अग्रवाल, डीन (परीक्षा) प्रो. एली मोहपात्रा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और छात्र उपस्थित थे।

सोर्स :-“नईदुनिया”        


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